टोक्यो ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम ने कांस्य पदक जीता और 41 साल बाद देश को हॉकी में ओलंपिक मेडल दिलाया। इस पदक को जिताने में बेहद अहम भूमिका निभाई टीम के गोलकीपर और पूर्व कप्तान पी आर श्रीजेश ने जिनकी शानदार गोलकीपिंग पूरे टूर्नामेंट में देखने को मिली। शुक्रवार को टीवी शो कौन बनेगा करोड़पति में अपने सफर की बात करते हुए श्रीजेश ने बताया कि एक समय उनके पास हॉकी किट खरीदने को पैसे नहीं थे, और ऐसे में उनके पिता ने घर में पल रही गाय को बेचकर पैसे जुटाए थे।Sportskeeda India@SportskeedaProud family members of PR Sreejesh celebrating Men's Hockey team's success at their home in Kerala. 12:16 PM · Aug 5, 202164088Proud family members of PR Sreejesh celebrating Men's Hockey team's success at their home in Kerala. https://t.co/TTjV4HHqdfपिछले 21 सालों से भारतीय टीम का हिस्सा रहे श्रीजेश ने टोक्यो ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट नीरज चोपड़ा के साथ सोनी टीवी के कौन बनेगा करोड़पति में हिस्सा लिया था। शो के दौरान होस्ट अमिताभ बच्चन ने एक वीडियो दिखाया जिसमें श्रीजेश के पिता और परिवार टोक्यो ओलंपिक का ब्रॉन्ज मेडल मैच देखते दिखाई दे रहे हैं, और जीत के बाद बेहद भावुक हो जाते हैं। वीडियो के खत्म होने पर जब अमिताभ बच्चन ने श्रीजेश से उनके और उनके पिता के संबंध के बारे में पूछा तो श्रीजेश ने बताया कि बचपन में वह शैतानी करते थे और पिता उनकी खूब पिटाई करते थे। स्पोर्ट्स होस्टल जाने के बाद श्रीजेश ने जब गोलकीपिंग को चुना तो उन्हें गोलकीपिंग की किट खरीदनी थी जो महंगी आती है। श्रीजेश ने पिता को फोन कर किट खरीदने की इच्छा जताई।श्रीजेश ने टोक्यो से वापसी पर अपने पिता को अपना ओलंपिक मेडल पहनाया था।गरीब किसान परिवार से आने वाले श्रीजेश के पिता ने तुरंत पैसे जुटाने के लिए घर की गाय बेच दी और पैसे जुटाकर श्रीजेश को पैसे भेजे। श्रीजेश के मुताबिक उनके पास साधारण कपड़े थे, और किट भी साधारण थी, ऐसे में नेशनल कैम्प में जाने पर कई बार अन्य खिलाड़ी उनके हुलिए का मजाक उड़ाते थे, लेकिन श्रीजेश ने पिता की मेहनत के बारे में सोचकर लगातार प्रयास किया और टोक्यो ओलंपिक में जीता कांस्य पदक अपने पिता को समर्पित किया।खुद सबक सीख युवा टीम को दिया हौसलानीरज चोपड़ा और श्रीजेश ने शो में कुल 25 लाख रुपए की राशि जीती।श्रीजेश ने शो के दौरान होस्ट अमिताभ बच्चन और दर्शकों के साथ एक और खास बात साझा की। श्रीजेश ने बताया कि साल 2008 में जब भारतीय हॉकी टीम बीजिंग ओलंपिक के लिए क्वालिफाय नहीं किया था तब वह टीम का हिस्सा थे और बेहद निराश थे। 2012 लंदन ओलंपिक में टीम ने क्वालिफाय तो किया लेकिन एक भी मैच नहीं जीत पाई और आखिरी नंबर पर रही थी। ऐसे में देश वापसी पर हॉकी टीम की बहुत आलोचना हुई। श्रीजेश के मुताबिक कई मौके ऐसे आए जहां अलग-अलग समारोह में उन्हें और हॉकी टीम के खिलाड़ियों को आमंत्रित किया जाता था लेकिन हमेशा सबसे आखिरी पंक्ति में बैठने को कहा जाता था और कोई तवज्जो भी नहीं मिलती थी। ऐसे में श्रीजेश ने टोक्यो ओलंपिक में खेल रहे सभी खिलाड़ियों को यह समझाया कि ओलंपिक मेडल की अहमियत क्या है और टीम को हौसला दिया।