भारत 2032 समर ओलंपिक्स की नीलामी में हिस्सा लेने की अपनी स्थिति को परख रहा है। स्पोर्ट्सकीड़ा ने इस बात को समझा है। परिस्थिति के नजदीकी सूत्रों से पता चला है कि आईओए और एन रामचंद्रन ने 2032 ओलंपिक्स की मेजबानी करने का ब्लूप्रिंट प्रस्ताव भेजा है। ऐसा माना जा रहा है कि प्रस्ताव की प्रक्रिया सुबह हुई और विजय गोएल ने इस आईडिया पर अपनी सहमति दर्शाई है। एक सूत्र ने बताया, 'हमें आईओए की तरफ से आधिकारिक संकेत मिले हैं कि वो 2032 ओलंपिक्स की मेजबानी करने के लिए आईओसी से संपर्क में है। आईओए को पिछली रात ईमेल प्राप्त हुआ है और खेल मंत्रालय इसे आगे बढ़ाने के मूड में है।' भारतीय ओलम्पिक संघ ने सरकार से कहा है कि वह 2032 ओलंपिक की बोली लगाने की उन्हें अनुमति दे। एन रामचंद्रन ने कहा, 'आईओए को एक प्रस्ताव बनाकर उसे सरकार को देना है। उस पर सरकार को सहमति बनानी होगी। इसके बाद सरकार को सार्वभौम गारंटी देनी है। मौजूदा सरकार ही नहीं, बल्कि विपक्ष के नेता की सहमति भी इसके लिए जरूरी है।' ओलंपिक की बोली और उसके बाद के खर्चों के बारे में उन्होंने कहा, 'यह प्रक्रिया लगभग छह से आठ वर्ष तक चलेगी। इसे आसानी से किया जा सकता है। अगर आप आज की लागत पर गौर करो तो यह 12 अरब डॉलर (लगभग 770 अरब रुपए) के लगभग है। जिसमें से आपको 50 प्रतिशत राजस्व से और अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक परिषद (आईओसी) से मिलता है। भारत जैसे देश के लिए आठ वर्षों में छह अरब डॉलर (लगभग 385 अरब रपए) जुटाना मुश्किल नहीं होना चाहिए।' चीन के बाद भारत दुनिया की दूसरी सबसे आबादी वाला देश है। इसलिए ओलंपिक में अपने पड़ोसी चीन का अनुसरण करना चाहिए। लॉस एंजिलिस और पेरिस 2024 ओलंपिक की रेस में हैं। चार अन्य शहरों ने लागत संबंधी चिंताओं को खत्म कर दिया। आईओसी 2024 और 2028 ग्रीष्मकालीन खेलों के लिए दोनों शहरों में एक-एक जगह आयोजन किया जाएगा।