निशानेबाज़ी की तरह ही तीरंदाज़ी भी धैर्य और एकाग्रता का खेल है और इस खेल में भी हमेशा समय समय पर भारतीय सेना ने अपने खिलाड़ियों के दम पर देश का गौरव बढ़ाया। 58 गोरखा ट्रेनिंग सेण्टर शिलांग का प्रतिनिधित्व करने वाले तरुणदीप राय ने भारत की और से ओलिंपिक खेलों में हिस्सा लिया और चीन में हुए एशिया खेलो में रजत पदक और मेड्रिड, स्पेन 2005 में सम्पन्न हुई विश्व चैंपियनशिप में भारतीय टीम के साथ रजत पदक जीतने में सफल रहे। मांझी सवैयाँन का भी नाम खाफी जाना जाता है क्यूंकि उन्होंने 2004 ओलिंपिक में भारत की और से भाग तो लिया ही साथ ही 13वी और 14 वी एशिया निशानेबाज़ी चैंपियनशिप में टीम इवेंट में रजत पदक भी जीता।
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