28 जुलाई से शुरु हो रहे बर्मिंघम कॉमनवेल्थ खेलों में इस बार देश के खेल प्रेमियों की नजर भारतीय पुरुष हॉकी टीम पर जरूर रहने वाली है। टोक्यो ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर 41 साल का सूखा खत्म करने वाली भारतीय टीम से इस बार फैंस कॉमनवेल्थ में टीम के पहले गोल्ड की उम्मीद कर रहे हैं। लेकिन विश्व नंबर 1 ऑस्ट्रेलिया के वर्चस्व को कॉमनवेल्थ खेलों में तोड़ना भारतीय टीम के लिए काफी मुश्किल होने वाला है।
हॉकी के खेल को पहली बार साल 1998 के कुआलालम्पुर कॉमनवेल्थ खेलों में शामिल किया गया था और लगातार 6 बार से ऑस्ट्रेलियाई टीम पुरुष हॉकी का गोल्ड जीतती आ रही है। भारतीय टीम ने साल 2010 और 2014 में लगातार दो बार सिल्वर मेडल हासिल किया। साल 2010 में ऑस्ट्रेलियाई टीम ने टीम इंडिया को फाइनल में 8-0 के बड़े अंतर से मात दी थी जबकि 2014 में फाइनल 4-0 से गंवाया था। पिछली बार 2018 में गोल्ड कोस्ट गेम्स में भारतीय टीम चौथे नंबर पर रही थी, लेकिन मौजूदा भारतीय टीम का खेल, रफ्तार और लय पुरानी टीम के मुकाबले काफी अलग है।
भारतीय पुरुष टीम आखिरी बार ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टोक्यो ओलंपिक में पिछले साल पूल मैच में भिड़ी थी जहां 7-1 से टीम इंडिया को करारी मात मिली थी। लेकिन इसके बाद टीम इंडिया ने पूल में एक भी मैच नहीं गंवाया और सेमीफाइनल में बेल्जियम से हारकर ब्रॉन्ज मेडल के मैच में जर्मनी के खिलाफ जीत दर्ज की।
इस बार कॉमनवेल्थ खेलों के लिए कोच ग्राहम रीड और कप्तान मनप्रीत सिंह की अगुवाई में टीम फिर उतरेगी। पी आर श्रीजेश, हरमनप्रीत सिंह, अमित रोहिदास, नीलकांता शर्मा, गुरजंत सिंह जैसे खिलाड़ी टीम को मजबूती प्रदान करेगें। टीम मौजूदा समय में यूरोपीय स्टाइल की फिटनेस और रफ्तार वाली हॉकी खेलती दिख रही है और यही ऑस्ट्रेलिया को चुनौती देने के लिए जरूरी होगा। भारतीय टीम ने टोक्यो ओलंपिक के बाद एशियन चैंपियंस ट्रॉफी में तीसरा स्थान हासिल किया जबकि एशिया कप में युवा खिलाड़ियों से लबरेज भारतीय टीम ने ब्रॉन्ज जीता। हाल ही में टीम FIH प्रो हॉकी लीग में तीसरे स्थान पर रही, लेकिन ये बात गौर करने वाली है कि ऑस्ट्रेलिया ने कोविड के कारण लीग में भाग ही नहीं लिया।
आसान हो सकता है सफर
कॉमनवेल्थ खेलों में इस बार हॉकी में कुल 10 टीमें हैं। 'ग्रुप ऑफ डेथ' ग्रुप ए में ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, पाकिस्तान, दक्षिण अफ्रीका, स्कॉटलैंड हैं तो भारतीय टीम ग्रुप बी में भारतीय टीम इंग्लैंड, कनाडा, वेल्स, घाना के साथ है। कागजों पर ग्रुप बी से भारत और इंग्लैंड की टीमें सेमीफाइनल में जाती दिखाई दे रही हैं। ऐसे में भारत का सामना ऑस्ट्रेलिया से सेमीफाइनल से पहले तो नहीं होगा। लेकिन टीम को न्यूजीलैंड को भी हल्के में लेने की गलती नहीं करनी चाहिए। कीवी अपनी अटैकिंग हॉकी के लिए जाने जाते हैं।
कोच ग्राहम रीड को टीम के प्रदर्शन पर भरोसा है और फाइनल तक पहुंचने को लेकर काफी हद तक आश्वस्त हैं। टीम के उपकप्तान हरमनप्रीत सिंह भी टीम पर भरोसा दिखा चुके हैं। ऐसे में इस बार कॉमनवेल्थ खेलों में टीम इंडिया ऑस्ट्रेलिया को कैसे रोकती है, ये देखना काफी दिलचस्प होगा।