खेल के मैदान पर भारतीय सैन्य बलों का प्रदर्शन

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निशानेबाज़ी

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भारतीय सेना से आये हुए निशानेबाज़ों ने हमेशा निशाना सही लगते हुए देश के लिए जीत अर्जित की है। मध्य प्रदेश के महू में स्थित सेना की शाखा का इसमें विशेष योगदान रहा है और इसमें दो राय ये भारत को सर्वश्रेष्ट निशानेबाज़ देने वाली जगह बन चुकी है। ग्रेनेडियर रेजिमेंट से आये हुए कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने 2004 के एथेंस ओलंपिक्स में पुरुष डबल ट्रैप प्रतियोगिता में रजत पदक हासिल कर इतिहास रचा और साथ ही 2002 और 2006 के राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीत कर अपनी एक अलग पहचान बनाई। 2012 के ओलंपिक्स में 25 मीटर रैपिड फायर पिस्टल में भारत के लिए रजत पदक जीतने वाले सूबेदार विजय कुमार का नाम कैसे भुलाया जा सकता है जिन्होंने राष्ट्रमंडल और एशिया खेलो में पदक तो जीते ही साथ ही विश्व चैंपियनशिप में भी रजत पदक विजेता रहे है। हाल के दिनों में जीतू राय ने अलग अलग स्तर पर पदक जीते हैं। गोरखा राइफल में नायब सूबेदार जीतू ने 2014 राष्ट्रमंडल खेलो और एशिया खेलों में स्वर्ण पदक हासिल किया और साथ ही 2014 विश्वकप में २ रजत और एक स्वर्ण पदक भी जीतने में सफल रहे। इनके अलावा सेना के ही हरप्रीत सिंह और गुरप्रीत सिंह ने भी राष्ट्रमंडल खेलों जैसे मंचों पर पदक जीत सेना और देश का गौरव बढ़ाया है।