प्रो कबड्डी लीग सीजन 5 की शुरुआत के लिए अब कुछ ही दिन बाकी हैं। लीग की शुरुआत के बाद से अलग-अलग टीमों के खिलाड़ियों ने अपने व्यक्तिगत प्रदर्शन से कामयाबी हासिल की है लेकिन एक टीम के रूप में सामूहिक रूप से हावी होना इस गेम का असली खेल है। एक टीम के पास पृथ्वी के सबसे बड़े व्यक्तिगत खिलाड़ियों हो सकते हैं लेकिन अगर वे एक इकाई या एक टीम के रूप में नहीं खेल सकते हैं, तो वे सफल नहीं होंगे। अब समय है उन सभी टीमों और खिलाड़ियों की चर्चा करने का जिन्होंने एकजुट होकर टीम को जीत दिलायी है। आज बात करते हैं प्रो कबड्डी लीग की 5 महानतम टीमों के बारें में- जयपुर पिंक पैंथर्स- सीजन 1
सीजन 1 राजस्थान के लिए यह एक शानदार सीजन था। अगर देखा जाए तो 2014 में पैंथर्स की जीत इतिहास में सबसे अधिक अंडररेटेड जीतों में से एक होगी। पूरी की पूरी टीम ने अपनी क्षमता से बढ़कर खेल दिखाया और ट्रॉफी को अपने नाम करने का काम किया। जसवीर सिंह ने आगे बढ़ टीम को लीड करते हुए 106 रेड प्वाइंट कमाए। मनिन्दर सिंह के कहर के आगे कई नहीं टिक सका। मनिन्दर ने सबको चौंकाते हुए 130 रेड प्वाइंट अपने खाते में डाले। वह एक ऐसे खिलाड़ी रहे जिन्होंने लीग मैचों के दौरान 14 में से 10 मैचों में टीम को जीत दिलायी। टीम के ऑलराउंडर रहे राजेश नारवाल ने महत्वपूर्ण 72 प्वाइंट का योगदान देकर टीम को समय समय पर जीत का स्वाद चखाया। सीजन 1 में डिफेंडर रोहित राना और प्रशांत चव्हाण टीम के बेहतरीन डिफेंडर साबित हुए, जिन्होंने 70 टैकल प्वाइंट अपने खाते में डाले। इस टीम में कुछ ऐसे भी हीरो रहे जिनके योगदान के बिना टीम को जीत नहीं मिल सकती थी और वो थे रन सिंह और अनुभवी नवनीत गौतम जिन्होंने टीम को बैलेंस प्रदान किया। यू मुंबा- सीजन 2
अब बात करते हैं सीजन 2 की विजेता टीम की। यूमुंबा ने सात खिलाड़ियों पर दांव खेला लेकिन उनमें से कोई भी ऐसा प्लेयर नहीं था जो विश्व 7 में भी अपनी जगह बनाता हो लेकिन आत्मविश्वास से भरी इस टीम ने उस सीजन में खेले गए 16 में से 14 मैचों में जीत दर्ज कर सबको अपना कायल बना दिया। कोई भी कोच इस बात की कल्पना नहीं कर सकता था कि उसके पास इस तरह की पूरी संतुलित टीम के प्रबंधन की स्वतंत्रता होगी। अनूप कुमार और शब्बीर बापू ने सर्वश्रेष्ठ अटैकिंग जोड़ी की तरह खेलते हुए 124 प्वाइंट हासिल किए। रिशांक देवरिया ने लगातार बेहतरीन परफॉर्मेंस देते हुए टीम के रेडिंग विभाग को और मजबूती प्रदान की। वहीं मोहित चिल्लर और सुरेन्दर नाडा ने 42 और 41 टैकल प्वाइंट को लेकर टीम को जीत दिलायी। जीवा कुमार उस सुपर सात का एक महत्वपूर्ण हिस्सा थे। इन शानदार छह खिलाड़ियों के साथ, विशाल माने को अपने कौशल दिखाने का कुछ खास अवसर नहीं मिला। पटना पाइरेट्स- सीजन 3
