देश में खेलों को सही दिशा देने के लिए इतिहास में पहली बार भारतीय ओलंपिक संघ यानी IOA की ओर से गठित एथलीट कमीशन में देश के बड़े-बड़े खेल सितारों को चुनकर शामिल किया गया है। दो बार की ओलंपिक मेडलिस्ट बैडमिंटन स्टार पीवी सिंधू, लंदन ओलंपिक में कांस्य पदक जीत चुके स्टार शूटर गगन नारंग समेत 10 ओलंपियन खिलाड़ियों को इसका सदस्य बनाया गया है।
ओलंपिक ब्रॉन्ज मेडलिस्ट बॉक्सर मेरी कॉम इस कमीशन की अध्यक्ष एकमत से चुनी गईं जबकि कॉमनवेल्थ गेम्स गोल्ड मेडलिस्ट टेबल टेनिस स्टार शरत कमल उपाध्यक्ष चुने गए। पूर्व एथलीट ओमप्रकाश, शीतकालीन ओलंपिक में लूज में भारत के लिए खेल चुके शिवा केसवन, पीवी सिंधू को सदस्य चुना गया है। इनके अलावा टोक्यो ओलंपिक सिल्वर मेडलिस्ट वेटलिफ्टर मीराबाई चानू, पूर्व महिला हॉकी टीम कप्तान रानी, फेंसिंग ओलंपियन भवानी देवी, रोइंग में ओलंपिक खेल चुके बजरंग लाल भी इसके सदस्य हैं।
देश की 36 राष्ट्रीय खेल फेडरेशन की ओर से एक-एक महिला और पुरुष खिलाड़ी को मतदान हेतु नामित किया गया था जिनके द्वारा इन खिलाड़ियों का चुनाव किया गया है। कुल 10 पदों के लिए 42 पूर्व और मौजूदा खिलाड़ियों ने नामांकन किया था। लेकिन चुनाव का समय नजदीक आते-आते कई नाम वापस लिए गए और सिर्फ 10 खिलाड़ियों के ही नाम बचे और ऐसे में इनका चुनाव आसान हो गया।
देश को पहला ओलंपिक एकल गोल्ड दिलाने वाले निशानेबाज अभिनव बिंद्रा और पूर्व ओलंपियन हॉकी कप्तान सरदारा सिंह Ex-Officio सदस्य के रूप में हिस्सा रहेंगे। इस कमीशन का गठन अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक कमेटी यानी IOC की सुधार कमीशन के द्वारा दिए गए बिन्दुओं के क्रम में किया गया है। IOC ने खेलों के हर स्तर पर खिलाड़ियों के प्रतिनिधित्व की बात कही थी।
क्या होगा काम
भारत में बनी इस एथलीट कमीशन का मुख्य उद्देश्य होगा कि IOA के सामने खिलाड़ियों से जुड़ी दिक्कतें, परेशानियां, उनकी बातों को रखें। कमीशन सलाहकार का काम भी करेगा और खिलाड़ियों की बेहतरी के लिए सुझाव भी देगा। कमीशन का काम ऐसे प्रोजेक्ट्स को लाना भी होगा जिनके जरिए खिलाड़ियों के साथ संवाद बढ़ पाए और वह डोपिंग जैसे कृत्यों से दूर रहें और गलती ना करें।
भारत में अधिकतर खेल फेडरेशन में पिछले काफी समय से ऐसे लोग ऊंचे पदों पर बैठे हैं जिन्होंने स्वयं कभी उस खेल में देश का प्रतिनिधित्व नहीं किया। मौजूदा समय में फुटबॉल, हॉकी समेत कुछ खेलों के मैनेजमेंट में सकारात्मक बदलाव देखने को मिला है, लेकिन अब भी कई राजनेता, व्यापारी ऐसे हैं जो खेलों के फेडरेशन में बतौर हितधारक बैठे हैं और इससे खिलाड़ियों की आवाज को मंच देना मुश्किल हो जाता है।