जीतू कंवर ने छह महीनों में राष्ट्रीय पैरा एथलीट खेलों में जीता स्वर्ण पदक, रियो ओलंपिक से ली थी प्रेरणा

जीतू कंवर खेल के अलावा पढ़ाई में भी a
जीतू कंवर खेल के अलावा पढ़ाई में भी अव्वल हैं

हौंसलों के पर मजबूत और इरादे अडिग हो, तो कुछ भी करना असंभव नहीं है। यही कर दिखाया है जोधपुर की बालेसर तहसील के छोटे से गांव खुड़ियाला की दिव्यांग लड़की जीतू कंवर भाटी ने। 22 वर्षीय जीतू कंवर को सभी प्यार से जीत के नाम से बुलाते हैं। पैरालंपिक खेलों में महज छह महीनों में इस खिलाड़ी ने वो कर दिखाया है, जिसमें अच्छे-अच्छों को वर्षों लग जाते हैं। 31 मार्च से 4 अप्रैल 2017 तक एसएमएस स्टेडियम जयपुर में हुए राष्ट्रीय पैरा एथलीट खेलों में जीतू ने टी 36 श्रेणी दौड़ में 100 मीटर के लिए गोल्ड और 200 मीटर के लिए सिल्वर मेडल जीता। 'टी' 36 श्रेणी खिलाड़ियों की बॉडी में होने वाली परेशानी के आधार पर वर्गीकृत एक कैटेगरी होती है।

गौरतलब है कि जीत के माता-पिता को उनकी सेरेवल पोल्सी बीमारी के बारे में 3 वर्ष की उम्र में पता चला। इसमें शरीर की नसों में खिंचाव रहता है तथा बोलने में भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। जीत के साथ भी यही है और उनके शरीर का 40 फीसदी हिस्सा इससे ग्रसित है।

पैरा स्पोर्ट्स में शुरुआत से लेकर बेहद कम समय में राष्ट्रीय स्तर तक सफलता के झंडे गाड़ने के तमाम पहलूओं पर जीतू कंवर ने स्पोर्ट्सकीड़ा से विशेष बातचीत की। आइए जानते हैं उन्होंने क्या कहा:

प्रश्न- जीत आप अपनी इस सफलता का श्रेय किसे देना चाहेंगी?

माता-पिता के अलावा राजस्थान पैरा स्पोर्ट्स संघ के हेड दिनेश उपाध्याय सर को मैं इसका श्रेय देना चाहूंगी क्योंकि, उन्होंने ही मेरा पूरा मार्गदर्शन किया है। इसके अलावा मेरे छोटे भाई कुशवीर सिंह ने मेरा बहुत साथ दिया।

प्रश्न- आपको इस तरह अचानक पैरा एथलेटिक्स से जुड़ने की प्रेरणा कैसे और कहां से मिली

2016 में ब्राजील के रियो में हुए पैरालंपिक खेलों के बारे में समाचार पत्रों के माध्यम से पढ़ा तथा मालूम किया कि यह होता क्या है तथा मैं पैरा एथलीटों के खेलों में कैसे हिस्सा ले सकती हूं। वहां से राजस्थान पैरालंपिक संघ से संपर्क किया तथा सभी चीजें मालूम करने के पश्चात अभ्यास शुरू कर दिया। इससे मुझे मेरी बॉडी में होने वाली तकलीफ में फायदा होना शुरू हुआ और मैंने इसे लगातार जारी रखा।

प्रश्न- आपने अभ्यास शुरू करने के डेढ़ महीने बाद ही राज्य स्तर पर मेडल जीता, इतने कम समय में यह करने के लिए आपने क्या किया?

राजस्थान पैरा एथलीट संघ से संपर्क में आने के बाद मैंने सुबह 5 बजे और शाम को छह बजे लगातार दौड़ने का अभ्यास जारी रखा तथा दिसंबर 2016 में राज्य पैरा स्पोर्ट्स प्रतियोगिता में 400 मीटर में गोल्ड और 200 मीटर में सिल्वर तथा इसी प्रतियोगिता में 100 मीटर रेस में मैंने सिल्वर मेडल प्राप्त किया।

प्रश्न- पहली ही बार में राज्य स्तर पर खेलकर सफल होने के बाद आपने राष्ट्रीय स्तर पर खेलने के लिए खुद को कैसे तैयार किया?

