टोक्यो ओलंपिक में भारतीय पुरूष हॅाकी टीम ने कांस्य पदक जीतकर इतिहास रच दिया था। भारतीय टीम के हॅाकी में पदक आने से देश में इस खेल को लेकर लोगों में नई उमंग दौड़ पड़ी है। हर सफल परिणाम के पीछे अगिनत रातों की मेहनत होती है। कुछ ऐसा ही हमारे भारतीय हॅाकी टीम के साथ रहा। 2008 के दौरान एक समय ऐसा भी था। जब हमारी टीम ओलंपिक में क्वालीफाई करने में असफल रही थी।
ये एक ऐसा दौर था, जहां पर भारतीय हॅाकी इस देश में इतिहास बनने की दौड़ में खड़ा था। वो कहते हैं ना हर काली रात के बाद एक सुनहरी सुबह होती है । कुछ ऐसा ही हमारे टीम के साथ भी हुआ। भारतीय पुरूष हॅाकी टीम ने दोबारा वापसी करते हुए वो इतिहास रच दिया। जिसके लिए हम जानें जाते हैं। आइए एक नजर भारतीय टीम के अर्श से फर्स तक के सफर पर:
1) 2010 विश्व कप में पाकिस्तान को रौंदा
भारतीय पुरूष हॅाकी टीम ने 2010 विश्व कप में पाकिस्तान को रौंदकर ये फिर से साबित किया कि वो अब भी किसी से कम नहीं हैं। हालांकि पड़ोसी देश के खिलाफ जीत के बाद हमें किसी मुकाबले में जीत नहीं मिली लेकिन विश्व हॅाकी ने पूरे चैंपियन की वापसी की सुखबुखाहट सुनना फिर से शुरू कर दिया था।
2) 2012 लंदन ओलंपिक में किया क्वालीफाई
भारतीय पुरूष हॅाकी टीम ने 2012 लंदन ओलंपिक में क्वालीफाई कर एक बार फिर ओलंपिक में दहाड़ते हुए शेर के साथ वापसी की। इस मुकाबले में हमारी टीम एक भी मुकाबला जीतने में असफल रही लेकिन हमारे लिए इस टूर्नामेंट में क्वालीफाई करना ही ओलंपिक जीतने से कम नहीं था।
3) 2016 रियो ओलंपिक में तय किया क्वार्टरफाइनल तक का सफर
भारतीय पुरूष हॅाकी टीम ने 2016 रियो ओलंपिक में क्वार्टरफाइनल तक का सफर तय किया था। इस ओलंपिक में भारत के पदक जीतने की काफी आस लगायी जा रही थी। लेकिन पूरे प्रतियोगिता में भारत का पेनाल्टी शूटआउट ना करना हार का कारण बना। साथ ही ओलंपिक से ठीक पहले एक नया कप्तान नियुक्त करना भारत के लिए गले की हड्डी बन गया।
सरदार सिंह पर ओलंपिक से ठीक पहले उनकी कथित गर्लफ्रेंड ने दुष्कर्म का आरोप लगा दिया था। हॅाकी इंडिया ने बदनामी से बचने के लिए गोलकीपर पीआर श्रीजेश को कप्तान नियुक्त कर दिया था। किसी भी अहम प्रतियोगिता से ठीक पहले कप्तान का बदलना कही ना कही किसी भी टीम का संतुलन बिगाड़ने के लिए काफी है।
4) 2020 टोक्यो ओलंपिक में रच दिया इतिहास
2020 टोक्यो ओलंपिक में भारतीय पुरूष हॅाकी टीम ने मनप्रीत सिंह की कप्तानी में वो कर दिखाया, जिसका इंतजार टीम को 41 साल से था। जर्मनी को आखिरी कुछ सेकेंड में जर्मनी को रौंदकर टीम ने वो कर दिखाया जिसकी कल्पना किसी ने नहीं की होगी। इस के साथ भारतीय हॅाकी के स्वर्णिम इतिहास की शुरूआत हो चुकी है।