स्पोर्ट्सकीड़ा एक्सक्लूसिव: पुनेरी पलटन अगर फाइनल में पहुंचती है तो बतौर कोच मेरा अनुभव और शानदार हो जाएगा- अनूप कुमार 

अनूप कुमार ने कोच के तौर पर अपने अनुभव के बारे में बताया
अनूप कुमार ने कोच के तौर पर अपने अनुभव के बारे में बताया

प्रो कबड्डी सीजन 7 के छह लेग पूरे हो चुके हैं और बचे हुए 6 लेग में सभी टीमों की कोशिश किसी न किसी तरह टॉप 6 में पहुंचने पर होगी। इस सीजन पुनेरी पलटन की शुरुआत जरूर शानदार नहीं रही, लेकिन टीम ने फिर खुद को प्लेऑफ की दौड़ में बरकरार रखा है।

पुणे ने अबतक खेले 11 मुकाबलों में से 4 में जीत दर्ज की है, तो 6 में टीम को शिकस्त का सामना करना पड़ा और एक मैच टीम का टाई हुआ था। वो अभी 25 अंकों के साथ दसवें स्थान पर हैं। पुणे ने दिल्ली लेग के आखिरी दिन तेलुगु टाइटंस को एक महत्वपूर्ण मैच जीता।

तेलुगु टाइटंस के खिलाफ मिली जीत के बाद पुनेरी पलटन टीम के कोच अनूप कुमार ने स्पोर्ट्सकीड़ा के साथ खास बातचीत की, आइए नजर डालते हैं मुख्य अंशों पर:

-पुनेरी पलटन के टूर्नामेंट में अभी तक के प्रदर्शन को आप किस तरह से देखते हैं?

-अभी तक टीम का प्रदर्शन बहुत ज्यादा अच्छा तो नहीं, बस ठीक-ठाक ही कहा जा सकता है। हालांकि टीम जिस तरह से पिछले कुछ मुकाबले खेली है, उसी तरह से खेलना जारी रखते हैं, तो निश्चित ही प्रदर्शन और भी ज्यादा बेहतर होगा।

-आपको कैप्टन कूल के तौर पर जाना जाता था और बतौर कोच भी आप इतना ही कूल रहते हैं, किस तरह मुश्किल स्थिति में आप खुद को शांत रखते हैं?

-शांत रहना काफी जरूरी होता है, क्योंकि मैदान में कप्तान और कोच का ज्यादा हाइपर होना सही नहीं रहता। एक कप्तान अगर हाइपर हो गया, तो वो टीम को किस तरह संभालेगा और कोच का रोल उससे भी ज्यादा अहम हो जाता है। कोई खिलाड़ी अगर आउट होता है और कोच उसके ऊपर गुस्सा करेगा, तो वो शत प्रतिशत नहीं दे पाएगा। कोच के डांटने से खिलाड़ी पर दबाव काफी आ जाता है।

-पुणे के प्रदर्शन में इस सीजन अभी तक वो निरंतरता देखने को नहीं मिली है, तो बतौर कोच आपका रोल कितना अहम हो जाता है?

-कोच का रोल तो शुरुआत से ही काफी अहम होता है। हालांकि इस हालात में देखना होता है कि कौन का प्लेयर किस तरह का है और किस तरह उसका मनोबल बढ़ाया जा सकता है। यह ही एक मुख्य काम होता है और कोशिश कर रहा हूं, इसे अच्छे से निभाने की।

-इस सीजन कई बड़े खिलाड़ियों का प्रदर्शन युवा प्लेयर्स की तुलना में खास नहीं रहा है। एक पूर्व खिलाड़ी और कोच के तौर पर आपको इसका क्या कारण लगता है:

-इसके पीछे ऐसे कोई खास कारण नहीं है, थोड़ा उम्र होती है और काफी हद तक प्रैक्टिस के ऊपर भी निर्भर करता है। फिटनेस काफी जरूरी है, जो नए खिलाड़ी है वो काफी फिट है और वो अपना ऑलआउट गेम खेलते हैं। जो हमारे सीनियर प्लेयर हैं वो काफी समय से खेल रहे हैं, तो फिटनेस की चिंता रहती है। इसके अलावा कोई और कारण नहीं है।

-आपका अनुभव बतौर कोच किस तरह का रहा है और क्या आप भविष्य में भारतीय टीम का कोच बनना चाहेंगे?

-इसमें कोई पूछने वाली बात ही नहीं है, भारतीय टीम का कोच कौन नहीं बनना चाहेगा। मैं भी भारत का कोच बनना चाहूंगा। बतौर कोच मेरा अनुभव अबतक अच्छा रहा है, लेकिन टीम अगर फाइनल में पहुंचेगी, तो यह और भी ज्यादा अच्छा हो जाएगा।

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Edited by मयंक मेहता
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