सोमवार दोपहर सभी की नज़रें दिल्ली हाईकोर्ट पर टिकी हुईं थी, जब पहलवान सुशील कुमार और नरसिंह यादव पर हाईकोर्ट को फ़ैसला करना था कि आख़िर रियो में 74 किग्रा वर्ग के लिए भारत का प्रतिनिधित्व कौन करेगा। दिल्ली हाईकोर्ट ने भारत को लंदन ओलंपिक्स में रजत पदक दिलाने वाले सुशील कुमार की अर्ज़ी ख़ारिज कर दी और नरसिंह यादव को रियो ओलंपिक्स 2016 के लिए हरी झंडी दे दी। काफ़ी दिनों से न सिर्फ़ ये दो पहलवान बल्कि भारतीय जनता भी इसी पर निगाहें गड़ाई बैठी थी कि क्या फ़ैसला आता है और इन दोनों में से कौन रियो जाता है। लेकिन आख़िरकार सुशील कुमार को निराशा हाथ लगी और अब भारतीयों की उम्मीदें नरसिंह यादव से हैं। इन सबकी शुरुआत तब हुई थी जब सुशील कुमार ने नरसिंह यादव को चुनौती देते हुए कहा था कि दोनों के बीच ट्रायल मुक़ाबला होना चाहिए और जो जीते वही जाए। लेकिन नरसिंह यादव का पलड़ा नियमों के मुकताबिक़ भारी था, क्योंकि सुशील क्लालीफ़ाइंग मुक़ाबलों में हिस्सा नहीं ले पाए थे और नरसिंह ने हर एक क्वालीफ़ाइंग इवेंट में शानदार खेल दिखाते हुए रियो का टिकट हासिल किया था। इससे पहले मई में ख़बर ये भी आई थी कि भारतीय कुश्ती संघ (WFI) नरसिंह यादव का नाम भारतीय ओलंपिक संघ (IOA) को भेज रही है, हालांकि मीडिया में ख़बर आने के कुछ ही घंटो बाद भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष विनोद तोमर ने इन ख़बरों का खंडन करते हुए कहा था कि अभी इस बात पर फ़ैसला नहीं लिया गया है। जिसके बाद सुशील कुमार ने ये कहते हुए मामला कोर्ट में ले गए कि मैंने दो बार भारत के लिए पदक जीता है और मैं इस बार भी प्रबल दावेदार हूं, लिहाज़ा रियो के लिए नरसिंह यादव को नहीं मुझे जाना चाहिए। इसके लिए उन्होंने ट्रायल की भी बात कोर्ट के सामने रखी थी। भारतीय दिग्गज पहलवानों में भी एक राय नहीं थी, कोई ये कहते हुए सुशील के साथ हैं कि उनसे बड़ा पहलवान भारत में कोई नहीं तो कुछ नरसिंह यादव की प्रतिभा की तारीफ़ करने के साथ साथ नियमों का हवाला देते हुए नरसिंह यादव को ही रियो भेजने की बात कर रहे थे। अब जबकि दिल्ली हाईकोर्ट ने अपना फ़ैसला नरसिंह यादव के पक्ष में सुना दिया है तो इस बात पर विराम लग जाना चाहिए और नरसिंह यादव की हौसलाअफ़ज़ाई में भारतीयों को उनके साथ होना चाहिए। नरसिंह यादव ने पिछले साल वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियनशीप में ही बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए रियो ओलंपिक का टिकट हासिल किया था।