एशियाई खेलों का काउंट डाउन समप्त हो गया। आज से जकार्ता और पालेमबांग में दुनिया भर के करीब 10 हजार खिलाड़ी अपनी हुनर से देश का मान बढ़ाएंगे। भारतीय खिलाड़ी भी खेलगांव पहुंच चुके हैं। दो सितंबर तक चलने वाले इन खेलों में भारत की विजय गाथा का सबसे बड़ा साझेदार उसका एथलेटिक्स दल रहा है। पदक जीतन के मामले में वह नंबर एक स्थान पर है। इस बार भी भारत को नीरज चोपड़ा, जिनसन जॉनसन, हिमा दास, सीमा पूनिया और सुधा सिंह सरीखे एथलीटों से पदक की उम्मीद है। हालांकि भारतीय खिलाड़ियों को एथलेटिक्स में चीन, जापान, बहरीन, कतर, कजाकिस्तान और सऊदी अरब जैसे देशों को पीछे छोड़ना होगा। एथलेटिक्स एशियाई खेलों के जन्म से ही इसका हिस्सा रहा है। 1951 में जब गुरु दत्त सोंधी ने अपनी सोच से इसे जन्म दिया तो उन्होंने एथलेटिक्स को एशियाई खेलों को हिस्सा बनाया। नई दिल्ली को पहले एशियाई खेलों की मेजबानी सौंपी गई। भारतीय एथलीटों ने आगाज ही 10 स्वर्ण सहित कुल 34 पदकों के साथ किया। हालांकि भारत अपने इस प्रदर्शन को दोहराने में नाकाम रहा। 2002 बुसान खेलों में उसे जरूर सात स्वर्ण सहित 17 पदक मिले लेकिन 10 स्वर्ण से ऊपर बढ़ने की मनसा कामयाब नहीं हो पाई। 1990 और 1994 के एशियाई खेलों में तो एथलीटों का हाल ऐसा हुआ की वे एक सोने को तरस गए। चीन का रहा है दबदबा इन खेलों में चीन के एथलीटों ने लगातार तरक्की की है। उनका प्रदर्शन दिनों-दिन बेहतर होता चला गया। किसी भी एशियाई देश के भीतर यह कुव्वत नहीं कि वह चीन के दबदबे को कम कर सके। चीनी एथलीट एशियाई खेल में विश्व स्तरीय प्रदर्शन कर रहे हैं। स्प्रिंट, कूद और बाधा दौड़ में चीन और जापान का बर्चस्व रहा है। वहीं मध्यम दूरी की दौड़ के प्रदर्शन को देखें तो इसमें खाड़ी देशों के एथलीटों ने बेहतरीन किया है। ऊंची और पोल वॉल्ट में कजाकिस्तान और चीन की ताकत के सामने किसी की भी नहीं चलती। भारत को महिलाओं से उम्मीद 18वें एशियाई खेलों में भारत को परुषों से ज्यादा महिलाओं से पदक की उम्मीद है। इस कड़ी में हिमा दास और सीमा पूनिया मुख्य हैं। 200 और 400 मीटर स्पर्धा में भाग ले रहे हिमा एथलेटिक्स की नई सनसनी हैं। दो साल पहले तक उन्हें कोई नहीं जानता था। हालांकि इसके बाद उन्होंने राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में सुर्खियां बटोरी हैं। जूनियर विश्व चैंपियनशिप में 51.46 सेकंड के समय के साथ स्वर्ण पदक जीता। ऐसा करने वाली वह पहली भारतीय एथलीट हैं। वह जकार्ता में 200 मीटर, 400 मीटर और चार गुणा 400 मीटर रिले दौड़ का हिस्सा होंगी। 400 मीटर और रिले दौड़ में उनसे पदक की पूरी उम्मीद है। हिमा ने हाल के दिनों में किए गए अपने प्रदर्शन से इस उम्मीद को पक्का किया है। दूसरी तरफ सीमा पूनिया भी भारत के लिए पदक की प्रबल दावेदार हैं। उन्होंने पिछले 2014 इंचियोन एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीता था। वह मौजूदा समय में 60 मीटर से ऊपर का थ्रो कर रही हैं। साथ ही खुद को एशियाई खेलों के लिहाज से फिट करने के लिए उन्होंने रूस में ट्रेनिंग भी की है। राष्ट्रमंंडल खेलों में बेहतर प्रदर्शन के साथ उन्होंने रजत पदक अपने नाम किया। इंडोनेशिया में उन्हें चीन और दक्षिण कोरिया के एथलीटों से जबरदस्त टक्कर मिलेगी। हालांकि इस खिलाड़ी के इरादे मजबूत हैं और उन्हें विश्वास है कि वह देश के लिए कुछ पदक तो पक्का कर ही लेंगी। पुरुष टीम में भी दम एशियाई खेलों के लिए भारतीय ध्वजवाहक नीरज चोपड़ा पुरुष वर्ग में पीला तमगा हासिल करने के सबसे मजबूत दावेदार हैं। नीरज पिछले तीन साल से शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं। 2016 में विश्व जूनियर एथलेटिक्स में उन्होंने नए विश्व रिकॉर्ड के साथ अपनी झोली में स्वर्ण पदक डालकर सबको हैरान कर दिया था। अपने निरंतर प्रदर्शन से सबका ध्यान आकर्षित करने वाले नीरज ने राष्ट्रमंडल खेलों में भी पीला तमगा ही हासिल किया है। इसके बाद हुए डायमंड लीग में उन्होंने 87.43 मीटर भाला थ्रो कर स्वर्ण पदक हासिल किया है। वह फिलहाल 86 मीटर के ऊपर ही भाला फेंक रहे हैं। साथ ही इस सत्र में उनके प्रतिद्वंदी उनसे पीछे ही रहे हैं। इस लिहाज से अगर नीरज 86 मीटर के अपने प्रदर्शन को जारी रखते हैं तो एशियन खेलों में भी उनका पदक पक्का है। नीरज का मुकाबला चेंग से है। चेंग का सर्वश्रेष्ठ 91.36 मीटर है। चीन की ही शाओ किन गैंग भी 89 मीटर के ऊपर का थ्रो फेंकने में संक्षम हैं। दूसरी तरफ 800 और 1500 मीटर में जिनसन जॉनसन भारत के लिए पदक उम्मीदवार हैं। वह मौजूदा 800 मीटर एशियाई चैंपियन भी हैं। वह एकमात्र धावक हैं जो यह दौड़ एक मिनट 46 सेकंड के भीतर लगा रहे हैं। हाल में गुवाहाटी में हुए अंतरराज्यीय एथलेटिक्स चैंपियनशिप में उन्होंने चार दशक से भी पुराने श्रीराम सिंह के रिकॉर्ड को तोड़ा और 800 मीटर में स्वर्ण पदक जीता। उन्होने एक मिनट 45.65 सेकंड का समय दर्ज किया था। जिनसन का यह प्रदर्शन पदक के लिहाज से थोड़ा कम है लेकिन कुछ सुधार के साथ वह एशियाई खेलों का पदक तो पक्का कर ही लेंगे। इसी कड़ी में जी. लक्ष्मणन का नाम भी आता है जो एशियाई खेलों में 5000 और 10000 मीटर में भाग लेंगे। गोविंद लक्ष्मणन से देश को पदक की उम्मीद है। इस स्पर्धा में वह सर्वश्रेष्ठ हैं। उन्होंने पिछली बार हुई एशियाई चैंपियनशिप में गोल्डन डबल लगाया है।