बबीता कुमारी 26 साल की रैसलर हैं, जो रियो में 53 किलोग्राम वर्ग की फ्रीस्टाइल कैटेगरी में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी। बबीता कुमारी ने अब तक काफी अच्छा प्रदर्शन किया है। बबीता कॉमनवेल्थ गेम्स जैसा प्रदर्शन दोहराने में कामयाब रहीं तो वो अपनी छाप छोड़ सकती हैं और मेडल जीतने की रेस में आ सकती हैं। बबीता कुमारी के बारे में 7 अनोखी बातें: # बबीता कुमारी एक रैसलिंग परिवार से ताल्लुक रखती हैं। उनकी बहन गीता फोगट, कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल जीतने वाली देश की पहली महिला रैसलर हैं। बबीता के पिता महावीर सिंह फोगट भी रैसलर हैं और बबीता की कज़न विनेश फोगट रैसलर हैं, जो ग्लासगो में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल जीती थीं। # रियो ओलंपिक्स बबीता कुमारी का पहला ओलंपिक होगा। 26 साल की इस युवा खिलाड़ी का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शन शानदार रहा है। बबीता 2014 कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल जीती। इसके अलावा उन्होंने 2010 कॉमनवेल्थ गेम्स में सिल्वर मेडल जीता था। बबीता ने 2012 वर्ल्ड रैसलिंग चैंपियनशिप और 2013 एशियन रैसलिंग चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज जीता था। JSW स्पोर्ट्स एक्सीलैंस प्रोग्राम की इस रैसलर को उनकी विरोधी द्वारा डोप टेस्ट में फेल होने के बाद रियो का टिकट मिला। # बबीता को बचपन में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। उनके पिता उन्हें रैसलर बनाना चाहते थे, लेकिन लोग लड़कियो द्वारा कुश्ती के खेल में जाने को सही नहीं मानते थे। लेकिन उनके पिता ने सभी की बातों को दरकिनार करते हुए अपनी बेटियों को रैसलर बनाया। जिससे कि हरियाणा में लड़कियों को लेकर लोगों का नजरिया बदला। # थोड़े समय बाद इनके पिता की मेहनत रंग लाई और बेटियों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मेडल जीतना शुरु कर दिया। ये उन सभी लोगों को करारा जवाब था, जिन्होंने उनके पिता की आलोचना की थी।
बबीता औऱ उनकी बहनों की कहानी बहुत ही ज्यादा प्रेरणादायक है, जिससे देश की और लड़कियों को आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलेगी। तभी डायरेक्टर नितेश तिवारी और बॉलीवुड सुपरस्टार आमिर खान ने बबीता के परिवार की कहानी को लेकर दंगल फिल्म बनाई है, जो नवंबर में रिलीज होगी। # बबीता के रियो में जाने की उम्मीदों की शुरुआत में धक्का लगा, जब पूरा प्रोसीजर फॉलो नहीं करने की वजह से यूनाइटेड वर्ल्ड रैसलिंग ने उन्हें टैम्पररी रूप से सस्पेंड कर दिया था। रैसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया ने कहा कि बबीता ने एशियन ओलंपिक क्वालीफायर में बाउट इसलिए छोड़ी ताकि वो आखिरी क्वालीफाइंग इवेंट के लिए खुद की एनर्जी बचाकर रख पाएं। जिसके बाद बबीता को चेतावनी देकर छोड दिया गया। # जिस तरह से JSW स्पोर्ट्स एक्सीलैंस प्रोग्राम की इस रैसलर ने रियो के लिए क्वालीफाई किया, वो बाते काफी समय तक चर्चा का केंद्र रही। मंगोलिया की सुमिया एरडैनचिमैग द्वारा डोप टेस्ट में फेल होने पर बबीता को रियो जाने का मौका मिला। बाद में वर्ल्ड एंटी डोपिंग एजेंसी ने नियमों में बदलाव के चलते उन्हें बहाल कर दिया। जिसके बाद बबीता के रियो जाने को लेकर असमंजस की स्थिति पैदा हो गई। 9 जुलाई को UWW ने एलान किया कि जिन देशों को पहले ओलंपिक कोटा दिया जा चुके है, वो उनसे वापिस नहीं लिया जाएगा।