साल 2014 में आईएसएसएफ वर्ल्डकप म्युनिक में ही ये बुनियाद मजबूत हो गयी थी। भारत ने इस मुकाबले में अपनी मजबूत दावेदारी पेश की थी। वहां जहां कई भारतीय अनुभवी और हाई प्रोफाइल शूटर थे, लेकिन इस मिले मौके में नेपाली मूल के भारतीय युवा शूटर ने 3 मेडल जीतकर सनसनी पैदा कर दी। ये पहला ऐसा मौका था जब किसी भारतीय शूटर ने विश्वकप में कई मैडल जीते थे। 10 मीटर एयर पिस्टल के इवेंट में सोने पर निशाना लगाने वाले जीतू राय बहुत ही गंभीर रहते हैं, “मैंने अपनी तकनीक या उपकरण में कोई बदलाव नहीं किया। मैंने हमेशा की तरह अभी भी कड़ी ट्रेनिंग करता हूँ। मुझे नहीं पता क्या होगा।” जो लोग जीतू राय को करीब से जानते हैं, उनके लिए ये कोई चौंकाने वाली बात नहीं थी। 5 फीट 4 इंच लंबे जीतू राय का बचपन पूर्वी नेपाल के संखुवा सभा जिले के सित्ताल्पति-8 में धान की रोपाई, आलू और मक्के की खेती करते हुए बीता है। उनके सभी बड़े भाई बहन विदेशों में अलग अलग जगह नौकरी कर रहे थे। खेतों में काम करते हुए और फसलों के बीच में रहने की वजह से उनके अंदर नैतिक मूल्य काफी मजबूत हैं। पिता की मौत के बाद राय भारत आ गये और उन्होंने गोरखा रेजिमेंट ज्वाइन करने का निर्णय लिया। जहां वह प्रमोट होते हुए नायब सूबेदार के पद पर पहुंच गये। शूटिंग से उनका मुगालता अचानक हुआ था। लखनऊ स्थित भारतीय सेना में ट्रेनिंग के दौरान उनकी शूटिंग स्किल जल्द ही आकार लेने लगी। यहां तक कि राय जब अभ्यास करते थे, तब भी उन्हें इसमें करियर बनाने की नहीं सूझती थी। लेकिन जब उन्होंने आर्मी शूटिंग इवेंट में प्रभावित किया तो सेना के अधिकारी ने उन्हें आर्मी मर्क्समैन इकाई महो में भेज दिया। जहां उन्हें दो बार रिजेक्शन का भी सामना करना पड़ा। लेकिन घरेलू स्तर पर बेहतरीन प्रदर्शन के दम पर राय ने दोबारा वापसी की। लाइमलाइट में भी अच्छा खेल दिखा रहे आईएसएसएफ वर्ल्डकप म्युनिक में राय ने रिकॉर्डतोड़ प्रदर्शन किया था। इससे पहले उन्हें पूरा देश नहीं जानता था। वह आईएसएसएफ वर्ल्डकप में पिस्टल रैंकिंग में नम्बर एक स्थान पर आ गये थे। उसके बाद जीतू ने कॉमनवेल्थ और एशियन गेम्स में भी स्वर्ण पदक हासिल किया। उसके बाद मीडिया में उनकी चर्चा तेजी से बढ़ी। उन्हें उत्तर प्रदेश सरकार ने 50 लाख रुपये इनाम में दिए। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा, “राय ने अपने दृढ़संकल्प, कठिन मेहनत और अपनी बेहतरीन प्रतिभा का हुनर दिखाते हुए एशियन गेम्स में देश और प्रदेश को स्वर्णिम सफलता दिलाई है। उनकी ये क्षमता लम्बे समय तक बरकरार रहे।” हालांकि साल 2015 में चैंगवन वर्ल्डकप में उनका प्रदर्शन आशानुरूप नहीं था, जहां उन्हें कांस्य पदक से संतुष्ट होना पड़ा। जबकि राय ने अपना हाई स्टैन्डर्ड बनाये रखा। इस भारतीय ने कई महत्वपूर्ण इवेंट्स में अच्छा प्रदर्शन किया। साथ ही अपनी तकनीक को सुधारने का भी काम किया। राय अपने करियर के बारे में कहते हैं, “कुछ साल पहले मैं कभी ये नहीं सोचता था कि मैं बहुत कुछ हासिल कर लिया है। मैं सेना का ऋणी हूं। अगर उसमें न होता है, तो ब्रिटेन में होता या फिर नेपाल में आलू की खेती करता।” राय आगे कहते हैं कि मेरा परिवार और मेरे गांव के लोग शूटिंग वर्ल्डकप कैसी बला है नहीं जानते थे। साल 2016 में जीतू ने रियो के लिए क्वालीफाई किया था। जिसके बाद से उन्हें भारत के पदक लाने वाले उम्मीदवार की तरह देखा जाता है। अर्जुन अवार्ड से सम्मानित राय कहते हैं, “मुझे दबाव से निपटना आता है, मैं महसूस करता हूं। लेकिन आप हमेशा सुधार कर सकते हो। हमें ओलम्पिक खेलों को भी अन्य शूटिंग इवेंट की तरह ही सोचना चाहिए। कुल मिलाकर यहां भी वही प्रतियोगी होते हैं, जिनसे हम साल भर मुकाबला करते रहे हैं। ओलम्पिक एक बड़ा मुकाबला है, लेकिन इसका हम दबाव में नहीं ले सकते।”