भारत के लिए ओलंपिक में पहला मेडल जीतने वाले खिलाड़ी की कहानी? घर गिरवी रख कर लिया था भाग

Khashaba Dadasaheb Jadhav
खाशाबा दादासाहेब जाधव ने ओलंपिक में लिया भाग, लहराया जीत का परंचम( photo credit: facebook/HISTORY, x.com/ freentglty)

Khashaba Dadasaheb Jadhav: पेरिस ओलंपिक 2024 की शुरुआत 26 जुलाई से होने वाली है। 11 अगस्त तक खेलों के इस महाकुंभ का आयोजन फ्रांस की राजधानी में होगा। भारत ने टोक्यो ओलंपिक 2020 में एक स्वर्ण सहित 7 पदक जीते थे। ओलंपिक के इतिहास में अब तक भारत ने 10 गोल्ड, 9 सिल्वर और 16 ब्रॉन्ज मेडल जीते हैं। भारत के ओलंपिक इतिहास में एक ऐसे खिलाड़ी का नाम दर्ज है जिसने देश के लिए इन खेलों के इतिहास का पहला व्यक्तिगत मेडल जीता था। उस दिग्गज का नाम था ख़शाबा दादासाहब जाधव (KD Jadhav)।

केडी जाधव ओलंपिक की व्यक्तिगत स्पर्धा में पदक जीतने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी थे। बता दें कि दादासाहेब जाधव ने 1952 के हेलसिंकी ओलंपिक में कुश्ती में कांस्य पदक जीता था। लेकिन जाधव का व्यक्तिगत जीवन संघर्षों से भरा रहा है। उनके जीवन में एक वक्त ऐसा भी था जब जाधव को अपना घर गिरवी रखना पड़ा था।

छोटे कद और कमजोर शरीर की वजह से हुए बाहर

खाशाबा दादासाहेब जाधव का जन्म साल 1926 में महाराष्ट्र के सतारा जिले में एक मराठी परिवार में हुआ था। जाधव के पिता खुद भी पहलवान थे। 5 साल की उम्र से ही जाधव ने कुश्ती करना शुरू कर दी थी। छोटा कद और कमजोर होने की वजह से राजाराम कॉलेज के स्पोर्ट्स टीचर ने उन्हें वार्षिक खेलों की टीम में शामिल करने से इंकार कर दिया और उन्हें बाहर कर दिया था। हालांकि काफी मिन्नतों के बाद कालेज में जाधव को प्रतियोगिता में भाग लेने का अवसर मिल गया था।

शुरूआती दौर में जाधव को बाबूराव बलावडे और बेलापुरी गुरुजी ने ट्रेनिंग दी। जाधव ने 1948 के लंदन ओलंपिक में भी भाग लिया था, जहां वह छठे स्थान पर रहे। हालांकि उन्होंने उस ओलंपिक में अपने खेल से काफी सुर्खियां बटोरीं। जाधव ने कुश्ती के जुनून की वजह से कभी पढ़ाई से समझौता नहीं किया।

घर गिरवी रख और उधार लेकर शुरू किया सफर

खशाबा दादासाहेब जाधव ने हेलसिंकी ओलंपिक की तैयारी शुरू की। लेकिन हेलसिंकी जाने के लिए जाधव के पास पैसे नहीं थे। पैसे के अभाव को लेकर जाधव ने बॉम्बे स्टेट के तत्कालीन मुख्यमंत्री मोरारजी देसाई से मिलकर मदद मांगी। हेलसिंकी जाने के लिए राजाराम कॉलेज में उनके प्रिंसिपल खरिडकर ने सात हजार रुपये की मदद दी थी। इसके बाद राज्य सरकार ने भी जाधव को 4000 रुपये दे दिए। लेकिन जाधव के लिए यह रकम बहुत ही कम थी। जिसकी वजह से आखिरकार जाधव को अपना घर गिरवी रखना पड़ा। घर गिरवी रखने के बावजूद पैसे की कमी की वजह से कई लोगों से उधार भी लेना पड़ा था।

हारकर भी रच दिया इतिहास

आपको बता दें कि जाधव ने बैंटमवेट फ्रीस्टाइल वर्ग में अपने पहले 5 मुकाबले जीते। लेकिन छठे मुकाबले में जाधव जापान के शोहाची इशी से हार गए थे। पिछले 5 मुकाबले जीतने की वजह से जाधव के पास फाइनल मुकाबले में पहुंचने का मौका था। इस मुकाबले में जाधव का मुकाबला रूसी पहलवान राशिद मम्मादबियोव से था। मगर दिक्कत ऐसी थी कि यह मुकाबका जापानी पहलवान से मिली हार के ठीक 30 मिनट बाद था। इसी कारण जाधव थके थे और वह रूसी पहलवान से हार गए। मगर यहां हार के बाद भी वह इतिहास रच चुके थे। केडी जाधव देश के लिए पहला ओलंपिक मेडल जीतने वाले एकल खिलाड़ी बने थे।

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Edited by Priyam Sinha
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