प्रो कबड्डी का सातवां सीजन पुनेरी पलटन के लिए इतना शानदार नहीं रहा और टीम प्लेऑफ की दौड़ से बाहर हो गई है। पुणे के 20 मैच के बाद सिर्फ 42 ही अंक हैं और वो अंक तालिका में नौवें स्थान पर हैं। भले ही टीम के तौर पुणे का प्रदर्शन उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाया, लेकिन मंजीत ने जरूर अपने प्रदर्शन से काफी प्रभावित किया।
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मंजीत ने अबतक खेले 21 मुकाबलों में 126 पॉइंट हासिल किए, उन्होंने रेड के साथ डिफेंस में भी टीम को अपना योगदान दिया। जब टीम के कई दिग्गज खिलाड़ी उम्मीद के मुताबिक के प्रदर्शन नहीं कर पाए, तब मंजीत जिम्मेदारी उठाई।
पंचकुला लेग के दौरान दंबग दिल्ली के खिलाफ हुए मुकाबलों के बाद मंजीत ने अपने प्रदर्शन और कबड्डी के अपने सफर के बारे में स्पोर्ट्सकीड़ा के साथ खास बातचीत की:
-मौजूदा सीजन में अपने प्रदर्शन को किस तरह देखते हैं आप और साथ ही में एक मुख्य रेडर की भूमिका निभाना कितनी बड़ी चुनौती थी?
-मेरा सीजन उतना ज्यादा खास तो नहीं, लेकिन ठीक-ठाक ही रहा। मैंने रेडिंग और डिफेंस दोनों रोल निभाए। दोनों में योगदान देकर अच्छा लगा। इस सीजन नितिन तोमर कुछ मुकाबले नहीं खेल पाए, तो मैं ही मेन रेडर था। सेकेंड रेडर और फर्स्ट रेडर के तौर पर खेलना काफी अलग था।
-कबड्डी खेलना आपने किस उम्र में शुरू किया और कब कबड्डी को ही अपना करियर बनाने का फैसला किया?
-मैं 16-17 की उम्र में 12वीं के बाद कबड्डी खेलना शुरू किया। पहले तो ही यह था कि कबड्डी से जो मिल जाए, लेकिन अब कबड्डी काफी ऊपर आ गई है। हमारे गांव में ज्यादा कोई कबड्डी नहीं खेलता था, मैंने मेरे अंकल को देखकर कबड्डी खेलना शुरू किया।
-कबड्डी खेलने के लिए आपको परिवार से किस तरह का समर्थन मिला?
-हमारे परिवार में सभी कुश्ती करते थे और मैं भी शुरुआत में कुश्ती ही करता था। अखाड़े में कुश्ती में काफी पैसे लगते थे और हमारे हालात थोड़े नाजुक थे, तभी मैंने कबड्डी खेलना शुरू किया।
-आपकी टीम के कोच अनूप कुमार हैं, आपने इस दौरान उनसे क्या-क्या सीखा?
-अनूप कुमार काफी कूल हैं, वो किसी भी प्रकार का दबाव नहीं देते हैं। उन्होंने हम सभी को अच्छी ट्रेनिंग दी। उनसे काफी कुछ सीखने को मिला है।
-मौजूदा दौर में फिटनेस का काफी महत्व है, इतने लंबे सीजन के लिए खुद को किस तरह फिट रखते हो?
-प्रो कबड्डी लगातार तीन महीने चलती है और इससे पहले जो कैंप लगते हैं, उसमें फिटनेस पर काफी ध्यान दिया जाता है। हमारे जो ट्रेनर है, वो सभी की फिजिकल फिटनेस पर काफी ध्यान देते हैं।
-प्रो कबड्डी में आने के बाद जिंदगी में किस तरह का बदलाव आया?
-पीकेएल में आने के बाद काफी बदलाव आया। पहले टूर्नामेंट खेलने में 11,000, 5100 मिलते थे और अब तो इसमें काफी इजाफा हुआ है।
-इस समय आप कबड्डी नहीं खेल रहे होते, तो अपने आप को कहां देखते आप? कबड्डी के अलावा कोई और पसंदीदा खेल?
-मैं कबड्डी नहीं खेल रहा होता, तो नॉर्मल जॉब कर रहा होता। कबड्डी से पहले कुश्ती खेलता था और अब वॉलीबॉल खेलना पसंद है।