ओलंपिक के 120 साल के इतिहास में भारतीय टीमों ने कई हिस्सा लेकिन फिर भी पदकों की संख्या कम है। हालांकि पिछले 100 के मुकाबले इस समय हमें कई यादगार पल देखने मिले हैं। ये रहे ऐसे ही 5 यादगार लम्हे: 1. अभिनव बिंद्रा भले ही अभिनव बिंद्रा ने ओलम्पिक की शुरुआत 2004 एथेंस ओलंपिक से की हो, लेकिन उन्हें असली कामयाबी 2008 बीजिंग ओलंपिक से मिली। चीन की राजधानी में 33 वर्षीय बिंद्रा ने 10 मीटर एयर राइफल शूटिंग में स्वर्ण पदक जीता। पहले 596 अंकों के साथ उन्हें चौथा स्थान मिला और फिर बाद में उन्होंने 104.5 अंक हासिल किये, जिसमे से आखरी शॉट में उन्हें 10.8 अंक मिले। ये सभी के लिए भावुक पल था और यहाँ पर देहरादून के अभिनव बिंद्रा ने इतिहास में अपना नाम दर्ज करवा लिया। 2. सुशील कुमार ओलंपिक पदक जीतने के लिए आपको दृढ़ संकल्प और धैर्य की ज़रूरत होती है। सुशिल कुमार ने एक नहीं बल्कि दो ओलंपिक पदक जीते हैं और वो भी लगातार दो ओलंपिक में। 2008 के खेलों में उन्होंने लियोनिद स्पीरिदोनोव को हराकर कांस्य पदक जीता और इसके चार साल बाद उन्हें फाइनल में तत्सुहिरो योनेमित्सु के हातों हार के बाद रजत पदक मिला। भले ही सुशिल कुमार स्वर्ण पदक जीतने में असफल रहे हों, लेकिन उन्होंने दोनों ओलंपिक में पदक ला कर सभी को ख़ुशी दिलाई। 3. कर्णम मल्लेश्वरी सिडनी 2000 ओलंपिक तक किसी भी महिला ने कामयाबी हासिल नहीं की थी। लेकिन सिडनी 2000 ओलंपिक में इतिहास रचते हुए कर्णम मल्लेश्वरी ने 69 किलो वेट लिफ्टिंग प्रतियोगिता में कांस्य पदक हासिल किया। ये उनकी दूसरी बड़ी जीत थी, क्योंकि इसके पहले उन्होंने साल 1999 में बैंकॉक में हुए एशियाई खेल में रजत पदक हासिल किया। उनके बाद मैरी कॉम और साइन नेहवाल जैसी महिला खिलाडियों ने लंदन 2012 ओलंपिक में पदक हासिल किया। 4. के डी जाधव भारत के लिए 1952 हेलसिंकी ओलंपिक बेहद खास था, क्योंकि ये आजादी पाने के बाद पहला ओलंपिक था। यहाँ पर के डी जाधव ने बैंटमवेट कैटेगिरी में कांस्य पदक हासिल क़िया। उन्होंने फ़िनलैंड पहुचने के लिए काफी संगर्ष किया, इसलिए उनके लिए ये पदक बेहद खास था। वें अपने गांव में अपने परिवार के साथ घूमकर पैसे मांगने लगे ताकि वें ओलंपिक में हिस्सा ले सकें। तब उनकी मदद पटियाला के राजा ने की और फिर वें ट्रायल्स में जा पाए। 5. लिएंडर पेस 1992 बार्सिलोना ओलंपिक्स में लिएंडर पेस ने अपनी काबिलियत दिखा दी थी और इसके चार साल बाद एटलांटा ओलम्पिक में वें वापस लौटे ये दिखाने के लिए कि सभी की उम्मीदों पर वें कितने कायम है। लिएंडर पेस ने आगे बढ़ते हुए वहां पर कांस्य पदक जीता और इसी के साथ पिता-पुत्र की जोड़ी ने अपने अपने समय में कांस्य पदक जीत लिया। 43 वर्षीय लिएंडर पेस अपने 7 वें ओलंपिक में हिस्सा लेंगे और डबल मुकाबले में पदक जीतकर अपने शानदार करियर को ऊंचाई पर खत्म करना चाहेंगे। लेखक: शंकर नारायण, अनुवादक: सूर्यकांत त्रिपाठी