Pro Kabaddi Season-4: 'मिट्टी पर छिलता है, मैट पर टूटता है'

प्रो कबड्डी सीज़न-4 में कारवां आधा सफ़र तय कर चुका है, जहां अब तक एक से बढ़कर एक मुक़ाबले देखने को मिले हैं, जिसने सभी का दिल जीत लिया। प्रो कबड्डी की रफ़्तार और रोमांच का ही जादू है जिसने आईपीएल के बाद इस लीग को बेहद लोकप्रिय बना दिया है। प्रारंपिक कबड्डी से हटकर इसमें कुछ बदलाव लाए गए हैं, जैसे इसमें रेड के लिए 30 सेकंड तय कर दिया गया है। तीन ख़ाली रेड के बाद करो या मरो की रेड करनी होती है, जहां अगर रेडर ने प्वाइंट नहीं लाया तो आउट हो जाएगा। साथ ही साथ सुपर रेड, सुपर टैकल और भी कई ऐसे बदलाव लाए गए हैं जिसके बाद इस खेल ने रफ़्तार और रोमांच पकड़ लिया। प्रारंपिक कबड्डी जहां मिट्टी पर खेली जाती थी, तो प्रो कबड्डी इस नए दौर में मैट पर खेली जाती है। इन बदलाव के बाद मुंबई से लेकर पटना तक इस प्रो कबड्डी ने सभी को अपना दीवाना बना दिया है। लेकिन इसकी रफ़्तार खिलाड़ियों के लिए कभी कभी ख़तरनाक भी हो जाती है। सीज़न-4 में ही कई खिलाड़ियों को चोट लगी है। बैंगलोर लेग के दौरान भी पुनेरी पलटन के मंजीत चिल्लर को बंगाल वॉरयर्स के ख़िलाफ़ खेलते हुए काफ़ी चोट आई थी और उन्हें मैच छोड़कर जाना पड़ा। पटना पाइरेट्स के रेडर राजेश मोंडल ने स्पोर्ट्सकीड़ा के साथ ख़ास बातचीत के दौरान भी प्रो कबड्डी की जमकर तारीफ़ की लेकिन साथ ही साथ ये भी कहा कि मैट की वजह से अब चोट का ख़तरा ज़्यादा रहता है। "प्रो कबड्डी ने पूरी तरह से इस खेल को लोकप्रिय बना दिया है, पहले जो खेल गांव और मोहल्लों में खेला जाता था, आज वह पूरी दुनिया में धमाल मचा रहा है। बस फ़र्क सिर्फ़ इतना है कि इससे चोट की गुंजाइश बढ़ जाती है, प्रारंपिक कबड्डी जहां मिट्टी पर खेली जाती थी, तो प्रो कबड्डी मैट पर होती है। मिट्टी पर पैर छिलता है, लेकिन मैट पर तो टूट जाता है।": राजेश मोंडल (रेडर, पटना पाइरेट्स)