Dipa Karmakar on his 4th Place in Rio Olympics 2016 : जिम्नास्टिक्स में भारत का नाम रोशन करने वाली दीपा कर्माकर ने रियो ओलंपिक 2016 में चौथे स्थान पर रहने को लेकर बड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा है कि किसी भी एथलीट के लिए चौथे नंबर पर आना सबसे खराब चीज होती है। दीपा कर्माकर के मुताबिक इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि वो खिलाड़ी तब इस बारे में दिन-रात सोचने लगता है और सही तरह से सो भी नहीं पाता है।
दीपा कर्माकर ने 2016 के रियो ओलंपिक में जिम्नास्टिक्स में चौथा स्थान हासिल किया था। वो मेडल तो नहीं जीत पाई थीं लेकिन चौथे नंबर तक पहुंचने के लिए भारत में उनकी काफी तारीफ हुई थी। वो ओलंपिक में जिम्नास्टिक्स में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली पहली महिला थीं। भले ही वो मेडल नहीं जीत पाईं लेकिन जिम्नास्टिक्स के प्रति लोगों की दिलचस्पी बढ़ा दी और लोग इस बारे में बात करने लगे।
चौथे नंबर पर आना सबसे बुरा होता है - दीपा कर्माकर
हाल ही में एक कार्यक्रम के दौरान जब दीपा कर्माकर से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वो कभी नहीं चाहेंगी कि कोई एथलीट चौथे नंबर पर फिनिश करे। दीपा कर्माकर ने कहा,
एक एथलीट के लिए चौथा स्थान हासिल करना सबसे खराब होता है। ना केवल मैं, बल्कि कोई भी खिलाड़ी अगर वो चौथे पायदान पर रहता है तो फिर कभी आराम से नहीं सो सकता है। जब भी मैंने ओलंपिक देखा है तो जो लोग चौथे नंबर पर फिनिश करते हैं, वो हमेशा रोते हैं। क्योंकि आप इसे चेंज नहीं कर सकते हैं। चौथा स्थान हमेशा ही चौथा ही रहने वाला है। वहीं जो खिलाड़ी मेडल जीतता है, उसके नाम के आगे हमेशा मेडल लिखा होता है। रियो ओलंपिक 2016 के बाद मेरे गृहनगर त्रिपुरा में काफी सारी चीजें चेंज हुई थीं। लोगों की दिलचस्पी जिम्नास्टिक्स की तरफ बढ़ी और त्रिपुरा में काफी ज्यादा बदलाव आया। इंफ्रास्ट्रक्चर में काफी बड़ा चेंज हुआ।
आपको बता दें कि दीपा कर्माकर ने एशियन जिम्नास्टिक्स चैंपियनशिप 2024 में गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच दिया था। वो एशियन चैंपियनशिप के किसी भी इवेंट में गोल्ड मेडल जीतने वाली पहली भारतीय जिम्नास्ट बनी थीं।