प्रो कबड्डी लीग ने देश में खेल को देखने का तरीका बदल दिया है। जिसमें मुख्य रूप से एक ग्रामीण खेल को एक मल्टी मिलियन डॉलर फ्रेंचाइजी आधारित लीग में बदला और फिर जिसने पूरे देश में अपने रोमांच का तूफान ला दिया। घरेलू नाम अब स्टार खिलाड़ी के नाम से जाने जाते हैं और ना सिर्फ अपने राज्य में बल्कि पूरे भारत में बेहद लोकप्रिय हो चुके हैं, साथ ही इन खिलाड़ियों ने नीलामी के दौरान अच्छा खासा में पैसा कमाया है। चार सीजन के बाद ऐसे कई नाम हैं जो गुमनामी से उभरे हैं और जो अब सीज़न 5 में इन 12 टीमों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। हालांकि, खिलाड़ियों के कुछ मामलें ऐसे भी हैं जिन्होंने प्रसिद्धि तो पाई लेकिन पीकेएल का नवीनतम संस्करण इन्हें नहीं देखा जा सकता है। इस लेख में, आईये उन पांच खिलाड़ियों पर नजर डालते हैं जो आश्चर्यजनक रूप से इस साल की प्रतियोगिता का हिस्सा नहीं हैं और जिनके प्रो कबड्डी लीग में ना खेलने से विपक्षियों को फायदा पहुंचेगा- #1 सूरज देसाई
मई में खिलाड़ियों की नीलामी के दूसरे दिन सबसे महंगे खिलाड़ी बनने के बाद यह रेडर अचानक सुर्खियों में आ गया, देसाई को दबंग दिल्ली ने 52.50 लाख रूपये में खरीदा। दिल्ली ने इस रेडर की आक्रामक क्षमताओं में बहुत विश्वास दिखाते हुए एक अच्छा खास दाम दिया और प्रशंसकों में भी उन्हें कबड्डी के मैट पर देखने की बहुत उत्सुकता थी। हालांकि लीग की शुरुआत होने से पहले एक मुसीबत आ गयी और सीज़न शुरु होने के कुछ हफ्ते पहले सूरज घायल हो गये साथ ही लीग में भाग लेने से पूरी तरह से बाहर भी हो गये। तमिलनाडु के 18 वर्षीय खिलाड़ी आर श्रीराम को उनके स्थान पर जगह दी गई, देखना यह होगा कि क्या वह इस मौके का लाभ उठाने में कामयाब होंगे। #2 किरण परमार
2016 में कबड्डी विश्व कप जीतने वाली भारतीय टीम में शामिल खिलाड़ियों ने प्रो कबड्डी लीग अलग अलग टीमों में अपनी जगह बनाई। यू मुंबा के कप्तान अनूप कुमार के अलावा अजय ठाकुर, प्रदीप नारवाल, मोहित चिल्लर, राहुल चौधरी जैसे नाम इसमें शामिल हैं। हालांकि , उस टीम का एक अन्य सदस्य ऐसा भी था जिसके पास अभी तक पीकेएल का कोई अनुभव नहीं रहा। गुजरात से आने वाले किरण परमार, भारतीय दल का हिस्सा थे और टूर्नामेंट के दौरान कुल 14 अंक हासिल किए थे। जिन्होंने सब्सिटियूट के रूप में एक बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए शानदार भूमिका अदा की थी। लेकिन अपने राज्य से एक नई टीम बनने के बावजूद, जिन्होंने यह भी बताया था कि वे उन्हें खरीदने में रुचि रखते हैं पर उन्हें सीजन 5 नीलामी में खिलाड़ियों की सूची में शामिल नहीं किया गया। #3 सोनू नरवाल
इस लंबे रेडर के नाम पर प्रो कबड्डी लीग के कई रिकॉर्ड दर्ज है, जयपुर पिंक पैंथर्स और पुनेरी पलटन के लिए खेलते हुए इस खिलाड़ी ने तीन सीजन के दौरान 138 रेड प्वाइंट इकठ्ठा किए। वह उस भारतीय टीम का एक हिस्सा रहे हैं जिसने 2010 में एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीता था। सोनू को हरियाणा स्टीलर्स ने नीलामी के दौरान 21 लाख की कीमत पर खरीदा और वह अपनी टीम की शानदार अटैक का हिस्सा बनने के लिए पूरी तरह से तैयार थे लेकिन कुछ समय बाद पता चलता है कि उन्हें टीम से ड्रॉप कर दिया गया क्योंकि वह शारीरिक रूप से फिट नहीं थे और प्रो कबड्डी लीग के इस नये संस्करण में नहीं खेल पायेंगे। #4 संदीप धुल
पिछले कुछ संस्करणों से उभरने वाली सर्वश्रेष्ठ रक्षात्मक प्रतिभाओं में से एक संदीप धुल पर पांचवें सीजन में खिलाड़ी की नीलामी से पहले सभी की निगाहें उन पर टिकी हुई थीं। हालांकि, जब उसका नाम आया तो किसी भी टीम ने उन्हें अपनी टीम में शामिल करने के लिए हाथ नहीं उठाया और वह बिना बिके रह गए। बहुत प्रशंसकों के लिए यह अविश्वसनीय रहा था। प्रो कबड्डी लीग में सीजन 3 के दौरान दबंग दिल्ली की तरफ से और सीजन 4 में तेलगु टाइटन्स की तरफ से खेलते हुए सर्वाधिक सुपर टैकल अपने नाम किए थे। उन्होंने संदीप नरवाल के साथ एक बढ़िया कॉर्नर संयोजन बनाया और लगभग 52.23% की सफल औसत से टैकल किए। उन्हें पांचवें संस्करण के लिए किसी भी टीम ने नहीं चुना गया, हालांकि कि तेलगु टाइटन्स के अधिकारी ने पुष्टि करते हुए कहा कि उनके 'रवैया की समस्या' के कारण उनमें कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई गई। #5 संदीप कंडोला
संदीप को उनके भोले चेहरे और उनकी घातक शिकार करने के क्षमता की वजह से उन्हें बच्चे के चेहरे में गुप्तघातक जैसे उपनाम दिये जाते हैं। सीजन 2 में संदीप एक सितारे की तरह उभरा और 59 टैकल प्वाइंट के साथ रविन्दर पहल के बाद दूसरे सबसे ज्यादा टैकल प्वाइंट इकठ्ठा करने वाला खिलाड़ी रहा। सिर्फ 18 साल की उम्र में संदीप ने एंकल होल्ड प्रतिभा के कारण प्रशंसकों को अपने दीवाना बना दिया और जल्द ही बेस्ट डिफेंडर की लिस्ट में शामिल हो गया। हालांकि, वह नीलामी से पहले खिलाड़ी की सूची में शामिल नहीं होने के कारण सीज़न 5 का हिस्सा नहीं है और यह एक शर्म की बात है क्योंकि मैट पर उनकी मौजूदगी लीग में प्रतियोगिता बढ़ाने के लिए अच्छी होगी। लेखक- श्रेष्ठ जैन अनुवादक- सौम्या तिवारी