एशियाई देशों के बारे में बात करें तो मार्शल आर्ट काफी लोकप्रिय खेल है। विशेषकर कोरिया, चीन, जापान इत्यादी में इसका काफी प्रचलन है। इन देशों में इस खेल का काफी अलग महत्व है, लेकिन पिछले कई सालों में विकासशील देश जैसे भारत जहां पर क्रिकेट को ज्यादा तवज्जो दी जाती है, वहां पर भी इस खेल का अलग रूतबा देखा गया है।
“चिन्मय शर्मा” एक ऐसा उभरता हुआ सितारा हो जिसने बीतें वर्षो में मार्शल आर्ट के ही एक रूप तेंगसुडु में अपनी अलग पैठ जमायी है। दिल्ली के रहने वाले इस युवा ने मार्शल आर्ट में सफर 5 वर्ष के दौरान शुरू की थी। 21 वर्षीय चिन्मय की जिंदगी आम खिलाड़ियों की तरह चल रही थी, लेकिन 2017 में अभ्यास सत्र के दौरान उनको काफी गंभीर चोट लगी जिसकी वजह से उन्हें बाद में पैरालाइसीस हो गया।
स्पोर्टसकीड़ा के साथ खास साक्षात्कार में भारत के उभरते हुए सितारे चिन्मय शर्मा ने अपनी संघर्ष भरे जीवन के साथ ही आने वाले अंतराष्ट्रीय प्रतियोगिता में पाकिस्तानी खिलाड़ी को मात देने के लिए वह क्या चक्रव्यूह सजा रहे हैं, उसको लेकर भी उन्होंने अपनी रणनीति साझा की।
इंटरव्यू
1) तेंगसुडू में करियर बनाने के लिए आपको किसने प्रोत्साहित किया?
आज मैं अपनी जिंदगी में जो कुछ भी हो अपने भाई की वजह से हूँ, श्री पुनित शर्मा जो खुद एक तेंगसुडू इंस्ट्रक्टर हैं। दरअसल मार्शल आर्ट के अंदर तुंगसुडू एक कैटगरी है। शुरू से ही मेरा स्वभाव गरम मिजाज का रहा है। शुरूआत में ही ऊर्जा को सही तरह से इस्तेमाल ना किया जाए तो बच्चे गलत रास्ते पर चले जाते हैं। इसलिए पुनीत भाईसाहब ने शुरूआती दिनों में खुद अभ्यास कराया और उसके बाद मुझे मास्टर देवेंदर का साथ मिला और फिर मैंने वहां से कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
2) विश्व स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व आपने कब शुरू किया?
पिछले साल मेरे भगवान और गुरू के आशीर्वाद से वर्ल्ड चैंपियनशिप में मेरा चयन हो गया था लेकिन कोरोना की महामारी के वजह से मैं टूर्नामेंट में हिस्सा नहीं ले पाया। आने वाले दिनों में मेरा पहला मुकाबला पाकिस्तानी खिलाड़ी के साथ होने वाला है जिसके मैं दांतो तले चने चबवाने का माद्दा रखता हूं।
3) क्रिकेट प्रेमी देश भारत में आपको लगता है प्रोफेशनल मार्शल आर्टिस्ट की कोई जगह है?
पहले क्रिकेट एकमात्र ऐसा खेल था जिसमें लोगों की दिलचस्पी थी लेकिन भारत सरकार ने अन्य खेलों में भी अपना विशेषकर ध्यान दिया है। खासकर हमारे खेल मंत्री किरन रिजीजू सर ने जिन्होंने हर एक खेल को अलग महत्व दिया। क्रिकेट को खरी खोटी सुनाने के बजाय हमें उस खेल से कुछ सीखना चाहिए। 23 जुलाई से ओंलपिक शुरू हो रहा है। सभी लोग देश को अपनी तरह से योगदान दे रहे हैं और BCCI भी अपनी तरफ से आगे आकर 10 करोड़ की सहायता राशि दे रही है। इससे साफ पता चलता है कि सभी एक दूसरे का कंधे से कंधा मिलाकर आगे बढ़ना चाहते हैं। आने वाले दिनों में इस खेल का भी उज्जवल भविष्य होने वाला है।
4) आप बता रहे हैं कि आपका लक्ष्य अगले साल 10 टाइटल जीतना है जिसको लेकर आपकी क्या तैयारियां चल रही है और आपको उम्मीद है कि आप ऐसा कर पाएंगे?
मुझे भरोसा है कि अगर लॉकडाउन नहीं होता तो मैं ये रिकॅार्ड 6 महीने में तोड़ देता। लॉकडाउन के वजह से खिलाड़ी की मानसिक स्थिति पर काफी असर पड़ा है, क्योंकि खेल कई खिलाड़ियों के लिए आय का जरिया है। सरकार जिस तरह से बिजनेस में छूट दे रही है, ठीक उस प्रकार ही खेलों को लेकर भी सरकार को रिहायत देनी चाहिए।