Rio Olympics 2016: भारतीय दल के 12 एथलीट्स के बारे में अनोखी बातें

रियो ओलंपिक्स के शुरू होने में अब बस कुछ ही दिन बाकी हैं और लंदन गेम्स की सफलता के बाद अब रियो में होने वाले ओलंपिक में सबकी उम्मीदे भारतीय दल से और बढ़ गई हैं। 2012 में भारत ने 6 मेडल अपने नाम किए थे। भारतीय दल में इस बार कई पूर्व और मौजूदा वर्ल्ड चैम्पियंस, वर्ल्ड रिकॉर्ड होल्डर्स, ओलंपिक मेडलिस्ट और कई ऐसे एथलीट शामिल हैं जिनसे मेडल की उम्मीद है। इस बार रियो में होने वाले खेलों के महाकुंभ में 10 से ज्यादा मेडल आने की उम्मीद की जा रही है। आइये नज़र डालते हैं उन 12 एथलीट्स पर, जिन्होंने लंदन ओलंपिक्स के बाद शानदार रिकॉर्ड्स बनाए हैं। 1- संदीप तोमर sandeep-tomar-1467212810-800 रेसलिंग: कॉन्टिनेन्टल रैंकिंग- 1 और वर्ल्ड रैंकिंग- 4 24 वर्षीय रेसलर, जो उत्तर प्रदेश के मालकपुर गांव से आते है, वो इस समय 57 किलो के वर्ग में मौजूदा एशियन चैम्पियन हैं। उन्होंने यूक्रेन के दो बार के कैडेट वर्ल्ड चैम्पियन एंड्री यतसेंको को मंगोलिया ओलंपिक क्वालिफायर में हराकर ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया था और रियो ओलंपिक में अपनी जगह पक्की की थी। संदीप का यह प्रदर्शन इसलिए भी खास था, क्योंकि वो रियो ओलंपिक में जगह बनाने वाले चौथे भारतीय रेसलर थे, उनसे पहले योगेश्वर दत्त, नरसिंह यादव और हरदीप सिंह भी ओलंपिक्स के लिए क्वालीफ़ाय कर चुके हैं। इससे पहले संदीप ने 2016 एशियन चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता था और वो इस प्रदर्शन को रियो में भी दोहराना चाहेंगे। 2- सुधा सिंह sudha-singh-1467212895-800

300 मीटर स्टिपलचेज़: लगातार तीन बार एशियन एथलीट्स चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल विजेता भारत की सुधा सिंह ने 2010 में जब चाइना में गोल्ड मेडल जीता था, उसके बाद से ही वो स्टिपलचेज़ में भारत के लिए लगातार अच्छा करती आ रही है। मुंबई में सेंट्रल रेलवे में नौकरी करने वाली सुधा ने सबसे पहले 2009 एशियन एथलीट्स चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल अपने नाम किया, उसके बाद 2011 और 2013 में भी उन्होंने सिल्वर मेडल पर कब्जा किया। इसके अलावा वो 2014 में हुई मुंबई मैराथन के हाल्फ मैराथन वर्ग की वो विजेता भी रह चुकी है और साथ ही में वो 2014 में हुई एयरटेल दिल्ली हाल्फ मैराथन में भी वो रनर अप रहीं थीं। उन्होंने ओलंपिक में अपना स्थान 2016 में दिल्ली में फेडरेशन कप के 300 मीटर स्टिपलचेज़ में दूसरे स्थान पर आकर पक्का किया। एक महीने बाद ही उन्होंने शंघाई में हुए इंटरनेशनल एमेच्योर एथलीट्स फेडरेशन डाइमंड लीग मीट में इंडिया के लिए रिकॉर्ड प्रदर्शन किया था।
3- हरदीप सिंह hardeep-singh-1467213143-800 रेसलिंग: पहले भारतीय ग्रीको- रोमन ग्रैप्लर, जिन्होंने हैविवेट वर्ग में ओलंपिक में जगह बनाई

