हैदराबाद में प्रो कबड्डी लीग के शुरुआती सफर के दौरान कुछ जाने पहचाने खिलाड़ियों का रंग तो देखने को मिला ही बल्कि साथ में इनकी छत्रछाया से निकलते हुए कुछ नई प्रतिभाओं को अपना प्रदर्शन दिखाने का मौका मिला। हालांकि हैदराबाद की घेरलू टीम तेलुगु टाइटंस के लिए यह सीजन अभी तक बिल्कुल भी उनके अनुकूल नहीं रहा है, टाइटंस को अब तक खेले गए कुल 6 मैच में सिर्फ 1 जीत हासिल हुई। गच्चीबाउली इंडोर स्टेडियम में खेले गए ग्यारह मैचों में कुछ रोमांचक मुठभेड़ों की मेजबानी की। जिसमें रेडरों ने विशेष रूप से अपनी प्रतिभा का शानदार प्रदर्शन करते हुए चतुराई से बेहतरीन रेड्स किए हैं। प्रदीप नारवाल ने जहां से पिछला सीजन खत्म किया था वहीं से इस नये सीजन की शुरूआत की है वहीं रोहित कुमार ने इस सीजन का पहला सुपर 10 प्वाइंट कमाये। हालांकि कई बार राहुल चौधरी अपनी ही छत्रछाया के नीचे खेलते नजर आये लेकिन नीलेश सालुंके ने कई चतुराई भरे रेड्स किए। 11 मैचों के शुरुआती सफर की समाप्ति के बाद आइये नजर डालते हैं हैदराबाद लेग के टॉप 5 रेडर्स पर: #5 मोनू गोयत- 2 मैच 16 प्वाइंट
अपने स्किपर परदीप नरवाल के साथ में इस सर्विस मैन ने बेहद ही अच्छा परफॉर्म किया है और 2 मैचों में 16 प्वाइंट अपनी झोली में डाले हैं। प्रदीप का साथ देते हुए मोनू ने पटना को दो मैचों में दो जीत दिलाई हैं। 27 रेड्स के साथ पटना की जीत में उनका मुख्य योगदान रहा। इस सीजन में मोनू ने 2 मैच खेले, मोनू ने तेलुगु टाइटंस के खिलाफ खेलते हुए पहले मैच में छह अंक हासिल किए लेकिन पटना की हाल में 43-36 में टाइटन्स के खिलाफ जीत दर्ज काफी शानदार रही। वहीं मेजबान के खिलाफ दूसरे मैच में मोनू ने सीजन का अपना पहला सुपर 10 हासिल किया और परदीप नरवाल के साथ टीम की जीत प्रमुख रोल निभाया। #4 रोहित कुमार- 1 मैच 10 प्वाइंट सीज़न से पहले कप्तान के बैंड को देखते हुए यह काफी स्पष्ट हो गया था कि रोहित कुमार टीम में लीड रेडर की भूमिका निभायेंगे और उन्होंने अपनी उपयोगिता साबित करते हुए पहले ही मैच में बुल्स ने टाइटंस पर जीत दर्ज करा दी। बुल्स के कप्तान ने मैच के शुरुआती कुछ क्षणों में बेहद मुश्किल प्वाइंट इकठ्ठा करके अपने इरादों को जता दिया और उसे आगे भी जारी रखा। जिसके बाद रोहित ने अजय कुमार के साथ मिलते हुए सीजन का अपना पहला सुपर 10 हासिल कर लिया। बेंगलुरू बुल्स के होम के लिए जब यह कारवां नागपुर की तरफ बढ़ेगा, तब यह देखना बाकि रहेगा कि बुल्स का अभियान कितना प्रभावशाली रहेगा। #3 निलेश सालुंके- 6 मैच 27 प्वांइट
सांलुके का प्रदर्शन प्रो कबड्डी लीग की सबसे निरंतरता भरे प्रदर्शनों में से एक रहा है। निलेश की मैट पर मौजूदगी टाइंटस के लिए एक प्लस प्वाइंट ही रही लेकिन उनकी निरंतरता भी उनकी टीम को जीत हासिल करने में सफल नहीं रही। टीम की तरफ से दूसरे रेडर की भूमिका निभाते हुए निलेश ने अक्सर राहुल चौधरी की अनुपस्थिति को मैट पर पूरा किया है और 6 मैचों में 27 प्वाइंट अपने खाते में जमा किए हैं। जिसमें हर मैच में 4.4 की औसत से 25 सफल रेड दर्ज हैं। नीलेश की बेस्ट परफॉर्मेंस तमिल थलाइवास के खिलाफ आयी। सीजन के शुरुआती गेम में नीलेश मे एक मैच मे सात रेड प्वाइंट इकठ्ठा किये। #2 राहुल चौधरी- 6 मैच 43 अंक
बेंगलुरू बुल्स के खिलाफ खेलते हुए प्रो कबड्डी लीग में 500 रेड प्वाइंट इकठ्ठा करते ही भारतीय कबड्डी के पोस्टर ब्वॉय राहुल चौधरी ने एक इतिहास रच दिया और इस बार नये सीजन में बेंगलुरु बुल्स और बंगाल वॉरियर्स के खिलाफ कुछ कमजोर प्रदर्शन को छोड़ कर पांचवें संस्करण में भी उनकी निरंतरता जारी है। हर मैच में 7.16 की औसत से रेड प्वाइंट लेते हुए राहुल चौधरी ने टाइटंस के लिए कई महत्वपूर्ण अंक इकठ्ठा किए। जिसमें नीलेश सालुंके ने उनका भरपूर साथ दिया । हालांकि उनके लगातार प्रयासों के बावजूद टाइंटस के परिणाम कुछ खास नहीं रहे और यह कप्तान आगे आने वाले मैचों में आगे बढ़कर टीम को लीड करने की उम्मीद करेंगे और कुछ जीत हासिल करना चाहेंगे। #1 परदीप नरवाल- 2 मैच 27 प्वाइंट सीजन चार में मोस्ट वैल्यूएबल प्लेयर के खिताब से नवाजे जा चुके प्रदीप ने इस नये सीजन में भी तीसरे और चौथे संस्करण के अपने शानदार प्रदर्शन को जारी रखा है। तेलुगु टाइटंस के खिलाफ खेले गये दोनों मैचों में उन्होंने दोनों ही गेम में सुपर 10 अंक पर छापा मारा। परदीप ने एक मैच में 15 तो दूसरे मैच में 12 अंक अपने नाम किए। पटना पाइरेट्स का कप्तान प्रो कबड्डी लीग में 300 रेड प्वाइंट से सिर्फ 10 अंक दूर है और हर मैच में 13.5 की औसत से रेड प्वाइंट इकठ्ठा करने वाला यह खिलाड़ी जल्द ही इस मील के पत्थर को पार कर लेगा और हमें उम्मीद है कि इस मंजिल तक पहुंचने में उन्हें बेंगलुरू बुल्स के खिलाफ होने वाले अगले मैच तक का ही समय लगेगा। ऐसे में इस खिलाड़ी को रोकने के लिए विपक्षी टीम के डिफेंडर को कुछ खास तक तकनीक का इस्तेमाल करना होगा। लेखक- प्रासेन मौडगल अनुवादक- सौम्या तिवारी