नरसिंग यादव के डोपिंग टेस्ट के नतीजों को लेकर कई कहानियां बनाई जा रही है। कईयों का मानना है उनके खिलाफ साजिश हो रही है और ये सब WFI के अंदरूनी विवाद का नतीजा है। ऐसा ही कुछ शॉट पुट खिलाडी इंदरजीत सिंह के बारे में कहा जा सकता है, जिन्हें नेशनल एंटी-डोपिंग एजेंसी ने अनौपचारिक सर्वेक्षण के दौरान प्रतिबंधित दवाओं के सेवन का दोषी पाया था। पंजाब के इस एथेलीट ने दावा किया था कि उनके खिलाफ साजिश की जा रही है। इंदरजीत ने खिलाड़ियों को सही और उपयुक्त संसाधन पहुंचाने में असमर्थ रही भारतीय एथलेटिक्स महासंघ के खिलाफ भी बहुत कुछ बोला है। इसलिए ये आरोप सच है या उनके पीछे कोई बड़ी साजिश है, इसका अभी पता नहीं। पिछले हफ्ते इन डोपिंग स्कैंडल से जूझ रहे भारतीय टीम को देखते हुए ये याद दिलाना चाहिए कि ऐसा पहली दफा नहीं हुआ है। डोपिंग का भूत ओलंपिक खेलों को काफी समय से तंग कर रहा है। कई बदनाम और कई मशहूर खिलाडी इसमें फंस चुके हैं। ये रही उनकी एक सूची: #1 मरियन जोंस (यूएसए) अमेरिकी धावक और लॉन्ग जम्पर मरियन जोंस, सिडनी ओलंपिक्स 2000 की स्टार थी और उन्होंने कुल 5 पदक जीते (3 स्वर्ण और 2 कांस्य)। एक ही ओलंपिक में ऐसा करने वाली वें पहले एथेलीट थी। उनकी इतनी ताकत और क्षमता पर पहले संदेह हुआ क्योंकि उनके पति सीजे हंटर भी स्टेरॉयड के इस्तेमाल के दोषी पाएं गए थे। साल 2007 में मरियन ने कबूला कि उन्होंने सिडनी ओलंपिक के समय कार्य क्षमता बढ़ाने वाली दवाओं का सेवन किया था। झूठ बोलने के आरोप उन्हें 6 महीने की सजा हुई और उनसे उनके पदक छीन लिए गए। #2 लांस आर्मस्ट्रांग (यूएसए) 90 के दशक के आखरी समय में ओलंपिक खेल पर डोपिंग के कई आरोप सामने आए और इसमें सबसे बड़ा नाम था लांस आर्मस्ट्रांग। दिग्गज साइकिलिस्ट और कैंसर को मात देने वाले इस एथलीट, 7 बार के टूर डी फ्रांस (दुनिया की सबसे मान्यता प्राप्त साइकिलिंग ईवेंट) के विजेता है। उन्होंने 2000 सिडनी ओलंपिक्स में हिस्सा लिया था और कांस्य पदक जीता था। शुरुआत में लांस ने किसी भी प्रतिबंधित पदार्थ के सेवन से इंकार किया था। मगर फिर कड़ी छान-बिन और पूछताछ के बाद उन्होंने स्वीकार किया कि वें अपने पूरे करियर के दौरान कार्य क्षमता बढ़ाने वाली दवाओं का सेवन करते थे। इसके बाद उनके सभी टूर डी फ्रांस ख़िताब भी छीन लिए गए। इसके तुरंत बाद IOC ने उनसे उनके ओलंपिक पदक भी छीन लिए। इससे उनकी छवि पर काला धब्बा पड़ गया। #3 बेन जॉनसन (कनाडा) 1988 के सीयोल ओलंपिक में बेन जॉनसन ने 100 मीटर को 9.79 सेकंड में पूरा कर 9.83 के पिछले रिकॉर्ड को तोड़ा था। उन्होंने अपने साथी धावक कार्ल लुईस को हराया था और इसे एक महत्वपूर्ण स्प्रिंट रेस समझी गयी थी। हालांकि उनकी खुशी ज्यादा समय तक नहीं रही और अगले ही दिन वें प्रतिबंधित पदार्थ के सेवन के आरोप में दोषी पाए गए और उनका पदक वापस लेकर दूसरे स्थान पर आएं कार्ल लुईस को दिया गया। कनाडाई मीडिया ने इस खबर को लगातार कुछ दिनों तक अख़बार की सुर्खियां बनाये रखा और इसपर हर दिन 8-10 पन्नो की खबरें छपती थी। बेन जॉनसन को "न्यूज़मेकर ऑफ़ द ईयर" घोषित किया गया। #4 मिशेल स्मिथ (आयरलैंड) 1996 के एटलांटा ओलंपिक्स में आयरिश तैराक मिशेल स्मिथ ने अपने देश के लिए 4 पदक जीते। इस बात ने सभी को चौंका दिया, क्योंकि तीन साल पहले तक वें कभी भी टॉप 25 तैराक में नहीं आई थी। अचानक से इतनी कामयाब हो रही आइरिश तैराक पर कई सवाल खड़े हुए और उनपर कई आरोप लगे। कहा गया कि वें प्रदर्शन बढ़ाने वाली दवाओं का सेवन कर रही हैं। लेकिन इसका कोई ठोस सबूत नहीं था। दो साल बाद उनके यूरिन टेस्ट से उनका राज़ खुला। उनके घर से लिए यूरिन सैंपल के साथ उन्होंने छेद-छाड़ की थी और इसलिए FINA ने उनपर प्रतिबंध लगा दिया। 28 साल की उम्र में चार साल के प्रतिबंध के साथ तैराक को अपने करियर को अलविदा कहना पड़ा। #5 हंस-गुन्नर लिजेन्ह्वल्ल (स्वीडन) शूटिंग के खेल में आपको शांत दिमाग की ज़रूरत होती है। स्वीडन के खिलाडी हंस-गुन्नर लिजेन्ह्वल्ल ने भी ऐसी शान्ति दो-तीन ड्रिंक्स पीकर पाई। नए नियमों के अनुसार मेक्सिको ओलंपिक्स में पहली बार खिलाडी डोपिंग के लिए पॉजिटिव पाएं गये। खेल के पहले शराब के सेवन के दोषी पाए गए। हंस-गुन्नर लिजेन्ह्वल्ल ने स्वीकार किया कि वह मैच के पहले "बीयर" पीते हैं। उन्हें उनका कांस्य पदक लौटना पड़ा। लेखक: राहुल गुप्ता, अनुवादक: सूर्यकांत त्रिपाठी