हरदीप सिंह ने ग्रीको-रोमन रेसलिंग में रियो ओलंपिक में अपना स्थान पक्का किया था, इससे सब हैरान रह गए थे। 2004 एथेंस गेम्स के बाद यह पहला मौका होगा जब कोई इंडियन ग्रीको- रोमन रेसलर ओलंपिक में हिस्सा लेंगे। हरदीप से पहले भारत की तरफ से हैविवेट ग्रीको- रोमन रेसलर हैं, जो ओलंपिक्स में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे। हरदीप जो हरयाणा के दोहला गांव से आते है, उन्होंने पहले मार्च में अस्ताना में हुए एशियन ओलंपिक क्वालीफ़ाइंग टूर्नामेंट में अपनी जगह बनाई, उसके बाद उन्होंने सेमीफ़ाइनल में कज़ाकिस्तान के मरगुलन को 10-2 से हराकर ओलंपिक में जगह बनाई। 4- सीमा पूनिया seema-punia-1467213289-800 डिस्कस थ्रो: 2008 के चैम्पियन को हराकर रियो गेम्स में अपनी जगह बनाई सीमा पूनिया ने स्टेफनी ब्राउन ट्रैफ्टन को कैलिफोर्निया में हुए पैट यंग थ्रोअर्स क्लासिक में शिकस्त देकर गोल्ड जीता। 2014 एशियन गेम्स चैंपियन ने 2016 ओलंपिक्स गेम्स क्वालीफिकेशन में डिस्क को 62.62 मीटर दूर फेंका था। स्टेफनी ने डिस्क को 60.50 मीटर दूर फेंका और सिल्वर मेडल अपने नाम किया। हरियाणा के सोनीपत से आने वाली सीमा पूनिया का यह तीसरा ओलंपिक्स होगा, इससे पहले वो 2004 और 2012 में भी हिस्सा ले चुकी हैं। 5- विनेश फोगट 4-1464703772-800-1467216581-800 रेसलिंग: 7 प्रतियोगिता में 6 मेडल रियो ओलंपिक्स में इंडिया को विनेश फोगट से मेडल की काफी उम्मीदे हैं। हरियाणा की रहने वाली विनेश, गीता फोगट की बहन है, जोकि भारत की सबसे पहली विमेन रेसलर भी हैं। विनेश ने सबसे पहले अपनी पहचान 2013 में हुए एशियन रेसलिंग चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज़ मेडल जीतकर बनाई। वो 48 किलो वर्ग में राष्ट्रमंडल खेलों की मौजूदा चैम्पियन भी है। उन्होंने पिछले कुछ सालों में शानदार प्रदर्शन किया है। मंगोलिया में हुए ओलंपिक क्वालिफ़ाइंग टूर्नामेंट में 400 ग्राम वजन ज्यादा होने के कारण उन्हें डिसक्वालीफाइ कर दिया गया था, लेकिन 21 वर्षीय इस रेसलर ने इस्तांबुल में हुए आखिरी क्वालीफ़ाइंग टूर्नामेंट में गोल्ड जीतकर ओलंपिक में अपनी जगह बनाई। 6- ललिता बाबर

300 मीटर स्टिपलचेज़: पिछले साल सबसे तेज़ रेस पूरी की- 9.27.09 lalita-babar-1467213532-800 एशियन चैम्पियन बाबर ने 9:34:13 में रेस पूरी करकर उन्होंने अपना, नेशनल और चाइना में हुए एशियन चैंपियनशिप का रिकॉर्ड भी तोड़ा और 2016 में होने वाले ओलंपिक्स में अपनी जगह पक्की की।
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दो महीने बाद उन्होंने एक प्रतियोगिता में 9:27:86 में रेस पूरी करकर वो पहली भारतीय महिला बनी, जिन्होंने बीजिंग में होने वाले वर्ल्ड चैंपियनशिप के फ़ाइनल के लिए क्वालिफाय किया।
अगर वो मेडल जीती तो, यह भारत की तरफ से फील्ड में मेडल वाली पहली खिलाड़ी होंगी।
7- नरसिंह यादव narsingh-yadav-1467213786-800 .रेसलिंग: पिछले 22 महीनों में 5 स्थान से नीचे नहीं गए

