हीना सिद्धू भारत की ओर से अबतक की सफल पिस्तौल शूटर रही हैं। पूर्व नंबर 1 रैंक वाली एयर पिस्तौल शूटर छह महीनों में होनेवाले रियो ओलंपिक्स में स्वर्ण पर निशाना लगाना चाहेंगी। 26 वर्षीय हीना सिद्धू की उपलब्धियों के बारे में ये रही 10 बातें:
- हीना सिद्धू का जन्म 29 अगस्त 1989 को पंजाब के लुधियाना में हुआ था। उनके परिवार के कारण उनमें बंदूकों के प्रति चाहत हुई। उनके पिता राजबीर सिद्धू खुद राष्ट्रीय स्तर के निशानेबाज़ हैं और उनके अंकल इंद्रजीत सिद्धू का बंदूकों का बिज़नस है। छोटी उम्र में ही उन्हें कई तरह के बन्दूक और पिस्तौल देखने के मौके मिल गए। अपने अंकल की देखरेख में वें इनका इस्तेमाल करने लगी। अपने अंकल के बारे में सिधु ने बता, "छोटी उम्र में ही वें मुझे उनकी देखरेख में बंदूकों का इस्तेमाल करने देते थे। लेकिन मुझे बन्दूक पसंद है, उसकी आवाज अच्छी लगती है।"
- हीना ने अपनी काबिलियत सबसे पहले अपने घर पर दिखाईं। उनके पिता ने घर के ड्राइववे में शूटिंग रेंज तैयार की, जहाँ पर हिना ने शूटिंग के गुण सीखें। सभी बन्दूक सही काम करे इसके ध्यान उनके अंकल ने रखा।
- 2006 से वें लगातार प्रैक्टिस करती रही और उनका पहला अंतराष्ट्रीय मेडल जूनियर के रूप में आया जब उन्होंने 2007 के एशियाई शूटिंग चैंपियनशिप के 10 मीटर पिस्तौल शूटिंग प्रतियोगिता में कांस्य पदक हासिल क़िया।
- हीना की प्रतिभा ने 2009 में उन्हें ISSF वर्ल्ड कप मेडल भी जितवाया। 19 साल की उम्र ने उन्होंने बीजिंग वर्ल्ड कप में रजत पदक अपने नाम किया।
- इसी लय को आगे बढाते हुए उन्होंने घोषणा करी कि वें कामनवेल्थ और एशियाई खेलों के लिए गंभीर है। घरेलू दर्शकों के सामने कामनवेल्थ खेलों के टीम इवेंट में उन्होंने स्वर्ण जीता और सिंगल इवेंट में रजत जीता। 2010 में गुआंगज़ौ के एशियाई खेलों में उन्हें सिंगल इवेंट के लिए रजत पदक मिला।
- 2012 में उन्हें ओलंपिक्स में भारत का प्रतिनिधि बनाने का मौका मिला, लेकिन क्वालिफिकेशन राउंड में वें 12 वें स्थान पर रही। लेकिन इससे वें रुकी नहीं। साल 2013 उनके करियर के लिए अच्छा रहा, क्योंकि उन्होंने करियर का पहला ग्लोबल गोल्ड मैडल जीता। यूक्रेन के दिग्गज कोच अनातोली पिडडनयी की देखरेख में वें शूटिंग के गुण सीखने लगी। म्युनिक विश्व कप से तीन खिलाडी पीछे हट गए थे, इसलिए सिधु को बुलाया गया था। हीना ने मौके को भुनाते हुए उस समय की मौजूद चैंपियन, ज़ोरना रुनोविक को वर्ल्ड रिकॉर्ड फाइनल स्कोर 203.8 से हराकर स्वर्ण पदक जीता। ये भारत के लिए ऐतिहासिक बात थी, क्योंकि कोई भी भारतीय खिलाड़ी ISSF विश्व कप नहीं जीता था।
- उनका अच्छा प्रदर्शन जारी रहा और उन्होंने 2014 में अमेरिका के फोर्ट बेंनिंग में हुए विश्व कप में रजत पदक अपने नाम किया। एशियाई गन चैंपियनशिप में उन्होंने स्वर्ण पदक जीता। उसी अप्रैल में उनकी मेहनत का फल मिला, जब 10 मीटर शूटिंग खिलाडियों की रैंकिंग में उन्हें नंबर 1 का स्थान दिया गया।
- लेकिन इसके बाद उनके प्रदर्शन में गिरावट आई। 2014 के एशियाई खेलों में उन्हें केवल 25 मीटर पिस्तौल खेल में कांस्य पदक मिला और ग्लासगो के कामनवेल्थ खेलों से भी वें खली हाथ लौटी थी। लेकिन वापसी करते हुए उन्होंने राष्ट्रीय खेलों में स्वर्ण पदक हासिल किया। इसके अलावा एशियाई एयर गन चैंपियनशिप और एशियाई चैंपियनशिप उन्होंने अपने नाम की।
- इसके तुरंत बाद उन्होंने 2016 रियो ओलंपिक्स के लिए अपनी सीट पक्की की। नई दिल्ली में हुए एशियाई ओलिंपिक क्वालीफ़ायर के 10 मीटर राइफल शूटिंग में उन्होंने स्वर्ण पदक हासिल क़िया।
- हाल ही में हुए दक्षिण एशियाई खेलों में उन्होंने एक स्वर्ण और एक रजत पदक अपने नाम क़िया। टीम ईवेंट में उन्हें स्वर्ण पदक मिला और सिंगल ईवेंट में उन्हें रजत पदक मिला।
- हीना खेल के साथ साथ पढाई में भी अच्छी है, उन्होंने अपना ग्रेजुएशन BDS में साल 2013 में पूरा किया। डेंटिस्ट से पूरे समय के लिए शूटर बनने पर उन्होंने कहा, "मुझे बचपन से बन्दूक पसंद है। मुझे खेल की दुनिया में कुछ करना था, क्योंकि मैं दिनभर पढ़कर बोर हो जाया करती थी। इसलिए मैंने शूटिंग करने का निर्णय किया।"
- शूटिंग के अलावा उन्हें स्केचिंग, पेंटिंग, म्यूजिक और कविताएं भी पसंद है।
- साल 2013 में उनकी शादी 2006 कामनवेल्थ खेल में स्वर्ण पदक हासिल करनेवाले रौनक पंडित से हुई और वें अब हीना के कोच और मैनेजर हैं।
- 2014 में ग्लोबल न्युट्रिशन कंपनी हर्बलाइफ ने हीना को अपने ब्रैंड का चेहरा बनाया और तबसे हीना उनके प्रोडक्ट्स एंड्रोस कर रही हैं।
- हीना को 2014 से NGO ओलिंपिक गोल्ड क्वेस्ट का समर्थन हासिल है।
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