टोक्यो ओलंपिक खेलों में भारतीय शूटिंग दल से पदक की काफी उम्मीदें देश भर के खेल प्रेमियों को हैं। लेकिन खेल महाकुंभ के चार दिन बीत जाने के बाद भी भारत की झोली में निशानेबाजी से एक भी पदक नहीं आया है। ऐसे में फैंस को लग रहा है कि 2016 रियो ओलंपिक के बाद इस बार भी ओलंपिक खेलों में निशानेबाज कहीं खाली हाथ न लौटें।
टोक्यो खेलों में भारत की ओर से कुल 120 एथलीट भाग ले रहे हैं जिनमें से निशानेबाजी में ही 15 शूटर्स भारत की ओर से खेल रहे हैं। इतने शूटर्स के जाने के बाद भी भारत निशानेबाजी का एक भी मेडल इस बार नहीं जीत पाया है। महिलाओं के 10 मीटर एयर रायफल कॉम्पिटिशन में एलावेनिल वलारिवन और अपूर्वी चंदेला क्वालिफिकेशन में ही क्रमश: 16वें और 36वें स्थान पर रहकर बाहर हो गई। 10 मीटर एयर रायफल पुरुष स्पर्धा में दीपक कुमार और दिव्यांश सिंह पंवार भी कुछ खास नहीं कर सके।
क्वालिफिकेशन में टॉप पर रहकर हारे
हैरानी का बात तो ये रही कि कुछ मुकाबलों के क्वालिफिकेशन में तो भारतीय शूटर्स ने बेहतरीन प्रदर्शन किया लेकिन फाइनल में लड़खड़ा गए। 10 मीटर एयर पिस्टल प्रतियोगिता में भारत के सौरभ चौधरी ने क्वालिफिकेशन में 586 अंक के साथ पहला स्थान पाया लेकिन फाइनल मुकाबले में शुरुआत से ही उनके निशाने कमजोर रहे और वो अंतिम 8 खिलाड़ियों में 7वें नंबर पर रहे। 10 मीटर एयर पिस्टल टीम ईवेंट में भारत की मनु भाकर और सौरभ चौधरी ने क्वालिफिकेशन में पहला स्थान हासिल किया। लेकिन फिर फाइनल में खराब प्रदर्शन कर 7वें स्थान पर रह गए।
विश्व चैंपियनशिप विजेताओं ने किया निराश
वैसे भारतीय शूटिंग टीम के अधिकतर खिलाड़ी विश्व स्तर पर चैंपियन रह चुके हैं। मनु भाकर, यशस्विनी देशवाल ISSF विश्व कप में गोल्ड जीत चुकी हैं। सौरभ चौधरी इकलौते भारतीय शूटर हैं जिन्होंने ISSF विश्व चैंपियनशिप, ISSF वर्ल्ड कप, यूथ ओलंपिक खेल, एशियन गेम्स और एशियन एयर गन चैंपियनशिप जीती है। अभिषेक वर्मा 10 मीटर एयर पिस्टल में अभी तक विश्व रैंकिंग में नंबर 1 पर थे। मैराज अहमद ने पहले स्किट विश्वकप में सिल्वर जीता था। अपूर्वी चंदेला 10 मीटर एयर रायफल में तीन बार विश्व कप का गोल्ड जीत चुकी हैं और विश्व नंबर 1 भी हैं। इतनी उपलब्धियों के बाद भी अभी तक निशानेबाजी में किया गया प्रदर्शन निराश करने वाला है।
लगातार 3 ओलंपिक में जीते पदक
साल 2004 में एथेंस ओलंपिक में पुरुषों की डबल ट्रैप शूटिंग स्पर्धा में भारत के राज्यवर्धन राठौर ने रजत पदक जीतकर देश को ओलंपिक इतिहास में शूटिंग का पहला और किसी भी एकल स्पर्धा का भी पहला रजत पदक दिलाया था। इसके बाद साल 2008 में तो 10 मीटर एयर रायफल प्रतियोगिता में भारत के अभिनव बिन्द्रा ने शानदार खेल दिखाते हुए स्वर्ण पदक जीतकर गौरव हासिल किया। 2012 के लंदन ओलंपिक में भी भारत को शूटिंग में 2 पदक मिले जिनमें विजय कुमार ने 25 मीटर एयर पिस्टल में रजत तो गगन नारंग ने 10 मीटर एयर रायफल प्रतियोगिता में कांस्य पदक जीता।साल 2016 मे रियो ओलंपिक में भारत को निशानेबाजी से काफी उम्मीदें थीं, लेकिन भारत को ओलंपिक में केवल 2 रजत पदक मिले और वो भी बैडमिंटन और कुश्ती से आए।
उम्मीद बाकी है
हालांकि निशानेबाजी में अब भी भारतीय दल पूरी तरह बाहर नहीं हुआ है। पुरुष और महिला 50 मीटर 3 पोजिशन में संजीव राजपूत, ऐश्वर्य तोमर, तेजस्विनी सावंत और अंजुम मुद्गिल भारत की चुनौती पेश करेंगे तो 25 मीटर एयर पिस्टल में मनु भाकर और राही सरनोबत भी मैदान में उतरेंगी। ऐसे में फैंस को बस यही उम्मीद है कि इस बार रियो की कमी पूरी करते हुए भारतीय शूटर्स अपने पूरे जोर-शोर से खेलते हुए देश को ओलंपिक का तमगा जरूर दिलाएं।