Tokyo Olympics - पिता थे बॉक्सिंग के खिलाफ, बेटी पूजा ने ओलंपिक में जाकर किया नाम रोशन

पूजा रानी
पूजा रानी

टोक्यो ओलंपिक मे भारत को मुक्केबाजी से पदक की पक्की आस है वो भी खासकर बेटियों से। इन्हीं बेटियों में शामिल हैं पूजा रानी बोहरा, जिन्होंने 75 किलोग्राम वर्ग में अल्जीरिया की मुक्केबाज को हराकर क्वार्टर-फाइनल में प्रवेश कर लिया है और अब वो मेडल से एक मैच की दूरी पर हैं। लेकिन पूजा के लिए बॉक्सिंग के इस सफर की शुरुआत आसान नहीं रही, क्योंकि जिस बॉक्सिंग से आज वो नाम कमा रही हैं, एक समय उनके पिता ने इस खेल के लिए साफ रुप से ना कर दिया था।

बॉक्सिंग के खिलाफ थे पिता

पूजा के पिता को डर था कि बेटी को चोट न लगे
पूजा के पिता को डर था कि बेटी को चोट न लगे

हरियाणा के भिवानी की रहने वाली 30 साल की पूजा रानी ने बचपन में ही किसी खेल को बतौर करियर चुनने का फैसला किया था। साल 2009 में 12वीं कक्षा पास करने के बाद पूजा ने जब अपने शहर में बनी हवा सिंह बॉक्सिंग अकादमी में जाने की सोची तो अपने पिता को नहीं बता पाई क्योंकि तब उनके पिता बॉक्सिंग को बतौर करियर नहीं देखते थे। पूजा के पिता किसी भी अन्य खेल में बेटी के जाने के समर्थन में थे, लेकिन बॉक्सिंग जैसे मार-धाड़ वाले खेल में बेटी के भाग लेने की खबर सुनने पर काफी नाराज हुए। इसके बाद पूजा के कोच संजय कुमार ने उनके पिता को काफी समझाया। जिसके बाद पूजा के पिता ने हामी भरी।

नेशनल जीतीं तो पिता ने ही दी बाइक

पूजा के पिता मान जरूर गए थे लेकिन अब भी बेटी के लिए लगातार चिंतित रहते थे। पूजा जब भी प्रैक्टिस के बाद घर आती थीं तो उनके माता-पिता सबसे पहले ये देखते थे कि कहीं बेटी के शरीर पर कोई चोट तो नहीं लगी। ऐसे में कई बार पूजा अपनी दोस्त के घर रुक जाती थीं ताकि घर जाकर पिता उन्हें लगी चोट देखकर बॉक्सिंग बन्द न करवा दें। 2009 में ही पूजा ने नेशनल यूथ चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीता, और उनके पिता को अपनी बेटी की काबिलियत पर पूरा भरोसा हुआ। इतना ही नहीं, पिता ने पूजा को तोहफे के रूप में बाइक भी दी। इसके बाद पूजा ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और साल 2012 में पूजा ने एशियन बॉक्सिंग चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीता। पूजा लगातार शानदार प्रदर्शन कर रहीं थीं। साल 2016 के सैफ खेलों में पूजा ने गोल्ड मेडल अपने नाम किया 2017 में सर्बिया में हुए नेशन्स वुमन्स कप में पूजा ने रजत पदक जीता।

करियर खत्म होने की कगार पर था

पूजा और उनके बेसिक कोच संजय कुमार
पूजा और उनके बेसिक कोच संजय कुमार

एक वाकये में साल 2016 में दिवाली के मौके पर पूजा का हाथ जल गया और इसी के कुछ समय बाद उनके कंधे की चोट लग गई थी। इसके बाद पूजा की वापसी काफी मुश्किल लग रही थी, लेकिन भिवानी की इस बेटी ने हौंसला नहीं हारा और सभी को चौंकाते हुए वापसी की। 2019 में पूजा ने एशियन बॉक्सिंग चैंपियनशिप में विश्व चैंपियन मुक्केबाज को हराकर गोल्ड मेडल अपने नाम किया।

पहले ओलंपिक में रच सकती हैं इतिहास

ओलंपिक ब्रॉन्ज मेडलिस्ट मैरिकॉम के साथ पूजा
ओलंपिक ब्रॉन्ज मेडलिस्ट मैरिकॉम के साथ पूजा

पूजा ने 2020 में जॉर्डन में हुए ओलंपिक क्वालिफिकेशन टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन करते हुए टोक्यो ओलंपिक के लिए जगह पक्की की और अब वो क्वार्टर-फाइनल में हैं। हरियाणा में आयकर इंस्पैक्टर के रूप में तैनात पूजा अगर अपना अगला बाउट जीत जाती हैं तो वो सेमिफाइनल में होंगी जहां उनका एक पदक पक्का हो जाएगा क्योंकि बॉक्सिंग उन खेलों में शामिल है जहां 2 ब्रॉन्ज मेडल दिए जाते हैं।

पूजा से उम्मीद भी काफी है क्योंकि इसी साल मिडलवेट कैटेगरी में पूजा ने दुबई में हुई एशियन चैंपियनशिप जीती और अपना प्री-क्वार्टर फाइनल मुकाबला भी वो सर्वसम्मति से जीतीं। ऐसे में ओलंपिक में पदक लाने वाली मैरी कॉम के बाद पूजा दूसरी महिला बॉक्सर बन सकती हैं। हम भी आशा करेंगे कि पूजा अपने अगले सभी मुकाबले जीतें और भारत को बॉक्सिंग का गोल्ड दिलाकर ही वापस लौटें।

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Edited by निशांत द्रविड़
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