भवानी देवी हम सभी के लिए प्रेरणश्रोत हैं 

भवानी देवी हम सभी के लिए प्रेरणश्रोत हैं
भवानी देवी हम सभी के लिए प्रेरणश्रोत हैं

टोक्यो ओलंपिक में भारत के कई खिलाड़ी परचम लहराने में सफल रहे। इंडियन टीम ने ओलंपिक में रिकॅार्ड तोड़ 7 मेडल के साथ वापस लौटी। वहीं कुछ ऐसे खिलाड़ी को भी यहां नाम मिला जो कभी गुमनामी के साए में डूबे हुए थे। जी हां हम यहां तमिलनाडु की सीए भवानी देवी के बारे में बात कर रहे हैं। भवानी ओलंपिक में सिर्फ एक ही मुकाबला जीत पायी। बावजूद इसके वो हर जगह चर्चा का विषय बनी हुई हैं। भारत के ओलंपिक इतिहास में भवानी पहली ही ऐसी तलवारबाज हैं, जिन्होने ये कारनामा किया। जिसके अंदर कभी ना हार माने के जज्बा हो वही ये काम कर सकता है।

आइए एक डालते हैं तमिलनाडु की इस महिला खिलाड़ी के करियर पर:

1) 2004 में शुरू हुआ तलवारबाजी का सिलसिला

भवानी ने तलवारबाजी 2004 में शुरू किया था। हालांकि ये एक ऐसा खेल है। जिसमें भारत ने आज तक कोई भी ख्याति प्राप्त नहीं किया। बावजूद इसके भवानी ने अपना करियर इसी खेल में बनाने की ठानी। तलवारबाजी में भवानी के नाम 8 नेशनल रिकॅार्ड है।

2) पिता हैं मंदिर के पुजारी

भवानी के पिता तमिलनाडु में पुजारी हैं। तमिलनाडु एक ऐसा राज्य हैं। जहां लड़कियों को आगे बढ़ने के लिए तमाम सुविधाएं दी जाती हैं। ताकि वो किसी भी मुकाबले में पुरूषों से पीछे नही हटें। साथ ही इस राज्य के बारे में एक और बात भी खास है। यहां के ब्राहम्ण और पुजारी अपने घर के महिलाओं को लेकर पुराने ख्याल रखते हैं। ऐसे में भवानी का यहां तक पहुंचना किसी करिश्मे से कम नहीं है। हालांकि उनके पिता खुले विचार के थे। उन्होंने अपनी बेटी के सपने को पूरा करने के लिए हर कुछ किया जो एक पिता को करना चाहिए था। लेकिन दुख की बात ये है कि आज भवानी के पिता उनके बीच नहीं हैं।

3) तुम "झांसी की रानी" हो

15 अगस्त को टोक्यो ओलंपिक में हिस्सा लिए सभी खिलाड़ियों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले पर विशेष अतिथि के रूप में बोलाया था। जहां भवानी देवी भी मौजूद थी। भवानी से बात करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा तुम झांसी की रानी हो।

4) मां को बेचने पड़े थे गहने

फेंसिंग के बारे में बात करें तो ये एक काफी महंगा खेल है। इसमें पहनने वाले कपड़े काफी महंगे आते हैं। वहीं तलवार भी एक अलग प्रकार की होती है। भवानी के पास इस खेल में हिस्सा लेने के लिए इतने पैसा नहीं था। बावजूद इसके उन्होंने कभी हार नहीं मानी। भवानी के मां ने अपनी बेटी के सपनों को पूरा करने के लिए उनके निजी गहने तक बेच दिए।

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