5 भारतीय एथलीट जिनकी ताकत उन्हें मेडल जीतने में मदद करेगी

ओलंपिक्स में हिस्सा लेना किसी भी एथलीट के लिए बड़ी उपलब्धि होती है। एथलीट्स का सपना होता है कि वो अपने करियर में कम से कम एक ओलंपिक मेडल जरुर जीतें। हम सभी अपने एथलीटों को अच्छा प्रदर्शन करते देखना चाहते हैं किसी भी एथलीट द्वारा अच्छा प्रदर्शन करने के लिए उसकी स्ट्रैंथ और स्टैमिना पर कंट्रोल होना चाहिए। सभी एथलीटों को मुश्किल हालातों से निपटना आना चाहिए, क्योंकि वही हालात नतीजे को प्रभावित कर सकते हैं। भारतीय फैंस अपने पसंदीदा खिलाड़ियों से मेडल की उम्मीद लगाए बैठे हैं। आइए नजर डालते हैं भारतीय टीम के 5 खिलाड़ियों पर, जिन्हें मेडल हासिल करने के लिए अपना पूरा दमखम लगाना पड़ेगा। # विकास कृष्ण vikas 23 साल के हरियाणा के विकास कृष्ण रियो गए भारतीय दल में 3 सदस्यीय बॉक्सिंग दल का हिस्सा हैं, वो रियो में मेडल लाने की पूरी कोशिश करेंगे। पहले राउंड में उनका सामना अमेरिका के चार्ल्स कॉनवैल से होगा, जहां विकास अपना अनुभव काम में लाकर जीत हासिल करना चाहेंगे। दुनिया में छठी वरीयता प्राप्त बॉक्सर विकास को मेडल हासिल करने के लिए अपना 100 प्रतिशत देना होगा। लंदन 2012 ओलंपिक्स में अंकों के आधार पर 13-11 से जीत हासिल करने के बाद भी उनका बाहर होना पड़ा। लंदन ओलंपिक के 4 साल बीत जाने के बाद अब विकास बॉक्सर के रूप में काफी अच्छी स्थिति में है। विकास ने वर्ल्ड बॉक्सिंग क्वालीफायर 2016 में ब्रॉन्ज जीतकर रियो के लिए क्वालीफाई किया था। विकास अब मिडलवेट कैटेग्री में आ गए हैं। JSW स्पोर्ट्स एक्सीलेंस प्रोग्राम के बॉक्सर विकास अब स्पीड को ज्यादा अच्छे से इस्तेमाल करना चाहेंगे। उनका लाइव वेट रिकॉर्ड काफी शानदार रहा है, उन्होंने 2010 एशियन गेम्स में गोल्ड जीता था। उसके बाद उन्होंने 75 किलोग्राम वर्ग में स्विच कर लिया था, इसी वर्ग में विजेंदर सिंह ने साल 2008 में बीजिंग ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीता था। विजेंदर और विकास एक ही क्लब से आते हैं और दोनों ही एक कैटेगरी में लडते हैं। सभी को उम्मीद है कि विकास मेडल के साथ लौटेंगे। 2012 को भुलाकर विकास को अब अपनी मानसिक शक्ति और अपनी ताकत का प्रदर्शन कर देश को मेडल दिलाना होगा। # विकास गौड़ा jsw gowda विकास गौडा़ भारतीय दल के सबसे अनुभवी एथलीट्स में से एक हैं। विकास गौड़ा अपने ज्ञान और ट्रेनिंग का इस्तेमाल सही दिशा में कर देश को मेडल दिलवाना चाहेंगे। विकास गौड़ा ने 2012 लंदन ओलंपिक्स में डिस्कस थ्रो में आठवां स्थान हासिल किया था। विकास गौड़ा का प्रयास होगा कि वो इस बार औऱ अच्छा प्रदर्शन कर टॉप 3 में जगह बनाए। विकास ने एशियन एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2015 में गोल्ड, 2014 एशियन गेम्स में सिल्वर और 2014 कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड जीता था। विकास को रियो से पहले