इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में हुए एशियन गेम्स में भारत ने अब तक का अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए कुल 69 पदक जीते। तो वहीं हमेशा की तरह 132 स्वर्ण, 92 रजत और 65 कांस्य के साथ चीन नंबर-1 पर रहा। चीन के पदकों की संख्या 289 रही, जबकि भारत इस तालिका में 8वें पायदान पर था। इससे पहले भारत की झोली में सबसे ज़्यादा 65 पदक 2010 एशियाई खेलों में आए थे। भारत ने 2018 एशियाड में 15 स्वर्ण पदक, 24 रजत और 30 कांस्य पदक अपने नाम किए। सबसे ज़्यादा स्वर्ण पदक जीतने के भी अपने रिकॉर्ड की भारत ने बराबरी कर ली। 1951 एशियन गेम्स में भी भारत को 15 स्वर्ण पदक मिले थे और इस बार भी सोने की संख्या 15 रही। हालांकि कई ऐसे इवेंट रहे जहां भारत स्वर्ण पदक के पास पहुंच कर चूक गया, अगर ये चूक न हुई होती तो स्वर्ण पदकों की संख्या 20 तक पहुंच सकती थी। एक नज़र डालते हैं भारत की उन पांच चूकों पर जो हमें 5 स्वर्ण पदक और दिला सकती थी।
#5 विकास कृषण सेमीफ़ाइनल में पहुंचकर चोट की वजह से बाहर हुए
भारत के लिए मुक्केबाज़ी में अमित पंघल ने स्वर्ण पदक दिलाया था, साथ ही साथ भारत की सबसे बड़ी उम्मीद विकास कृषण भी बेहतरीन लय में थे। 26 वर्षीय कृषण ने 60 किग्रा लाइटवेट प्रतियोगिता में सेमीफ़ाइनल तक पहुंच चुके थे। लेकिन सेमीफ़ाइनल मुक़ाबला खेलने से पहले ही उन्हें चोट की वजह से बाहर होना पड़ा और उनकी झोली में स्वर्ण की जगह कांस्य पदक ही आया। दरअसल, चीन के मुक्केबाज़ एरबीकी तंगलातिहान के ख़िलाफ़ क्वार्टरफ़ाइनल मुक़ाबले में विकास की बाईं आंख के ऊपर चोट आ गई थी और यही उनके बाहर होने का कारण बन गई।
#4 भारतीय पुरुष हॉकी टीम का मलेशिया से हारना
2014 एशियाई खेलों में पुरुष हॉकी के चैंपियन भारत ने 2018 में भी शानदार आग़ाज किया था। हांग कांग पर 26-0 से रिकॉर्ड जीत ने भारत के हौसले बयां कर दिए थे टीम इंडिया आसानी से सेमीफ़ाइनल में पहुंच गई थी जहां उनके सामने मलेशिया की चुनौती थी। उम्मीद थी कि मलेशिया को भी भारत आसानी से हराते हुए फ़ाइनल का सफ़र तय कर लेगा, लेकिन होनी को कुछ और मंज़ूर था। पेन्लटी शूट आउट में गत विजेता भारत की हार हुई और स्वर्ण पदक का सपना चकनाचूर हो गया। हालांकि भारत ने पाकिस्तान को हराकर कांस्य पदक जीता तो जापान ने मलेशिया को फ़ाइनल में हराकर स्वर्ण पदक पर कब्ज़ा जमाया।
#3 भारतीय पुरुष कबड्डी टीम की सेमीफ़ाइनल में हार
एशियन गेम्स शुरू होने से पहले अगर किसी से पूछा जाता कि वह कौन सी प्रतियोगिता है जिसमें स्वर्ण पदक पक्का है तो सभी एक ही स्वर से कबड्डी का नाम लेते। क्योंकि भारत ने इससे पहले कभी भी कबड्डी में स्वर्ण पदक से कम नहीं हासिल किया था, 7 में से 7 बार भारतीय पुरुष कबड्डी टीम चैंपियन रही थी। जिसके बाद कईयों ने तो यहां तक कह डाला था कि कबड्डी में स्वर्ण पदक तो बस औपचारिकता ही है। लेकिन इस बार ग्रुप स्टेज में ही भारत को पहली बार एशियाई खेलों में हार का सामना करना पड़ा था जब दक्षिण कोरिया से टीम इंडिया हार गई। हालांकि सभी को लगा कि ये बस एक ख़राब दिन था और सेमीफ़ाइनल में तो ईरान को हराकर फ़ाइनल में पहुंच जाएंगे। पर ईरान के इरादे कुछ और ही थे, ईरान ने सेमीफ़ाइनल में भारत को हराकर टूर्नामेंट से कांस्य के साथ ही बाहर कर दिया और फिर ख़ुद बन गए कबड्डी के नए बादशाह।
#2 भारतीय महिला हॉकी टीम की फ़ाइनल में हार
36 सालों बाद एशियाई खेलों में भारतीय महिला हॉकी टीम स्वर्ण पदक जीतने के बेहद क़रीब खड़ीं थीं, जब फ़ाइनल मुक़ाबले में उनके सामने जापान की चुनौती थी। 44वें मिनट तक भारत और जापान का स्कोर 1-1 था और लग रहा था कि टीम इंडिया इतिहास रच देगी। लेकिन जापान की कप्तान मोतोमी कावामुरा के पेनल्टी कॉर्नर के ज़रिए किए गए गोल ने भारतीय उम्मीदों को तगड़ा झटका दिया और भारतीय महिला टीम को 1-2 से मिली हार ने उन्हें रजत पदक से ही संतोष दिलाया।
#1 भारतीय कबड्डी महिला टीम पहली बार बिना स्वर्ण पदक लिए लौटी
भारतीय पुरुष कबड्डी टीम की ही तरह भारतीय महिला कबड्डी टीम की हार भी किसी बुरे सपने से कम नहीं थी। 2010 से महिला कबड्डी को एशियाई खेलों में जगह मिली थी और तब से लगातार दो बार भारतीय महिलाओं ने गोल्ड मेडल हासिल किया था। इस बार भी पुरुषों की हार के बाद सभी की नज़रें महिलाओं के फ़ाइनल पर टिकी थीं। यहां भी भारत के सामने ईरान की ही चुनौती थी और ऐसा लग रहा था कि पुरुषों को मिली हार का बदला भारतीय महिला टीम ईरान से ले लेगी। लेकिन सांस रोक देने वाले इस मुक़ाबले में आख़िरी बाज़ी ईरान ने ही मारी और इस तरह भारत के एक और स्वर्ण पदक की उम्मीदों को झटका दे दिया।