पिछले कुछ दिनों में देश के लिए खेल के मैदान से अच्छी खबरें आईं जब टोक्यो ओलंपिक में भारत ने 1 गोल्ड समेत 7 मेडल के साथ ओलंपिक इतिहास का अपना सबसे अच्छा प्रदर्शन किया। इसी बीच देश के सर्वोच्च खेल सम्मान राजीव गांधी खेल रत्न का नाम बदलकर मेजर ध्यानचंद खेल रत्न अवॉर्ड रखने का फैसला केंद्र सरकार ने लिया और एक बार फिर ये पुरस्कार चर्चाओं में है। टोक्यो ओलंपिक में खिलाड़ियों के प्रदर्शन के बाद कयास लगने शुरु हो गए हैं कि किस खिलाड़ी को इस बार ये सम्मान मिल सकता है।
नीरज चोपड़ा को खेल रत्न मिलना तय
टोक्यो ओलंपिक में शानदार प्रदर्शन करते हुए जेवलिन थ्रो का गोल्ड जीतने वाले नीरज चोपड़ा को इस साल खेल रत्न पुरस्कार मिलना तय माना जा रहा है। चोपड़ा के गोल्ड से भारत पदक तालिका में टॉप 50 में जगह बनाने में कामयाब रहा। चोपड़ा के अलावा बॉक्सर लवलीना बोर्गोहिन, पहलवान रवि कुमार, पुरुष हॉकी टीम के कप्तान मनप्रीत सिंह को भी टोक्यो में पदक जीतने के बाद खेल रत्न का दावेदार माना जा रहा है।
30 साल पहले शुरु हुई पंरपरा
साल 1991-92 के सत्र के लिए पहली बार देश में खेलों में सर्वोच्च योगदान देने वाले खिलाड़ी को खेल रत्न देने का फैसला लिया गया। इन पुरस्कारों को देने के लिए पहले किसी भी खिलाड़ी का उस साल का ट्रैक रिकॉर्ड देखा जाता था, लेकिन अब बीते 4 सालों में जीते मेडल, प्रतियोगिताएं आदि में की गई परफॉर्मेंस के आधार पर यह फैसला लिया जाता है। आमतौर पर हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले स्वर्गीय मेजर ध्यानचंद की जयंती - 29 अगस्त, जिसे राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में भी मनाया जाता है, के दिन दिए जाने वाले राष्ट्रीय खेल पुरस्कारों के साथ ही खेल रत्न भी दिया जाता है। विभिन्न खेल प्राधिकरण, एजेंसियों की ओर से अधिकतम दो ही खिलाड़ी नामित किए जा सकते हैं। पुरस्कार के रूप में देश के राष्ट्रपति के हाथों पदक और रु. 25 लाख की ईनामी धनराशि भी दी जाती है।
साल 1991-92 में पहली बार खेल रत्न पुरस्कार चेस ग्रैंडमास्टर विश्वनाथन आनंद ने जीता और 1992-93 के लिए बिलियर्ड्स खिलाड़ी गीत सेठी को ये सम्मान मिला। सचिन तेंदुलकर इस सम्मान को जीतने वाले पहले क्रिकेट खिलाड़ी बने जब साल 1997-98 के लिए उन्हें ये पुरस्कार दिया गया। सचिन के अलावा भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी, वर्तमान कप्तान विराट कोहली और ओपनर रोहित शर्मा को भी यह पुरस्कार मिल चुका है। निशानेबाजी में सबसे ज्यादा 8 खिलाड़ियों को खेल रत्न सम्मान दिया गया है। वर्तमान में प्रदर्शन के आधार पर एक से अधिक खिलाड़ियों को ये सम्मान दिया जा सकता है।
जीत से पहले ही सम्मानित हो चुके हैं ओलंपिक विजेता
खेल रत्न पुरस्कारों का एक खास संयोग रहा कि इसे जीतने वाले खिलाड़ियों ने आगे चलकर देश को ओलंपिक खेलों में मेडल दिलाया।साल 1994-95 में वेटलिफ्टर कर्णम मल्लेश्वरी को खेल रत्न दिया गया और 2000 सिडनी ओलंपिक में वो देश के लिए कांस्य पदक लेकर आईं।
साल 2001 में शूटर अभिनव बिंद्रा को 18 साल की उम्र में ये पुरस्कार दिया गया और वो इस पुरस्कार को जीतने वाले सबसे कम उम्र के खिलाड़ी बने। बिंद्रा ने खेल रत्न मिलने के 7 साल बाद यानि 2008 में बीजिंग ओलंपिक में देश को पहला एकल गोल्ड मेडल दिलाया। साल 2009 में बॉक्सर मेरिकॉम, 2010 में बैडमिंटन खिलाड़ी साईना नेहवाल और 2011 में शूटर गगन नारंग ने खेल रत्न जीता, और तीनों ने ही साल 2012 में लंदन ओलंपिक में 1-1 कांस्य पदक जीता। टोक्यो ओलंपिक 2020 में देश को पहला पदक दिलाने वाली वेटलिफ्टर मीराबाई चानू को 2018 में ही खेल रत्न दिया जा चुका है।
देर से होगा नाम का ऐलान
आमतौर पर खेल रत्न पुरस्कार विजेता (ओं) के नामों की घोषणा 25 अगस्त तक हो जाती है ताकि 29 अगस्त को खेल दिवस के मौके पर अर्जुन अवॉर्ड एवं अन्य खेल अवॉर्ड के साथ खेल का सर्वोच्च सम्मान ऐथलीट को दिया जा सके, लेकिन इस बार 24 अगस्त से टोक्यो में पैरालंपिक खेल भी शुरु होने वाले हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि पैरालंपिक में भारतीय एथलीटों के प्रदर्शन के बाद ही खेल रत्न एवं अन्य पुरस्कारों की घोषणा की जाएगी। पैरालंपिक में दो बार (2004, 2016) जैवलिन थ्रो का स्वर्ण पदक जीतने वाले देवेंद्र झाझरिया और 2016 रियो पैरालंपिक में शॉट पुट का सिल्वर जीतने वाली दीपा मलिक, दोनों को ही खेल रत्न दिया जा चुका है।