भारत में इन दिनों खेलों का शूमार हर किसी के सर चढ़कर बोल रहा है। खेलों को लेकर भारत की ऐसा दिवानगी पहले कभी देखने को नहीं मिली। टोक्यो ओलंपिक में खिलाड़ियों के शानदार प्रदर्शन के बाद पैरालंपिक खिलाड़ी भी अपनी किस्मत अजमाने के लिए मैदान में उतरने वाले हैं पैरालंपिक खेलों का आयोजन 24 अगस्त से जापान में होने जा रहा है। भारत भी अन्य देशों की तरह स्पोर्टिंग पावरहाउस बनने के होड़ में है। अगर इसी गति में आने वाले दिनों में काम किया जाए तो भारत की गिनती शीर्ष-25 स्पोर्टिंग देशों में होना शुरू हो जाएगी।
1) खिलाड़ियों को मिल रही उम्मीदानुसार सुविधा
2016 रियो ओलंपिक में भारत को लचर प्रदर्शन को देखते हुए विश्व भर में भारत के खेल सुविवा को लेकर लगातार सवाल उठ रहे थे। जिसके बाद सरकार ने खिलाड़ियों और सरकार के बीच वर्तालाप का दौर शुरू हुआ। उदाहरणस्वरूप नतीजा हम सबके सामने आए हैं। ओलंपिक के इतिहास में भारतीय दल के खाते में कुल 7 पदक आए हैं। ओलंपिक नहीं बल्कि इससे पहले आयोजित राष्ट्रमंडल और एशियन गेम्स में भी भारतीय खिलाड़ियों को मिलने वाली सुविधा पर भी विशेष जोर दिया गया।
2) दिव्यांग खिलाड़ियों के लिए बढ़ी सुविधा
2016 रियो ओलंपिक के तर्ज पर पैरालंपिक खिलाड़ियों को उसी तर्ज पर सम्मान मिल जो एक आम एथलीट को मिलनी चाहिए। दिव्यांग खिलाड़ी को रहने के लिए अच्छे होटल, अभ्यास के लिए अच्छा स्टेडियम और उनके देख-रेख के लिए सरकार ने काफी लोगों की व्यवस्था की।
3) खेलो इंडिया प्रतियोगिता का आयोजन
भारत सरकार ने खेलो इंडिया नाम के प्रतियोगिता के आयोजन की शुरूआत की। जिसका सिर्फ एक ही लक्ष्य में देश में खेलों को लेकर सुविधा को और बेहतर करना। जिसमें कही ना कहीं सरकार को सफलता मिली। खेलो इंडिया स्कूल के साथ यूनिवर्सिटी गेम्स का भी आयजोन शुरू हो गया। इतना ही नहीं भारत सरकार ने विभीन्न राज्य और जिले में खेलो इंडिया सेंटर का अनावरण किया। जिसका लक्ष्य भारत में खिलाड़ियों के लिए सुविधाओं को औऱ बेहतर बना।
4) भारतीय खेल प्रधिकरण में सभी को खेलने की अनुमति
भारतीय खेल प्रधिकरण हर राज्य में उपलब्ध है। यहां पर भारत के ख्याति प्राप्त खिलाड़ियों के अभ्यास करने की अनुमति है। इस निर्णय में बदलाव लाते हुए इन सेंटर की सुविधाओं को सभी के लिए खोलने का निर्णय लिया गया।
5) मेडल जीतने के बाद ही खिलाड़ियों का सम्मान
भारत में खिलाड़ियों का सम्मान प्रतियोगिता जीतने के कई महीनों बाद किया जाता था। जिसे बदलकर भारत सरकार ने मेडल जीतने वाले खिलाड़ियों का सम्मान वतन लौटती ही करने का निर्णय लिया।