Pro Kabaddi 2017, सीजन 5: वह 5 खिलाड़ी जो पुलिस अधिकारी भी हैं

भारत में क्रिकेट का बोलबाला रहता है। भारत के सबसे बड़ा खेल यानि क्रिकेट को "जेंटलमैन" खेल कहा जाता है। लेकिन यही बात भारत के घरेलू खेल यानि कबड्डी के बारे में नहीं कही जा सकती है क्योंकि इसमें पूरे शरीर के बहुत सारे अंग संपर्क में आते हैं। हालांकि, यह खेल निश्चित रूप से हमारी राष्ट्र की भावना का प्रतीक है। इस खेल में कई ऐसे खिलाड़ी भी शामिल हैं जो राष्ट्र भावना से ओत-प्रोत होकर कबड्डी से इतर अपनी एक नई पहचान बना रहे हैं। मैदान पर दिखने वाले दृढ़ संकल्प, समर्पण के साथ-साथ मजबूत लंबी-चौड़ी और सुद्दढ फ्रेम के यह पांच खिलाड़ी पुलिस की भूमिका में अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे हैं। इन सभी पांच प्रतिभाशाली कबड्डी खिलाड़ियों ने अपने दम पर अपने प्रतिभा का प्रदर्शन किया है और अपने संबंधित राज्य पुलिस विभागों में खुद के लिए कुछ प्रतिष्ठित पदों को अर्जित किया है। आज हम बतायेंगे ऐसे ही पांच खिलाड़ियों के बारें में जो अपना टैलेंट कबड्डी की मैट के साथ साथ पुलिस विभाग में भी दिखा रहे हैं- महेन्द्र गणेश राजपूत

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नीलामी के दौरान गुजरात फार्च्यूनजायंट्स द्वारा खरीदा गया यह दुबला पतला सा फुर्तीला खिलाड़ी महाराष्ट्र पुलिस में एक अधिकारी के तौर पर काम करता है। प्रो कबड्डी लीग में खेले गए अब तक के 32 मैचों में राजपूत ने 103 अंक जिसमें 95 रेड प्वाइंट शामिल हैं। इस बार टीम के दिग्गज खिलाड़ी सुकेश हेगड़े के साथ आक्रामण का जिम्मा संभालने की जिम्मेदारी उनके कंधों पर होगी। कबड्डी बेहद ही फुर्ती वाला खेल है, लेकिन महेंद्र राजपूत अपने नौकरी ने किसी प्रकार से शर्माते नहीं हैं और बताते हैं, ‘’जब मैं कबड्डी नहीं खेल रहा होता हूं, तो मैं महाराष्ट्र पुलिस के लिए अपनी कर्तव्यों का पालन करता हूं।‘’ बाजीराव होडगे

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बाजीराव को दबंग दिल्ली की टीम ने नीलामी में 44.50 लाखे के सौदे के साथ खरीदा था, लेकिन बाजीराव एक ऐसा व्यक्ति हैं जो पुलिस की वर्दी में किसी तरह की कोई सौदेबाजी नहीं करेगा। बंगाल वॉरियर के अपने पुराने साथी महेन्द्र गणेश राजपूत की तरह ही बाजीराव महाराष्ट्र पुलिस के लिए कार्यरत हैं। टीम में डिफेंस का एक छोर संभाले बाजीराव के सामने कई रेडर्स भी हार मान जाते हैं, ठीक उसी तरह ही वह अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन पुलिस फोर्स के लिए करते हैं। जब वे प्रो कबड्डी लीग में व्यस्त नहीं होते हैं तब यह दोनों महाराष्ट्र पुलिस अधिकारी नियमित रूप से राज्य विभाग की टीम के साथ अभ्यास करते हैं। इसके अलावा उन्होंने साथ ही साथ कुछ टूर्नामेंट भी जीते हैं। सोनू नारवाल

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सोनू नरवाल 2010 में हुई एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक विजेता भारतीय टीम का हिस्सा थे और यही वह समय था जब हरियाणा रेडर के लिए सभी क्षेत्रों में प्रशंसा और तारीफें शुरू हो गई थीं। इसके बाद, उन्हें स्वर्ण पदक विजेता टीम का हिस्सा होने के लिए हरियाणा पुलिस में डीएसपी का पद दिया गया था और आधिकारिक नौकरी के लिए आवश्यक प्रशिक्षण पाने के लिए उन्हें प्रो कबड्डी लीग के पहले सीजन को छोड़ना पड़ा था। हालंकि उन्होंने जल्द वापसी करते हुए रेडिंग की दुनिया में जयपुर पिंक पैंथर्स के साथ वापस आने की घोषणा कर दी। अगर कोई सोनू से पूछता है कि वह किस चीज को ज्यादा इंन्जॉय करते हैं अपराधियों को पकड़ने में या कबड्डी खेलने में, तो सोनू कहते हैं, "जब मैं अपनी (पुलिस) नौकरी करता हूं, तब मैं अपराधियों को पकड़ने का आनंद लेता हूं और जब मैं खेलता हूं, तब मैं खेल का आनंद उठाता हूं। मैं दोनों चीजों को मिलाकर नहीं कर सकता मैं पुलिस में खेल कोटे की वजह से ही हूं।" अजय ठाकुर

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प्रो कबड्डी लीग में कई खराब प्रदर्शनों के बाद आखिरकार अक्टूबर में कबड्डी विश्व कप ने भारत के स्टार रेडर अजय ठाकुर का पुनर्जन्म देखा। जिसमें उन्होंने सबसे ज्यादा रेड प्वाइंट हासिल करते हुए, टूर्नामेंट का बेस्ट रेडर बनकर विश्व कप का सफर समाप्त किया। ये अवॉर्ड उनके द्वारा जीते हुए सभी अवॉर्ड में सबसे प्रतिष्ठित था, जिसके लिए उन्हें राज्य सरकार की तरफ से पुरस्कार भी दिया गया। अप्रैल में हुई कैबिनेट की मीटिंग में उन्हें हिमाचल में पुलिस अधीक्षक के रूप में ठाकुर को नियुक्त करने का निर्णय लिया गया। विश्व कप में उनके प्रदर्शन और हालही में हुई आधिकारिक नियुक्ति के बाद अजय एक नये आयाम को छू रहे हैं लेकिन अब ये देखना बाकि है कि वह अपने प्रदर्शन को क्या प्रो कबड्डी लीग में भी जारी रख पायेंगे। अनूप कुमार

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कैप्टन कूल के नाम से मशहूर सबके चहेते खिलाड़ी अनूप कुमार का भारतीय टीम के साथ एक शानदार करियर रहा है। भारतीय कबड्डी टीम ने एशियन गेम्स, साउथ एशियन गेम्स और विश्वकप उन्हीं की कप्तानी में जीता है। इस शानदार रेडर का एक और रूप है, जो खाकी वर्दी में सामने आता है। अनूप हरियाणा पुलिस में डिप्टी कमिश्नर के पद पर तैनात हैं। इस प्रकार वह अपने पिता रनसिंह यादव के नक्शे कदम पर चल रहे हैं, जो भारतीय आर्मी में सूबेदार के पद पर तैनात थे। अनूप ताकत और रणनीति का सही मिश्रण हैं, इसलिए जब वह मैट पर होते हैं तो कबड्डी के बेहतरीन खिलाड़ी हैं और ड्यूटी पर रहते हुए एक शानदार पुलिस ऑफिसर होते हैं। लेखक- विधि शाह अनुवादक- सौम्या तिवारी

Edited by Staff Editor
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