अपने भारतीय ओलंपिक खिलाड़ी को जानें: सुशीला चानू (हॉकी)

हाल ही में सुशीला चानू को रियो ओलंपिक्स के लिए भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तानी सौंपी है। ये पहला मौका नहीं है जब उन्हें टीम की कप्तानी सौंपी गयी है। पहले जूनियर और अब 112 मैच खेल चुकी मणिपुर की इस दिग्गज खिलाडी ने कई बार अपनी काबिलियत दिखाई है। टीम की हाफ बैक ऑफ साल 2010 से सेंट्रल रेल्वे में जूनियर टिकट कलेक्टर के रूप में काम करनेवाली सुशीला ने कई बार खेल के प्रति अपना ज़ज़्बा और लगन दिखाया है। ये रहे सुशीला चानू के बारे में 10 बातें जिन्हें आपको जननी चाहिए:

Ad
  1. ड्राइवर पुकब्रम्बम श्यामसुंदर और उनकी पत्नी पुकब्रम्बम ओंगबी लता के घर 25 फरवरी 1992 को सुशील का जन्म हुआ था। उनका जन्म मणिपुर में हुआ था, जहाँ पर मेरी कॉम और सरिता देवी जैसी खिलाडी पैदा हुआ हैं। ऐसे में उनका भी खेल की ओर रुख करना ही था।
  2. साल 1999 में सात साल की सुशीला ने स्टेडियम में अपना पहला अंतराष्ट्रीय मैच देखा, जो कि एक फुटबॉल मैच था। उनके घरवाले खेल प्रेमी थे और सुशीला से भी किसी एक खेल में खेलना को कहा गया।
  3. साल 2003 से आँखों में सपने लिए सुशीला, पोस्टीरियर हॉकी अकादमी, मणिपुर में ट्रेनिंग करने लगी। चार लोगों ने उनका खेल देखा और उसकी सराहना की और फिर चार साल बाद सुशीला ग्वालियर विमेंस हॉकी अकादमी से जुड़ गई।
  4. अगले ही साल मलेशिया में आयोजित अंडर 21 एशिया कप में उन्होंने अपना डेब्यू किया। उन्होंने फिर अपनी काबिलियत दिखाई और साल 2011 और 2012 के नेशनल खेलों में अपने टीम को कांस्य पदक दिलवाया।
  5. उनकी सबसे बड़ी कामयाबी साल 2013 में आई जब जर्मनी के मोंचेंगलड़बच, में आयोजित जूनियर वर्ल्ड कप में टीम की अगुवाई करते हुए कांस्य पदक दिलवाया।
  6. 2013 से सुशीला ने सीनियर टीम के लिए भी खेलना शुरू कर दिया। 2015 वर्ल्ड हॉकी लीग के सेमीफाइनल में पहुँचने में सुशीला का अहम योगदान था।
  7. सुशीला का सबसे बड़ा सपना रहा है, ओलंपिक खेलों में हिस्सा लेना और पिछले साल वर्ल्ड हॉकी लीग में 5 वां स्थान हासिल कर के उन्होंने रियो ओलंपिक्स के लिए क्वालीफाई किया। साल 1980 के बाद ये दूसरा मौका है जब महिलाओं की हॉकी टीम ओलंपिक मर हिस्सा लेंगी।
  8. साल 2014 में इस 24 वर्षीय खिलाडी को स्टेरनेस्ट परीक्षण से गुजरना पड़ा। उस साल के शुरुआत में चानू ने अपना ACL चोटिल कर लिया और उन्हें तुरंत सर्जरी की ज़रूरत थी। लेकिन ये बहादुर लड़की इससे उभरने में कामयाब हुई। अपनी काबिलियत पर ज्यादा जोर देते हुए उन्होंने सख्त व्यायाम और फिजियोथैरेपी के नियमों का पालन किया। आठ हफ़्तों बाद उन्होंने वापसी की।
  9. ऑस्ट्रेलिया के डार्विन में जब ऋतू रानी को आराम दिया गया था, तब सुशीला चानू को टीम की कप्तानी सौंपी गयी थी।
  10. 12 जुलाई 2016 सुशीला चानू के करियर का सबसे बड़ा दिन था क्योंकि इसी दिन रियो ओलंपिक्स जा रही महिला टीम की कप्तान के रूप में उन्हें चुना गया। "मैं बहुत खुश हूं और इसे साथ साथ थोड़ी व्यकुल भी हो गयी हूँ, क्योंकि ये बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। हम 36 साल बाद ओलंपिक्स में हिस्सा ले रहे हैं। लेकिन मुझे जूनियर टीम की अगुवाई का अनुभव है, इसलिए ज्यादा दिक्कत नहीं होगी।"
लेखक: तेजस, अनुवादक: सूर्यकांत त्रिपाठी
Edited by Staff Editor
Sportskeeda logo
Close menu
Cricket
Cricket
WWE
WWE
Free Fire
Free Fire
Kabaddi
Kabaddi
Other Sports
Other Sports
bell-icon Manage notifications