Indian Athelets at Number 4th Position : हर चार साल में जब ओलंपिक आता है तो फिर भारतीय एथलीट्स से काफी ज्यादा उम्मीदें रहती हैं। पूरे देश को आस रहती है कि इस बार भारतीय एथलीट ज्यादा से ज्यादा मेडल लाएंगे और भारत का गौरव बढ़ाएंगे लेकिन हर बार वही कहानी दोहराई जाती है। हमारे खिलाड़ी इतिहास तो बनाते हैं लेकिन मेडल नहीं जीत पाते हैं। यह कहानी सिर्फ पेरिस ओलंपिक की नहीं बल्कि हर बार ओलंपिक में ऐसा ही होता है।
अगर आपको याद हो तो रियो ओलंपिक 2026 के दौरान जिम्नास्ट में दीपा कर्माकर चौथे पायदान पर रही थीं। उस वक्त उनका काफी नाम हुआ था कि एक भारतीय जिम्नास्ट ने ओलंपिक में चौथे स्थान पर फिनिश किया, जो काफी बड़ी बात है। हालांकि उसके बाद से दीपा कर्माकर का क्या हुआ और कितने मेडल उन्होंने जीते किसी को नहीं पता। टोक्यो ओलंपिक 2024 में अदिति अशोक के साथ गोल्फ में ऐसा हुआ था। तब उनकी इस बात के लिए वाहवाही हुई थी कि वो थोड़े से अंतर से मेडल जीतने से चूक गईं।
पेरिस ओलंपिक में भी चौथे स्थान पर आने का सिलसिला है बरकरार
अब अगर पेरिस ओलंपिक की अगर बात करें तो इस बार भी यही सिलसिला बरकरार है। हमारे खिलाड़ी बार-बार चौथे स्थान पर फिनिश कर रहे हैं। अर्जुन बबूता शूटिंग में चौथे स्थान पर रहे। आर्चरी के मिक्स्ड टीम इवेंट्स में धीरज और अंकिता की जोड़ी ब्रॉन्ज मेडल नहीं जीत पाई और चौथे स्थान पर रही। स्कीट शूटिंग में अनंत जीत और माहेश्वीर चौथे स्थान पर रहे। इसके बाद लक्ष्य सेन जिनसे काफी ज्यादा उम्मीद थी, वो पहला सेट जीतने के बावजूद मेडल नहीं जीत पाए और उन्हें भी चौथे स्थान से ही संतोष करना पड़ा। मनु भाकर भी दो मेडल जीतने के बाद तीसरे में चौथे स्थान पर रहीं।
भारत के हाथ से फिसले पांच मेडल
अगर आप इन रिजल्टस को देखें तो कुल मिलाकर पांच मेडल भारत के हाथ से निकल गए। इन रिजल्टस से यही पता चलता है कि जब-जब भारतीय एथलीट्स के ऊपर प्रेशर आता है, वो बिखर जाते हैं। लक्ष्य सेन की हार के बाद उनके कोच प्रकाश पादुकोण ने यही बात कही। उन्होंने कहा कि भारतीय खिलाड़ियों को हर तरह की सुविधा दी जाती है लेकिन खिलाड़ी उस हिसाब से परफॉर्म नहीं कर पाते हैं। उन्होंने कहा,
लक्ष्य सेन ने सेमीफाइनल मैच भी लीड के बाद गंवाया था और आज भी वैसा ही हुआ। उन्होंने यहां जीतना चाहिए था। हमारे ओलंपिक में इस बार 3 बड़े मेडल कंटेंशन थे एक भी अगर मेडल आता तो मैं खुश होता। मगर इस नतीजे से मैं निराश हूं।
अब सवाल यह है कि हम कब तक सिर्फ चौथे स्थान पर आकर खुश होते रहेंगे और चीन और जापान जैसे देशों की तरह मेडल जीतना कब शुरु करेंगे। इतिहास रचना अच्छी बात है लेकिन उसके साथ मेडल जीतना उससे भी ज्यादा जरूरी है।