टोक्यो में हो रहे ग्रीष्मकालीन ओलंपिक खेलों पर दुनियाभर के फैंस की नजर है और मेहमाननवाजी के लिए जाने जाना वाला देश जापान अपनी पूरी कोशिश कर रहा है इन खेलों के आयोजन को सफल बनाने की। ओलंपिक खेलों का आयोजन करने के लिए दुनियाभर के देश कोशिश करते हैं, लेकिन हर चार साल में केवल एक देश को ही इन खेलों को होस्ट करने का मौका मिलता है। आखिर किस तरह से किसी देश का चुनाव ओलंपिक खेलों के होस्ट के रूप में होता है, आइए हम आपको बताते हैं।
सबसे पहली आवश्यकता है कि आयोजन करने वाला देश IOC का सदस्य हो। इसके अलावा सामान्यत: जिस महाद्वीप में पिछला ओलंपिक खेल खेला गया हो, उस महाद्वीप में अगली बार दावेदारी नहीं दी जाती है। साल 1996 के ओलंपिक अमेरिका में हुए तो 2000 में ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में। साल 2008 का आयोजन एशिया में ( बीजिंग) हुआ तो 2012 में यूरोपीय महाद्वीप (लंदन) को मेजबानी मिली और 2016 में तो पहली बार दक्षिण अमेरिकी महाद्वीप (रियो) में खेल खेले गए।
साल 2008 से ही जिस देश को ग्रीष्मकालीन खेलों की मेजबानी का मौका मिलता है उसी देश में ओलंपिक खेलों की समाप्ति पर दिव्यांग खिलाड़ियों के लिए पैरालिंपिक खेल आयोजित होते हैं। वैसे दो या ज्यादा देश मिलकर भी आवेदन कर सकते हैं। इसके अलावा एक ही देश एक से ज्यादा शहरों का नाम भी प्रस्तावित कर सकता है।
आवेदन करने वाले देश को अपनी मेजबानी के संबंध में एक प्रेजेंटेशन और प्रस्ताव देना होता है। IOC ऐसे प्रस्तावों को प्राथमिकता देता है जो उस देश में खेल, आर्थिक, सामाजिक, पर्यावरण की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए तैयारी दिखाए। IOC के मुताबिक खेलों का आयोजन सिर्फ उन 4-5 हफ्तों की तैयारी नहीं बल्कि ये सुनिश्चित करना है कि जिस शहर या देश में ओलंपिक खेल हों वहा भविष्य के लिए भी संभावनाएं बनी रहें।
इन सभी तैयारियों के बीच IOC आयोजन की बिड करने वाले देशों / शहरों के लिए विभिन्न राउंड में वोटिंग करता है। और आखिरकार एक नाम का चयन होता है। यह प्रक्रिया सामान्य रूप से ओलंपिक आयोजन से करीब 7-8 साल पहले कर ली जाती है ताकि चयनित देश को तैयारी का पूरा समय मिल सके। जैसे 2032 के ओलंपिक खेलों के लिए कुछ ही दिन पहले ऑस्ट्रेलिया के ब्रिसबेन का चयन हुआ है।
साल 1894 में अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति यानि IOC की स्थापना हुई जिसके बाद 1896 में दुनियाभर के ऐथलीट को एक मंच पर लाने के लिए पौराणिक ग्रीक सभ्यता के पर्याय ओलंपिक खेलों का आयोजन ग्रीस की राजधानी एथेंस में किया गया। साल 1900 के ओलंपिक खेलों के आयोजन के लिए केवल फ्रांस ने पेरिस शहर का नाम दिया था जिस कारण ये खेल पेरिस में खेले गए। 1904 के तीसरे ओलंपिक खेलों के लिए अमेरिका के शहर शिकागो का चयन हुआ था, लेकिन आंतरिक कारणों से खेल सेंट लुईस में खेले गए। इसके बाद से ही लगातार कई देश ओलंपिक खेलों का आयोजन करने की होड़ में आगे आ गए।
दरअसल ओलंपिक खेलों का आयोजन करने वाले देश में इंफ्रास्ट्रक्चर का सुधार करने का एक विशेष मौका मिल जाता है। दुनियाभर की निगाहें उस शहर पर होती हैं जिसका सीधा फायदा शहर और उस देश के विकास को मिलने की संभावना होती है। स्पॉन्सर्स आयोजक देश को वित्तीय फायदा देते हैं, दुनियाभर से एथलीट और फैंस उस देश में खेलों का लुत्फ लेने आते हैं। इस बहाने उस देश के पर्यटन को भी काफी बढ़ावा मिलता है। यही वजह है कि जहां एक समय केवल उत्तर अमेरिका और यूरोप के अमीर देशों में ही खेल आयोजित होते थे, वहीं आज एशिया, अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका के देश भी खेलों के आयोजन करने के लिए दावेदारी पेश कर रहे हैं।