टोक्यो ओलंपिक के खुमार से बाहर निकले दुनिया भर के खेल प्रेमी 24 अगस्त से शुरु हो रहे पैरालंपिक खेलों के लिए बेहद उत्साहित हैं। भारत की ओर से इस बार रिकॉर्ड 54 पैरा ऐथलीट इन खेलों में भाग ले रहे हैं। ऐसे में टोक्यो में देश के पैरा खिलाड़ी रिकॉर्ड पदक जीतने को तैयार हैं। टोक्यो दो बार पैरालंपिक खेलों का आयोजन करने वाला पहला शहर है।
रियो से बेहतर प्रदर्शन होगा
रियो पैरालंपिक 2016 में भारत ने 2 स्वर्ण, 1 रजत और 1 कांस्य पदक के साथ कुल 4 पदक जीते थे। कुल 19 खिलाड़ियों के साथ उतरे भारतीय दल का प्रदर्शन सराहनीय रहा था। मरियप्पन थंगवेलू ने हाई जम्प में स्वर्ण जीता तो देवेंद्र झाझरिया ने जेवलनि थ्रो में। ऐसे में टोक्यो में 54 खिलाड़ियों का दल बेहतर प्रदर्शन करेगा, इसके लिए सभी खेल प्रेमी आश्वस्त हैं। पैरालंपिक समिति ने भी उम्मीद जताई है कि होनहार पैरा ऐथलीट का ये दल इस बार 15 पदक जीतने की संभवाना रखता है।
बैडमिंटन में बड़ी उम्मीद
पैरालंपिक खेलों में पहली बार बैडमिंटन को शामिल किया गया है। इस स्पर्धा में भारत की ओर से कुल 7 खिलाड़ी खेल रहे हैं जिनमें 5 पुरुष और 2 महिला खिलाड़ी शामिल हैं। प्रमोद भगत और मनोज सरकार SL 4 कैटेगरी में विश्व नंबर 1 हैं, जबकि तरुण ढिल्लों तीसरे और आईएएस अधिकारी सुहास सातवें नंबर पर हैं। ऐसे में बैडमिंटन में काफी मेडल आने की उम्मीद है।
ट्रैक एंड फील्ड से मिलेगा सोना
2016 पैरालंपिक में भारत के लिए जेवलिन थ्रो में देवेंद्र झाझरिया और हाई जम्प में मरियप्प्न ने गोल्ड जीता था , वहीं हाई जम्प में वरुण सिंह भाटी ने कांस्य जीता था।
ये तीनों खिलाड़ी टोक्यो में भी चुनौती पेश करेंगे, इसलिए माना जा रहा है ट्रैक एंड फील्ड के पैरालंपिक इवेंट्स में भारत को गोल्ड सहित कई पदक मिल सकते हैं।
शूटिंग में भारत की ओर से 10 निशानेबाज पैरालंपिक में भाग ले रहे हैं, और शूटिंग से भी भारत को पोडियम फिनिश की उम्मीद है। वहीं तैराकी में निरंजन मुकुंदन और सुयश जाधव चुनौती पेश करेंगे। पहली बार पैरालंपिक में ताइक्वांडो को शामिल किया गया है और इसमें भारत की पैरा खिलाड़ी अरुणा तंवर महिलाओं के 44-49 किलोग्राम भार वर्ग में अपना दमखम दिखाएंगी।
भारत ने साल 1968 के पैरालंपिक खेलों में पहली बार शिरकत की थी। इन खेलों में 10 प्रकार की दिव्यांगताओं में खिलाड़ियों को बांटा जाता है और एक स्पर्धा में एक प्रकार की दिव्यांगता वाले खिलाड़ियों का ग्रुप भाग लेता है।
भारत ने 1972 पैरालंपिक में भाग लिया लेकिन इसके बाद अगले दो खेलों में भाग नहीं लिया। साल 1984 के पैरालंपिक खेलों के बाद से ही देश ने लगातार दिव्यांग खिलाड़ियों के इस खेल महाकुंभ में लगातार भाग लिया है। 1972 पैरालंपिक में तैराक मुरलीकांत पेटकर ने तैराकी में देश को पहला पैरालंपिक गोल्ड विश्व रिकॉर्ड बनाने के साथ दिया। पैरालंपिक खेलों में लगातार देश का प्रतिनिधित्व बढ़ रहा है और ये सिर्फ पैरा खेलों के लिए नहीं बल्कि देश में खेलों के पूर्ण विकास के लिए सहायक साबित हो रहा है और हमें उम्मीद है कि इस बार यानि टोक्यो पैरालंपिक खेलों में देश के पैरा एथलीट पदकों की नया कीर्तिमान स्थापित करेंगे।