हल्की कंधे की चोट लग गई थी। उम्मीद है कि वो 12 अगस्त को होने वाले इवेंट में अच्छा प्रदर्शन करेंगे। विकास गौड़ा को अपनी कंधे की चोट को बुलाकर पूरी एकाग्रता और स्ट्रैंथ के साथ डिस्कस फेंकनी होगी। # नरसिंह यादव jsw yadav नरसिंह यादव पिछले काफी समय से खेल की बजाय दूसरी बातों को लेकर ज्यादा चर्चा में रहे हैं। पुरानी बातों को भुलाकर वो अपना ध्यान सिर्फ और सिर्फ मेडल पर लगाना चाहेंगे। डोप टेस्ट में फेल होने के बाद NADA ने नरसिंह को दोषमुक्त करार दिया और उन्हें रियो में हिस्सा लेने के मान्य बताया। नरसिंह को अपना ध्यान मैचों पर लगाएंगे। JSW स्पोर्ट्स एक्सीलैंस प्रोग्राम के तहत आने वाले नरसिंह यादव को यादव की उम्मीदों का भार उठाना है। रैसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया ने उन्हें सुशील कुमार से भी आगे भेजा है। नरसिंह यादव के लिए 2016 काफी उतार चढाव भरा रहा है, लेकिन वो जानते हैं कि मेडल हासिल करने के लिए उन्हें क्या करना है। यादव को अपना गोल पूरा करने के लिए अब लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित कर अपनी स्ट्रैंथ पर जोर देना होगा। # दीपा कर्माकर jsw deepa दीपा कर्माकर ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने वाली एकलौती जिम्नास्ट हैं। जिमनास्टिक्स भारत में ज्यादा पॉपुलर नहीं है, लेकिन फिर भी उन्होंने चुनौतियों को पीछे छोड़कर अपनी खास पहचान बनाई है। मीडिया अटेंशन से ध्यान हटाकर दीपा सिर्फ और सिर्फ अपनी तैयारी पर जोर देने में लगी हैं। वो मेडल हासिल करने के लिए अपने कोच द्वारा बताई गई रणनीति का सही से पालन करना चाहेंगी। उनका सामना ऐसे जिमनास्ट्स के साथ होगा, जोकि इस खेल में काफी समय से हैं और जिनके पास दुनिया की तमाम अच्छी सुविधाएं हैं। दीपा कर्माकर को अपनी खास जगह बनाने के लिए मैंटल स्ट्रैंथ का इस्तेमाल करना होगा ताकि वो अच्छा परफॉर्म कर पाएँ प्रोडूनोवा, जोकि सबसे कठिन मूव माना जाता है, दीपा उसे अच्छे से कर मेडल की आस बंधाए रखना चाहेंगी। # ललिता बाबर jsw lalatia ललिता बाबर 2016 रियो ओलंपिक के 3000m स्टीपलचेज में हिस्सा लेंगी, बाबर को कम आंकना किसी भी दूसरे एथलीट के लिए भारी पड़ सकता है। बाबर पहले मैराथन दौड़ती थी, लेकिन 2014 में उन्होंने स्टीपलचेज़ में स्विच कर लिया। तब से उनका भारत और एशिया में दबदबा देखने को मिलता है। ललिता बाबर 2014 एशियन गेम्स में सिल्वर मेडल जीती। वैसे वो ब्रॉन्ज जीती थी,लेकिन बहरीन की रूथ जेबेट से गोल्ड छीन लिए जाने के बाद उन्हें सिल्वर हासिल हुआ था। उसके बाद ललिता ने 2015 एशियन एथलेटिक्स चैंपियनशिप में गोल्ड जीता था। JSW स्पोर्ट्स एक्सीलैंस प्रोग्राम की इस खिलाड़ी ने 2015 वर्ल्ड चैंपियनशिप में आठवां स्थान हासिल किया था। बाबर को अपनी रेस को पूरा करने के लिए स्टैमिना और ताकत का अच्छा इस्तेमाल करना होगा, तभी वो देश के लिए मेडल जीत सकती हैं।