ओलंपिक्स इतिहास में ऐसे कई खिलाड़ी हैं जिन्होंने हिस्सा लिया, लेकिन इसमें कामयाब न होने के बाद उनमें से कई खिलाडी आनेवाली पीढ़ी को कामयाब होने के तरीके सीखाने लगे हैं। ये रहे 5 पूर्व ओलंपिक खिलाड़ी जो अभी भारत के युवाओं को ट्रेनिंग दे रहे हैं: 1. पी.टी. उषा करीब दो दशक तक चले एक कमाल के करियर के बाद पी.टी. उषा ने सोचा की खेल को वापस कुछ न् कुछ देना चाहिए। इसलिए उन्होंने केरल के कोझिकोड में स्कूल ऑफ एथेलेटिक्स शुरू की। यहाँ पर पी.टी. उषा खुद और अपने काबिल कोच के देख रेख में प्रतिभा को ढूँढ़ते हैं और फिर उसे निखारते हैं। इसका कमाल देखा जा सकता है, टिंटु लुका जो रियो ओलंपिक्स में हिस्सा लेंगी वो पी.टी. उषा की स्कूल की छात्रा हैं। फ़िलहाल इस स्कूल में 18 खिलाड़ियों की ट्रेनिंग हो रही है और उम्मीद है कि हमे भविष्य में अच्छे खिलाडी मिलेंगे। 2. पुलेला गोपीचंद अपने पूरे करियर में पुलेला गोपीचंद ने केवल एक ही ओलंपिक में हिस्सा लिया और वो थी सिडनी ओलंपिक्स। हालांकि वहां पर उनका प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा और वें राउंड ऑफ़ 16 में इंडोनेशिया के हेनड्रान के हाथों हार कर बाहर हो गए। लेकिन कुछ ही लोगों को मालूम था कि अपने करियर के बाद वे हैदराबाद में अपने अकादमी के माध्यम से युवाओं को ट्रेनिंग देंगे। अकादमी के लिए सबसे गर्व की बात 2012 में थी, जब इस अकादमी की खिलाडी साइन नेहवाल को कांस्य पदक मिला। वे वापस 2016 के रियो ओलंपिक्स में हिस्सा ले रही है और उम्मीद करेंगे की वें अपने देश का नाम ऊँचा करें। फ़िलहाल यहाँ पर पीवी सिंधु, किदाम्बी श्रीकांत जैसे खिलाडी ट्रेनिंग कर रहे हैं और अगस्त में वें भी साइन नेहवाल की तरह ही कुछ करना चाहेंगे। 3. दीपाली देशपांडे दीपाली देशपांडे ने भारत की ओर से केवल एक ही ओलंपिक्स, एथेंस 2004 में हिस्सा लिया। महिलाओं की 50 मीटर राइफल 3 पोजीशन ईवेंट में उन्हें 19 वां स्थान मिला। लेकिन मुम्बई की इस खिलाडी ने जसपाल राणा के साथ मिलकर युवाओं को ट्रेनिंग देने का काम शुरू किया हैं। देशपांडे अभी जूनियर राइफल कोच हैं और दिल्ली में हुए एयरएशियाई शूटिंग चैंपियनशिप नतीजों पर गौर करें तो हमे पता चलेगा कि युवा शूटर्स का भविष्य सही हाथों में है। 4. वीरेन रासकिन्हा वीरेन रासकिन्हा ने भारत की ओर से एथेंस ओलंपिक्स में हिस्सा लिया और उन्हें 7 वां स्थान हासिल हुआ। उनके 6 साल के करियर में उन्होंने करीब 180 मैच खेले और फिर एक दिन इसे दूर होने का निर्णय करते हुए उन्होंने हैदराबाद के इंडियन स्कूल ऑफ बिज़नस से MBA करने के निर्णय किया। खेल की दुनिया में यहाँ से बदलाव शुरू हुआ। अपनी पढाई पूरी कर के वीरेन रासकिन्हा ने प्रकाश पादुकोणे और गीत सेठी के साथ मिककर ओलिंपिक गोल्ड क्वेस्ट नामक संस्था शुरू की। ये संस्था ज़रूरतमंद खिलाडियों को सहायता देती है। इससे करीब 100 खिलाडी जुड़े हुए हैं और उनमें से कई इस साल अगस्त में रियो ओलंपिक्स में भी हिस्सा लेंगे। 5. तुषार खांडेकर झाँसी के तुषार खांडेकर के लिए हॉकी में सबसे यादगार लम्हा 2010 ग्वांग्झू के एशियाई खेल में आया जब उनकी गोल की मदद से भारतीय टीम ने कांस्य पदक अपने नाम किया। अपने करियर के बाद वें अब पुरुषों की टीम में सप्पोर्ट स्टाफ के सादस्य हैं और आने वाले ओलंपिक्स में भारत को 36 साल बाद पदक दिलवाएंगे। लेखक: शंकर नारायण, अनुवादक: सूर्यकांत त्रिपाठी