खेल के मैदान पर भारतीय सैन्य बलों का प्रदर्शन

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मुक्केबाज़ी

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मुक्केबाज़ी में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश का गौरव बढ़ने वालों में से कई नाम सेना से ही हैं। सेना के मुक्केबाज़ पदम् बहादुर माला 1962 में जकार्ता में हुए एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय बने। 60 और 70 के दशक में हवा सिंह ने अपनी अलग ही पहचान बनाई और 1961 से 1972 तक लगातार राष्ट्रीय विजेता रहे और साथ ही 1966 और 1970 के एशिया खेलों में स्वर्ण पदक विजेता भी रहे। गोपाल देवांग, महताब सिंह, धर्मेंद्र सिंह यादव, राजेंद्र प्रसाद, और एम् वेणु जैसे कई नाम रहे सेना से जुड़े जिन्होंने समय समय पर देश का सम्मान बढ़ाया। 90 में डिंको सिंह भारत के सर्वश्रेष्ठ मुक्केबाज़ के रूप में उभरे। 1997 में थाईलैंड में किंग्स कप टूर्नामेंट और 1998 में एशिया खेलों में स्वर्ण पदक विजेता रहे। हाल के वर्षों में शिवा थापा एक ऐसे मुक्केबाज़ है जिन्होंने मुक्केबाज़ी चैंपियनशिप में पदक जीते और 2012 में ओलिंपिक के लिए भी चयनित हुए। इनके अलावा सर्विसेज के सोम बहादुर पूण, सुरंजॉय सिंह, गुरुचरण सिंह, नानाओ सिंह, नार्जित सिंह ने भी कई अंतराष्ट्रीय पदक देश के लिए लाये हैं।

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