बर्मिंघम कॉमनवेल्थ खेलों के लिए 70 से अधिक देशों (और क्षेत्रीय टेरिटोरी) के खिलाड़ी और सपोर्ट स्टाफ अपनी कमर कस चुके हैं। 22वें कॉमनवेल्थ खेलों का ये संस्करण भारत के लिए काफी खास हैं क्योंकि इस बार निशानेबाजी का इवेंट इन खेलों में शामिल नहीं है। इन खेलों के इतिहास में भारत ने सबसे ज्यादा पदक निशानेबाजी में ही जीते हैं और ऐसे में इस बार भाग लेने वाले खिलाड़ियों पर पदक तालिका में भारत का अच्छा स्थान बनाए रखने की जिम्मेदारी होगी।
बर्मिंघम खेलों में 20 इवेंट्स की अलग-अलग कुल 280 स्पर्धाएं होंगी। भारत की ओर से 16 इवेंट्स में 200 से अधिक एथलीट भाग लेने वाले हैं। भारत ने 2018 के गोल्ड कोस्ट खेलों में 26 गोल्ड समेत कुल 66 पदक जीते थे और पदक तालिका में तीसरे स्थान पर था। इनमें सबसे ज्यादा 7 गोल्ड मेडल शूटिंग से आए थे। लेकिन अब शूटिंग की गैरमौजूदगी में भारतीय दल पर अधिक पदक जीतने का अतिरिक्त दबाव भी होगा।
पिछले पांच कॉमनवेल्थ खेल आयोजनों में भारत पदक तालिका में हमेशा टॉप 5 देशों में शामिल रहा है। भारत ने पहली बार साल 1934 में इन खेलों में भाग लिया था। उस समय इन्हें ब्रिटिश एम्पायर गेम्स कहा जाता था। भारत ने 1930, 1950, 1962 और 1986, चार मौकों पर इन खेलों में भाग नहीं लिया। भारत ने आज तक 181 गोल्ड, 173 सिल्वर, 149 ब्रॉन्ज समेत कुल 503 पदक इन खेलों में जीते हैं और कुल पदकों के मामले में देश ओवरऑल चौथे स्थान पर है।
2010 के दिल्ली कॉमनवेल्थ खेलों में भारत ने अब तक का सबसे अच्छा प्रदर्शन करते हुए न केवल पहली बार 100 से ज्यादा पदक जीते बल्कि ऑस्ट्रेलिया के बाद पदक तालिका में इकलौती बार दूसरे नंबर पर भी रहा था। इस बार भी देश के एथलीट पदक तालिका में अच्छा मुकाम हासिल करने का प्रयास करेंगे। भारत को कुश्ती, वेटलिफ्टिंग, बैडमिंटन, टेबल टेनिस, जैसे खेलों से काफी संख्या में मेडल आने की उम्मीद है। एथलेटिक्स में भी इस बार अच्छी संख्या में मेडल आ सकते हैं। वहीं हॉकी और पहली बार हो रहे टी-20 क्रिकेट इवेंट से भी पदक भारत को मिल सकता है।