अगर थोड़े रोमांच और थोड़े ड्रामा की बात की जाए तो सीजन 3 में पटना पाइरेट्स की जीत प्रो कबड्डी लीग के इतिहास की सबसे ड्रामेटिक और सबसे मनोरंजक जीत थी। वे उन सात मैचों का हिस्सा थे जिसमें उनके और विपक्ष के बीच चार या उससे कम का अंतर था। इसमें से वो दो कांटे के टक्कर वाले मैच भी शामिल थे जो पुनेरी पलटन के साथ ड्रॉ पर खत्म हुए थे। इसके पीछे का कारण यह था कि उनका डिफेंस, लीग में बाकी मैचों के मुकाबला उतना अच्छा नहीं था। संदीप नरवाल पटना के एकमात्र खिलाड़ी थे जो शीर्ष 10 डिफेंडर में से एक थे, संदीप ने 55 महत्वपूर्ण टैकल प्वांइट हासिल किए। लेकिन सीजन के स्टार खिलाड़ी रहे प्रदीप नरवाल ने डिफेंडरों के छक्के छुड़ा दिए। प्रदीप ने 116 रेड्स प्वाइंट अपने नाम किए, वहीं प्रदीप का साथ देते हुए रोहित कुमार ने 102 रेड्स प्वाइंट के साथ खेल के रोमांच को बनाए रखा। दोनों ने मिलकर कई मौकों पर पटना को मुश्किल घड़ी से बाहर निकाला। पटना पाइरेट्स- सीजन 4
सीजन 4 से पहले हुई नीलामी पटना के लिए इससे बेहतर समय पर नहीं आ सकता था। सीजन 3 की सफलता को दोहराने के लिए पटना अपने साथ कई नये टैलेंट को जोड़ना चाहते थे। धर्मराज सी, फजल अत्राली और बाजीराव होदेज को जोड़ाने मतलब था कि डिफेंडिग चैंपियन का ताज बचाये रखने के लिए टीम के डिफेंसिव एरिया को और मजबूत करना जो कि पटना पाइरेट्स की पिछले सीजन में कमी उभरकर सामने आयी थी। उन्होंने साथ में 113 बेहद महत्वपूर्ण टैकल प्वाइंट बनाए। पटना का सीजन 4 पीछले सीजन की तरह उतना रोमांचकारी नहीं हो सका लेकिन एक ठोस सोच के साथ पटना ने अपने खिताब को बचाये रखा। इस बार उन्हें सिर्फ अपने रेडर्स पर ही निर्भर नहीं रहना पड़ा बल्कि इस बार डिफेंडर्स ने पटना को एक बार फिर से ताज पहनाया। 131 रेड प्वाइंट के साथ सीजन 4 में प्रदीप नारवाल टॉप 10 में रहने वाले पटना के एकमात्र रेडर थे लेकिन सीजन 4 में कुलदीप सिंह और राजेश मंडल पटना के हीरो बनकर निकले। तेलगु टाइटन्स
दो बार पांचवे स्थान और दो बार सेमीफाइनल तक का सफर तय करने वाली तेलगु टाइटन्स खिताब ना जीत पाने वाली अन्य टीमों से ज्यादा खिताब के करीब पहुंची है। हालांकि तेलगु टाइन्स के पास प्रभावी रेडर्स रहे हैं लेकिन उनके लिए डिफेंस एक थोड़ी कमजोरी कड़ी साबित हुई है। समय-समय पर संकट की स्थिति में टाइटन्स के पास अनुभवी डिफेंडर्स का अभाव रहा है। पिछले चारों सीजन वह एक मजबूत टीम बनकर उभरी है जिसके खेल को देखने में मजा आता है लेकिन चैपिंयन्स वाला खेल अभी भी उनसे दूर है। राहुल चौधरी अपनी भूमिका को शानदार तरीके से निभा रहे हैं, जबकि निलेश सालुंके ने हमेशा ही चौधरी के एक वफादार सहयोगी की भूमिका निभायी हैं। लेकिन प्रो कबड्डी लीग में यह बार-बार साबित हुआ है कि अगर आप अपने डिफेंस को संभालने में नाकाम रहे हैं, तो आप हारेंगे। लेखक- सोमेश चंद्रन अनुवादक- सौम्या तिवारी