19वें एशियन गेम्स का आयोजन इस बार चीन के हांगझाओ में किया जा रहा है। आयोजकों ने इस बार चीन की पंरपरा को बढ़ावा देने के इरादे से कुछ ऐसे खेलों को भी एशियाड में शामिल किया है जो चीनी संस्कृति की झलक को दर्शाते हैं। ऐसा ही एक खेल है जियां ची (Xiangqi), जो चीनी शतरंज या फिर Elephant Chess के नाम से भी जाना जाता है। यह आमतौर पर खेले जाने वाले शतरंज यानि चेस की श्रेणी में ही आता है।
क्या है जियांची का खेल
जियांची का खेल एक बोर्ड गेम है। इसमें भी सामान्य शतरंज की तरह ही दो खेमों में मुहरों के माध्यम से दो सेनाओं के बीच लड़ाई की जाती है और शतरंज की तरह ही इसमें भी विरोधी के जनरल को चेकमेट किया जाना होता है। बोर्ड पर 10 रेखाएं लंबी तरह खिंची होती हैं जबकि 9 रेखाएं चौड़ी हैं और इन सभी के सहारे कुछ खाने बने होते हैं। इस खेल में मुहरों को दो रेखाओं के इंटरसेक्शन ( intersection) पर रखा जाता है।
इस बोर्ड गेम में हर खिलाड़ी के पास दो इलाके होते हैं। दोनों के बीच की जगह को नदी कहा जाता है। इस खेल में जनरल (राजा की तरह), सलाहकार (वजीर की तरह), हाथी, घोड़ा, रथ (शतरंज के हाथी की तरह), तोप, और सिपाही की मुहरें होती हैं। इनका इस्तेमाल करते हुए खिलाड़ी विरोधी के हिस्से की तरफ जाने की कोशिश करते हैं। हर खिलाड़ी के पास कुल 16 मुहर होती हैं और इनका रंग लाल या काला ही होता है।
भारत के खेल से प्रेरित है जियांची
जियांची चीन का सबसे लोकप्रिय बोर्ड गेम माना जाता है। इस खेल का जिक्र चीन की 220 ईसा पूर्व के इतिहास में भी मिलता है। यह भी माना जाता है कि जियांची का मौजूदा रूप भारत में जन्में चतुरंग खेल से प्रेरित है। चतुरंग का खेल सिर्फ जियांची ही नहीं, बल्कि आज के चेस यानि शतरंज, और चीन, जापान, थाईलैंड और कम्बोडिया में खेले जाने वाले कुछ बोर्ड गेम की भी प्रेरणा माना जाता है।
चीन है मेडल का दावेदार
हांगझाओ एशियाड में जियांची की स्पर्धा की शुरुआत 28 सितंबर से होगी। चीन को इस स्पर्धा में गोल्ड मेडल का दावेदार माना जा रहा है। हालांकि जियांची का यह खेल वियतनाम, कम्बोडिया जैसे एशियाई देशों में भी चाव से खेला जाता है। खास बात यह है कि जियांची के साथ ही इस बार एशियाड में चेस यानि शतरंज की स्पर्धा को भी शामिल किया गया है और खेल प्रेमी खुश हैं कि कुछ परंपरागत और दिमाग का इस्तेमाल करने वाले खेलों को 19वें एशियन गेम्स में खास जगह दी गई है।