अभिनव बिंद्रा को किसी परिचय की जरुरत नहीं हैं। वह एकमात्र भारतीय हैं, जिन्होंने व्यक्तिगत स्पर्धा में ओलंपिक गेम्स में स्वर्ण पदक जीता। निशानेबाज ने भारतीय झंडे का लगभग हर प्रतियोगिता में मान बढ़ाया। बिंद्रा ने अपने शांत रवैये और पेशेवर अंदाज से भारत का उच्च स्तर पर प्रतिनिधित्व किया। अंजली भागवत के बाद भारतीय निशानेबाजी के पोस्टर बॉय अभिनव बिंद्रा बने। 2008 में पीठ दर्द की समस्या के बाद अभिनव ने शानदार वापसी की और भारत को ओलंपिक की व्यक्तिगत स्पर्धा में पहला स्वर्ण पदक जिताया। भले ही बिंद्रा अगले ओलंपिक्स में भारत को पदक नहीं जिता सके, लेकिन भारत में इस खेल की लोकप्रियता को बढ़ाने में उनका योगदान अतुलनीय है। बिंद्रा ने अपनी किशोरावस्था में कई राष्ट्रीय स्तर के अवॉर्ड्स जीते। उन्होंने 18 की उम्र में अर्जुन अवॉर्ड और 19 की उम्र में राजीव गांधी खेल रत्न का पुरस्कार जीता। बीजिंग में अपार सफलता हासिल करने के बाद बिंद्रा को भारत के तीसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। उन्होंने 2016 रियो ओलंपिक्स के बाद अपने संन्यास की घोषणा की। बचपन से ही विद्वान होने से लेकर भारत को ओलंपिक्स की व्यक्तिगत स्पर्धा में स्वर्ण पदक दिलाने वाले बिंद्रा पर बड़ी स्क्रीन के लिए फिल्म बनाई जा सकती हैं।