केंद्रीय खेलमंत्री किरेन रीजीजू ने मंगलवार को वर्चुअली 8 खेलो इंडिया राज्य केंद्र का उद्घाटन किया, जिसमें नागालैंड का एक केंद्र शामिल है। खेलो इंडिया स्टेट सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (केआईएससीई) के अन्य केंद्र कर्नाटक, अरुणांचल प्रदेश, केरल, मणिपुर, मिजोरम, ओडिशा और तेलंगाना में खुले। इस मौके पर किरेन रीजीजू ने कहा कि केंद्रीय सरकार भारत में खेल परंपरा विकसित करना चाहती है। उन्होंने कहा कि खेलो इंडिया ब्रांड बन चुका है। उन्होंने साथ ही कहा कि लड़के और लड़कियां सहित सभी खेलो इंडिया कार्यक्रम का भाग बन चुके हैं। खेलो इंडिया गेम्स देश का सबसे लोकप्रिय खेल इवेंट बन गया है।
रिजिजू ने कहा कि खेल भारत में जीवन और संस्कृति का जरिया बनना चाहिए। भारतीय सरकार ने राज्य सरकार के सहयोग से युवा लड़के-लड़कियों के लिए मूलभूत सुविधाएं बनाई हैं। किरेन रीजीजू ने साथ ही कहा कि भारत में खेल के लिए बड़ी मात्रा में प्रतिभा मौजूद है, लेकिन सुविधाओं की कमी के चलते कई लोग उभर नहीं पाते हैं। रीजीजू ने कहा कि सरकार ने केआईएससीई शुरू की है जो नेशनल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में राज्य सरकार के साथ साझेदारी की है।
रीजीजू ने कहा कि सरकार हरसंभव प्रयास को तैयार
रीजीजू ने कहा, 'मंत्रालय तैयार है कि जरूरी आर्थिक सहायता करे ताकि सुनिश्चित हो सके कि केआईएससीई पर्याप्त ढांचा और श्रमशक्ति विकसित कर सके। मेकिंग इंडिया को उच्च स्तरीय कोचिंग व ट्रेनिंग के साथ वैश्विक सुपर पावर बनाने पर जोर दिया जाए।' रीजीजू ने कहा कि भारत बड़ा देश है और लक्ष्य है कि अगले ओलंपिक्स में वह शीर्ष-10 देशों में अपनी जगह बना सके। उन्होंने साथ ही कहा कि खेल केंद्र जरूरत के मुताबिक मानकों के हिसाब से विकसित किए जाएंगे। रीजीजू ने कहा, 'हम राज्य सरकार के साथ हाथ से हाथ मिलाकर चलेंगे ताकि राज्य में खिलाड़ी का विकास सुनिश्चित हो सके।'
इस मौके पर बात करते हुए नागालैंड के खेल सलाहकर जाले नीखा ने अपने भाषण में भारतीय सरकार, खेल मंत्रालय का शुक्रिया अदा किया, जिन्होंने खेलो इंडिया राज्य केंद्र का शुभारंभ करके नागालैंड को खेल मंत्रालय के कार्यक्रम के पहले चरण में जाने का मौका दिया। नागालैंड में खेल प्राथमिकता रेसलिंग, आर्चरी और मुक्केबाजी है। उन्होंने कहा कि नागालैंड इस शैली में अपनी महारत साबित करने का प्रयास किया। उन्होंने कहा, 'हम यह तय करेंगे कि युवा भारतीय खिलाड़ी अगले चार साल को पूरी गभीरता से लें और भारत के इतिहास में अपना नाम बना। डा टी एओ और चेक्रोवोल सुवरोकी राह चले और अपने देश का नाम रोशन करें। '