शीतकालीन खेलों के लिए 6 बार के ओलंपियन शिवा  केशवन ने लगाई भारत सरकार से मदद की गुहार, पैसे जुटाकर कर रहे ट्रेनिंग

शिवा केशवन 6 बार शीतकालीन ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।
शिवा केशवन 6 बार शीतकालीन ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।

टोक्यो ओलंपिक और पैरालंपिक खेलों में बेहतरीन प्रदर्शन के बाद देशभर में फैंस, नेता, अभिनेता, बिजसनेस हाउस आदि एथलीटों की वाहवाही कर रहे हैं और सरकार भी इन खिलाड़ियों की कामयाबी देखते हुए और मदद के लिए तैयार है। लेकिन शीतकालीन ओलंपिक को लेकर सरकार के रवैये पर 6 बार के शीतकालीन ओलंपियन और ल्यूज खिलाड़ी शिवा केशवन ने सवाल उठाए हैं। केशवन ने ट्वीट कर 2022 शीतकालीन ओलंपिक के लिए सरकार से मदद मांगी है।

साल 2022 में चीन की राजधानी बीजिंग में विंटर ओलंपिक का आयोजन होगा जो 4 फरवरी से 20 फरवरी तक चलेगा। ऐसे में कुछ ही दिन बचे हैं और केशवन ने इसी बात को सोशल मीडिया के जरिए सरकार तक पहुंचाने का प्रयास किया है। केशवन ने कहा है कि शीतकालीन ओलंपिक में सिर्फ 150 दिन बचे हैं और वर्तमान में शीतकालीन खेलों से जुड़ी एक भी स्पोर्ट्स फेडरेशन को सरकार की ओर से फंडिंग नहीं मिल रही है और ऐथलीट किसी तरह ऑनलाईन प्लैटफॉर्म पर क्राउडफंडिंग करके ट्रेनिंग आदि के लिए पैसे जुटा रहे हैं।

" सुनने की आदत नहीं थी "

केशवन के ट्वीट के बाद कई खेलप्रेमियों के रिप्लाई आने शुरु हो गए। एक यूजर से केशवन को सलाह दी कि वह ट्वीट करने की बजाय संबंधित अधिकारियों और मंत्रियों से मिलें। इसपर केशवन ने दो टूक जवाब देते हुए कहा कि वो साल 1998 से लगातार हर खेल मंत्री से मिल चुके हैं लेकिन अभी तक किसी की सुनने की आदत नहीं थी।

केशवन के ट्वीट के बाद लगातार सोशल मीडिया पर चर्चा चल रही है।
केशवन के ट्वीट के बाद लगातार सोशल मीडिया पर चर्चा चल रही है।

क्या है कठिनाई

ग्रीष्मकालीन ओलंपिक की तरह ही हर 4 साल में शीतकालीन ओलंपिक खेलों का आयोजन किया जाता है। इन खेलों में सभी प्रमुख खेल आईस यानि बर्फ से जुड़े होते हैं और इसी के बनाए मैदान या टर्फ पर खेले जाते हैं। भारत में बर्फ चुनिंदा राज्यों में गिरती है जिस कारण विंटर खेलों में अधिक खेल प्रेमियों की रुचि नहीं है। इसका असर विंटर खेलों से जुड़ी फेडरेशन पर भी पड़ता है। जो गिने-चुने खिलाड़ी किसी तरह से विंटर ओलंपिक से जुड़े खेलों में भाग लेने का प्रयास करते हैं या भाग लेते हैं, उन्हें अपनी महंगी ट्रेनिंग के लिए खुद ही प्रयास करने पड़ते हैं।

कश्मीर के गुलमर्ग में पिछले कुछ सालों से विंटर गेम्स का आयोजन किया जा रहा है।
कश्मीर के गुलमर्ग में पिछले कुछ सालों से विंटर गेम्स का आयोजन किया जा रहा है।

साल 2018 में भारतीय ओलंपिक संघ ने तत्कालीन विंटर गेम्स असोसिएशन की मान्यता खत्म कर दी थी और खुद स्किंइंग और ल्यूज जैसे विंटर खेलों की देखरेख करने की तैयारी की थी, लेकिन आज तक शीतकालीन खेलों के लिए कोई खास रणनीति नहीं दिखी है। आलम यह है कि कोई खेल प्रेमी यदि खुद भी देश में शीतकालीन खेलों के लिए किए जा रहे प्रयासों के लिए गूगल सर्च करे तो ज्यादा कुछ नहीं मिलेगा। ये हालात 4 बार के एशियाई ल्यूज गोल्ड मेडलिस्ट शिवा केशवन की बात को सही ठहराते हैं। हमारे देश में पिछले कुछ समय में खेलों के लिए काफी कार्य हुए हैं, इसमें कोई शक नहीं है पर तेजी की बहुत आवश्यकता है। और यह भी जरूरी है कि हर प्रकार की खेल स्पर्धाओं को बराबर तवज्जो दी जाए।

शिवा ल्यूज के खेल में देश की ओर से भाग लेते हैं।
शिवा ल्यूज के खेल में देश की ओर से भाग लेते हैं।

भारत ने साल 1964 में ऑस्ट्रिया में हुए शीतकालीन ओलंपिक में पहली बार भाग लिया था और अल्पाईन स्कीइंग करने वाले जेरेमी बुजाकोवस्की देश की ओर से शीतकालीन ओलंपिक में भाग लेने वाले पहले खिलाड़ी बने। अभी तक देश ने कुल 10 विंटर ओलंपिक में भाग लिया है और शिवा केशवन इनमें से आधे से ज्यादा विंटर खेलों में भाग ले चुके हैं।

Edited by निशांत द्रविड़
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