नरसिंह यादव का नाम सबकी जुबान पर तब आया, जब उन्हें सुशील कुमार से ऊपर तर्जी दी गई और उन्हें ओलंपिक में जाने का मौका मिला। रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया और दिल्ली हाई कोर्ट ने नरसिंह को रियो जाने का हकदार बताया। कोर्ट में जंग लड़ने से पहले, मुंबई के इस रेसलर ने अपना नाम इतिहास में तब दर्ज कराया, जब वो पहले भारतीय रेसलर बने, जिन्होंने वर्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड जीतकर ओलंपिक्स में क्वालीफाय किया। नरसिंह 74 किलो वर्ग में लड़ते है और 2012 लंदन गेम्स के बाद 9 टूर्नामेंट में हिस्सा लिया है और हर बार वो टॉप 5 में आए हैं। नरसिंह यादव प्रो रेसलिंग लीग में एक भी मैच नहीं हारे थे और तभी से रियो में मेडल की उम्मीद बढ़ गई है। 8- दीपिका कुमारी deepika-kumari-1467214151-800 तीरंदाज़ी: विमेंस रिकर्व इवेंट में वर्ल्ड रिकॉर्ड होल्डर दीपिका कुमारी तीरंदाज़ी में भारतीय खेमे की एक पहचान है और वह इंडिया की तरफ से रैंक में सबसे ऊपर भी हैं। उनके नाम तीरंदाज़ी वर्ल्ड कप में 72 रैंकिंग एरो में 720 में 686 का स्कोर करकर साउथ कोरिया की को बो बे के स्कोर की बराबरी की और वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया। 21 वर्षीय दीपिका ने 2012 में हुए लंदन ओलंपिक्स में भी हिस्सा लिआ, लेकिन वो पहले ही राउंड में बाहर हो गईं थीं। इस बार वो सिंगल और टीम इवेंट दोनों में हिस्सा लेंगी, टीम इवेंट में उनका साथ देंगी बोम्बाल्य देवी और लक्ष्मीरानी माझी। उन्हें बस इस साल थोड़ी किस्मत की जरूरत होगी, ताकि वो जीत हासिल कर सके। 9- दूती चंद dutee-chand-1467214341-800 100 मीटर रेस: पीटी उषा के बाद ओलंपिक में जगह बनाने वाली पहली भारतीय धावक 20 वर्षीय धावक ने रियो ओलंपिक में क्वालीफ़ाई करकर मानों एक इतिहास सा रचा हो। उन्होंने कज़ाकिस्तान में हुए इंटरनेशनल मीटिंग में 100 मीटर रेस 11.24 सेकंड में पूरी की और ओलंपिक में क्वालिफ़ाई करने के लिए उन्होंने 11.32 सेकंड का समय लिया। उससे पहले उन्होंने 2016 फेडरेशन कप में 16 साल पुराना 11.38 का रिकॉर्ड तोड़ा और 11.33 सेकंड में रेस पूरी की। उनका सफर इतना आसान नहीं रहा। 2014 राष्ट्रमंडल खेलों से पहले उन्हें बैन कर दिया गया था। हालांकि अगले साल उन्होंने जेंडर केस जीतकर वापसी की। रियो के अलावा, उनके पास बहुत लंबा करियर बाकी हैं। 10 जीतू राय jitu-rai-1467214544-800 शूटिंग: वर्ल्ड नंबर 1 पिस्टल शूटर जीतू राय से इस साल मेडल की सबसे ज्यादा उम्मीद हैं। उन्होंने 2014 में हुए 50 मीटर पिस्टल इवेंट में अपनी सबसे अच्छी 4 रैंकिंग हासिल की। 50 मीटर एयर पिस्टल में मौजूदा नंबर 1, जो दूसरी बार नंबर 1 बने हैं, इसके अलावा वो 10 मीटर एयर पिस्टल में वो 7वे स्थान पर हैं। 2014 में उन्होंने एक नया रिकॉर्ड बनाया और दोनों राष्ट्रमंडल खेलों में और एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल अपने नाम किया। पिछले हफ्ते उन्होंने तीन बार के ओलंपिक चैम्पियन कोरिया के जोंगो जिन को हराकर छठी बार वर्ल्ड कप में मेडल अपने नाम किया और बैंकॉक के बाद यह उनका इस साल का दूसरा मेडल है। 11- योगेश्वर दत्त yogeshwar-dutt-1467214603-800 रेसलिंग: पिछले 5 सालों में 5 गोल्ड मेडल भारत के स्टार रेसलर योगेश्वर दत्त ने लंदन गेम्स के बाद अपना शानदार प्रदर्शन जारी रखा है और अपने पिछले 5 टूर्नामेंट में उन्होंने 5 गोल्ड मेडल अपने नाम किए हैं। 2012 के ओलंपिक ब्रॉन्ज मेडलिस्ट ने एशियन ओलंपिक क्वालीफ़िकेशन टूर्नामेंट में भारत को जगह दिलाई।

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दत्त जोकि एंकल होल्ड के लिए मशहूर है और वो डबल लेग टैकल भी काफी अच्छा करते है और उनकी नज़र गोल्ड मेडल पर ही होंगी। रियो ओलंपिक योगेश्वर का चौथा ओलंपिक होगा। वो इस साल 65 किलो वर्ग में हिस्सा के रहे हैं।

#12 दीपा करमाकर

dipa-karmakar-1467214765-800 जिमनास्ट: पहली भारतीय महिला जिन्होंने ओलंपिक्स के लिए क्वालीफ़ाई किया

दीपा करमाकर ने रियो ओलंपिक्स में क्वालीफ़ाई कर एक बात तो साबित कर दी कि ऐसी कोई चीज नहीं है, जोकि भारत की महिलाए नहीं कर सकती। 24 वर्षीय दीपा ने 52.698 के शानदार स्कोर के साथ ओलंपिक्स क्वालीफ़ाइंग टेस्ट इवेंट को पास किया और 52 सालों में ओलंपिक्स में क्वालिफ़ाय करने वाली पहली भारतीय महिला जिमनास्ट बनी। क्या वो रियो में मेडल ला सकती हैं? लेखक- शुवरो घोषल, अनुवादक- मयंक महता