राज्य स्तर पर जीत प्राप्त करके मुझे लगा कि 'यस आई कैन डू मोर बेटर' उसके बाद मैंने सुबह तीन घंटे और शाम को तीन घंटे दौड़ना जारी रखा तथा अगले 4 महीनों में मैंने 100 मीटर रेस का खुद का ही पुराना रिकॉर्ड तोड़ने में सफलता प्राप्त की। 3 अप्रैल 2017 को जयपुर में आयोजित राष्ट्रीय पैरा एथलीट प्रतियोगिता में मैंने 100 मीटर रेस 24 सेकण्ड में पूरी कर गोल्ड जीता, जबकि 5 से 6 महीने पहले शुरुआत में इसी दूरी के लिए मुझे 48 सेकण्ड लगते थे। टी 36 श्रेणी की इस दौड़ में मैंने 100 मीटर के अलावा 200 मीटर में भी भाग लिया तथा सिल्वर मेडल जीतने में सफल रही। प्रश्न- आपके बारे में यह भी सुना गया है कि आपने रेस के अलावा अन्य खेलों में भी मेडल प्राप्त किये हैं?

हां यह सही है, फ़रवरी में दिल्ली में हुई पैरा एथलीट चैम्पियनशिप में मैंने 400 मीटर दौड़ में गोल्ड जीता और उसके बाद जैवेलियन थ्रो में सिल्वर जीतने के अलावा लॉन्ग जम्प में भी सिल्वर मेडल प्राप्त किया था। मेरा मुख्य फोकस रेस ही है क्योंकि जैवेलियन थ्रो में मेरे हाथ ठीक से काम नहीं कर पाते हैं। हां, मैं ऊंची कूद में और अच्छा कर पा रही हूं।

प्रश्न- जब आपने नवम्बर 2016 में अभ्यास शुरू किया था तब आपका समर्थन किसने किया?

मेरे माता-पिता और दिनेश सर का समर्थन मुझे हमेशा प्राप्त था और आगे भी रहेगा। उनके अलावा कई लोगों को लगता था कि मैं टाइम पास कर रही हूं तथा कुछ भी करना संभव नहीं है, इसी वजह से मैंने राष्ट्रीय स्तर पर खेलने के लिए जाते समय किसी को कुछ नहीं बताया। मैंने चुपचाप ही जाने का फैसला किया क्योंकि उन्होंने मेरा हौसला बढाने की बजाय तोड़ा ही है। हां सफलता के बाद सभी लोग घर पर आए और तारीफ भी की, जिससे काफी अच्छा लगा।

प्रश्न- कम समय में आपने खेलों में सफलता प्राप्त तो की ही है, लेकिन आप पढ़ने में भी उतना ही तेज हैं

'हंसती हैं,' हां मैंने 12वीं क्लास में अपनी श्रेणी में सर्वाधिक अंक प्राप्त कर 'इंदिरा प्रियदर्शनी' पुरस्कार जीता था और जोधपुर विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन के बाद राजस्थान केन्द्रीय विश्वविद्यालय से पब्लिक पॉलिसी लॉ एंड गवर्नेंस में पोस्ट ग्रेजुएशन किया, जहां मैंने टॉप कर गोल्ड मेडल जीता। फ़िलहाल मैं दिल्ली के जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय से एमफिल कर रही हूं, इसके बाद पीएचडी करूंगी। हाल ही में मेरा यूजीसी जेआरएफ के लिए भी चयन हुआ है।

प्रश्न- खेलों को लेकर आगे आपकी कोई योजया या रणनीति?

फ़िलहाल मेरा लक्ष्य यही है कि रेस में आगे तक जाना है तथा भारत में होने वाली सभी पैरा एथलीट प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने के अलावा मेरा ध्यान 2020 में जापान के टोक्यो में होने वाले पैरालिम्पिक खेलों पर है। इसके लिए मैं सुबह 5 बजे अभ्यास के लिए जाती हूं तथा वहां से 8 बजे आने के बाद एमफिल का काम करने के लिए जेएनयू पुस्तकालय जाती हूं तथा वापस शाम 6 बजे दौड़ने चली जाती हूं। हां मेरे पापा का सपना मुझे आईएएस बनाने का है लेकिन अभी उसके लिए समय है।

प्रश्न- बहुत सारी बातें तो हो चुकी है अब यह बताएं कि आपके परिवार में कौन-कौन हैं?

मेरे पापा जो एक सरकारी कंपाउडर हैं और उनकी पोस्टिंग गांव के आस-पास ही है। मम्मी गृहणी है तथा हम तीन बहनें और 2 भाई सहित पांच बहन-भाई हैं, मैं सबसे बड़ी हूं।

बातचीत के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद जीत और हम भी यही कामना करते हैं कि आप कामयाबी के शिखर को हमेशा छूती रहें।

धन्यवाद

?

?कहा।

Edited by Staff Editor
Sportskeeda logo
Close menu
WWE
WWE
NBA
NBA
NFL
NFL
MMA
MMA
Tennis
Tennis
NHL
NHL
Golf
Golf
MLB
MLB
Soccer
Soccer
F1
F1
WNBA
WNBA
More
More
bell-icon Manage notifications