बॉक्सिंग विश्व चैम्पियनशिप में महिलाओं के 48 किलोग्राम भार वर्ग के फाइनल में भारतीय बॉक्सर एमसी मैरीकोम ने हना अखोता को एक तरफा मुकाबले 5-0 से हराकर छठी बार स्वर्ण पदक जीता। महिला मुक्केबाजी विश्व चैम्पियनशिप में 6 बार सोना जीतने वाली मैरीकोम विश्व की इकलौती महिला मुक्केबाज हैं। इस विश्व रिकॉर्ड के साथ उन्होंने दुनिया भर में भारत को गौरवान्वित किया है।
युक्रेन की 22 वर्षीय मुक्केबाज को भारतीय बॉक्सर ने कोई मौका नहीं दिया और लगातार हमलों के बल पर मैच जीता। 2001 में हुई विश्व चैम्पियनशिप में मैरीकोम ने रजत पदक जीता था। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और लगन तथा मेहनत के बल पर 5 बार लगातार स्वर्ण पदक जीता। विश्व चैम्पियनशिप के फाइनल में 7 बार पहुँचना भी एक विश्व रिकॉर्ड है और यह भी मैरीकोम के नाम ही है। उन्हें बॉक्सिंग की रानी कहा जाए, तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होग।
तीन बच्चों की मां यह 35 वर्षीय महिला बॉक्सर भारतीय संसद के उच्च सदन यानि राज्यसभा में भी राष्ट्रपति द्वारा मनोनित हैं। कई बार वे राज्यसभा की कार्यवाही में जाती हैं।
एक समय ऐसा भी था जब बचपन में एमसी मैरीकोम के घर पर मिट्टी की झोंपड़ी हुआ करती थी और अभिभावकों के साथ उन्हें भी मजदूरी करनी पड़ी। उन्होंने अपने सपनों को पूरा करने की ठानी और लम्बी उड़ान भरने का जज्बा मन में पैदा किया। कठिन मेहनत के दम पर उन्होंने एक के बाद एक उपलब्धि हासिल करते हुए देश और खुद का नाम किया। आज मैरीकोम वह नाम है जो किसी परिचय का मोहताज नहीं है। इतना बड़ा नाम होने के बाद भी वह घर में रहते समय खुद काम करती हैं। अपने पुराने दिनों को नहीं भूलने वाली यह बॉक्सर जैसी पहले थी, वैसी आज भी हैं। एक दिग्गज की सादगी ही सबसे बड़ा गुण माना जाता है और मैरीकोम में यह देखा जा सकता है।