खेलमंत्री किरेन रीजीजू ने लोगों से एक अपील की है। किरेन रीजीजू ने कहा कि जो खेल नहीं खेलते हैं, वह कम से कम खेल देखकर खिलाड़ियों की हौसलाअफजाई करें। क्रीड़ा भारती द्वारा आयोजित कार्यक्रम में खिलाड़ियों और खेलो इंडिया के मेडल विजेताओं को संबोधित करते हुए खेल मंत्री किरेन रीजीजू ने यह बयान दिया।
किरेन रीजीजू ने गुरुवार को कहा, 'हर कोई खेल नहीं खेल सकता। मगर आप अगर नहीं खेल सकते, तो खेल देखिए और खिलाड़ियों का उत्साह बढ़ाइए। स्टेडियम में मौजूद दर्शक और टीवी पर देखने वाले दर्शक खेल की लोकप्रियता का फैसला करेंगे और स्पॉन्सरशिप को आकर्षित कर सकते हैं, जो खेल की प्रगति में मददगार साबित होगी।'
किरेन रीजीजू ने लोगों के स्थानीय खेल और गैर-ओलंपिक गेम्स के प्रति लोगों के नजरिये के बारे में भी बातचीत की। खेलमंत्री किरेन रीजीजू ने कहा, 'अगर हम स्टेडियम में हॉकी मैच आयोजित कराएं, जहां दर्शकों की क्षमता 80,000 हो, लेकिन अगर देखने के लिए 2,000 लोग ही पहुंचे तो उस खेल को कौन समर्थन देगा? अगर टीवी पर खेल को ज्यादा देखा जा रहा है, तो स्पॉन्स आयोजकों के पास दौड़कर जाएंगे। अगर हम सरकार पर लगातार आरोप लगाते रहेंगे तो कुछ नहीं होगा। लोगों को खेल से अपने आप को जोड़ना होगा और कम से कम कुछ लोगों को ग्राउंड या टीवी पर देखकर उनकी हौसलाअफजाई करनी पड़ेगी।'
प्रतिस्पर्धा बढ़ाने की जरूरत: किरेन रीजीजू
किरेन रीजीजू ने आगे कहा, 'चीन, जापान या किसी विदेशी देश में छोटी स्पर्धाओं में स्टेडियम दर्शकों से भरा होता है। यहां तो विश्व के बड़े से बड़े एथलीट आ जाएं, हमारे पास उन्हें देखने के लिए दर्शक ही नहीं हैं।' पांच दिन पहले केंद्र ने घोषणा की थी कि मलखंब, थांग-ता और योगासन खेलो इंडिया का हिस्सा होंगे और इन खेलों को स्कॉलरशिप मिलेगी।
किरेन रीजीजू ने कहा, 'हमारा लक्ष्य है कि कबड्डी ओलंपिक्स में जाए। हमने समिति नियुक्त की, जो योगासन में काम करेगी। 2021 की ठंड में हम भारत में पहली योगासन चैंपियनशिप का आयोजन करेंगे।' खेलमंत्री ने साथ ही कहा कि प्रतियोगिताएं बढ़ाने की जरूरत थी। उन्होंने कहा, 'खिलाड़ी जीते या हारे, हर कोई चैंपियन नहीं बन सकता। हर किसी का सपना देश के लिए खेलना होता है। मगर हर कोई इसे पूरा नहीं कर पाता। लीग, नेशनल और राज्य स्तर की लीग प्रतियोगिताओं की जरूरत है तो हर कोई अपनी प्रतिभा के कारण आगे बढ़ सके।'
किरेन रीजीजू ने कहा, 'कबड्डी को लीग के कारण ग्लैमर मिला और खिलाड़ी अब इज्जत के साथ अच्छी कमाई कर रहे हैं। हमें जरूरत है प्रयास करने की कि खेल को लोगों की जिंदगी जीने का जरिया बना सके। इसलिए इनका समर्थन करना पड़ेगा। खेल उपकरण के निर्माण में काफी रोजगार की संभावना है और जीडीपी में पांच-छह प्रतिशत योगदान दे सकती है।'