सौम्यजीत घोस ने बहुत ही कम उम्र में अपने टेबल टेनिस की प्रतिभा से सबको प्रभावित किया था। उनका उदय बड़ी तेजी से हुआ और उन्होंने सबसे कम उम्र में रियो के लिए क्वालीफाई करके रिकॉर्ड भी बनाया। इसके अलावा उन्होंने 19 बरस की उम्र में ही राष्ट्रीय चैंपियनशिप पर कब्जा भी कर लिया। विश्व रैंकिंग में 86वें स्थान पर काबिज घोष की उम्र 22 साल है और वह लगातार दूसरी बार ओलंपिक के लिए क्वालीफाई कर चुके हैं। जबकि उन्होंने इधर मात्र 4 महीने ही खेला है। यहाँ आपको दो बार के राष्ट्रीय चैंपियन के बारे में 10 अहम बातें बता रहे हैं: #1 सौम्यजीत घोष 10 मई 1993 में पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में पैदा हुए। उनके पिता हरी शंकर घोष स्थानीय नगर पालिका में नौकरी कर रहे हैं और उनकी माँ एक घरेलू महिला हैं। घोष की उम्र जब 5 साल की थी उनके पिता उन्हें सिलीगुड़ी के टेबल टेनिस के क्लब ले गये थे। उसके बाद वह गंभीर रूप से इस खेल से जुड़ गये और अंडर-12 के राष्ट्रीय चैंपियन बन गये। #2 इस प्रतिभावान युवा टेबल टेनिस खिलाड़ी पर जल्द ही राष्ट्रीय कोच भवानी मुखर्जी की पड़ी जब घोष ने 2008 में जूनियर कामनवेल्थ खेलों में रजत पदक जीता था। उनकी देखरेख में घोष ने 2010 में जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप में मिक्स डबल्स में कांस्य पदक जीत लिया। इसके बाद घोष ने साल 2011 में देहरादून में हुए वर्ल्ड जूनियर सर्किट का ख़िताब जीत लिया। #3 घोष ने अपने खेल तेजी लाने के लिए स्वीडन में दिग्गज पीटर कार्लसन के अंडर में अपनी फिटनेस में काफी सुधार किया। साल 2011 में वह पहली बार स्वीडिश प्रोफेशनल लीग में खेले थे। जिसके बाद हर साल वह इस लीग में खेलते हैं। फाल्कनबर्ग में खेलने से उनके खेल में काफी सुधार भी हुआ है। #4 उनकी ये लगन ही थी कि वह सिलीगुड़ी की ही खिलाड़ी अंकिता दास के साथ मिलकर साल 2012 के लन्दन ओलंपिक के लिए सबसे कम उम्र में क्वालीफाई कर लिया था। पहले राउंड में ब्राज़ील के गुस्तावो ट्सुबोई को हरा दिया। हालाँकि उनकी रैंकिंग में 100 का अंतर था। #5 साल 2013 में 19 बरस की उम्र में घोष ने राष्ट्रीय चैंपियनशिप जीतकर सबसे कम उम्र में इस ख़िताब को जीतने वाले खिलाड़ी बने। फाइनल में उनका मुकाबला 6 बार के चैंपियन अचंता शरत कमल से था। जहाँ उन्होंने इस मुकाबले में गट्स दिखाते हुए 1-2 से पिछड़ने के बाद 4-2 से वापसी करते हुए मुकाबला अपने नाम किया। इसी साल घरेलू इंटर-इंस्टीट्यूसनल टेबल टेनिस चैंपियनशिप में सिंगल्स का ख़िताब भी अपने नाम कर लिया। #6 उन्होंने अपने इसी फॉर्म को बरकरार रखते हुए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ब्राजील ओपन में अंडर-21 का ख़िताब भी अपने नाम किया। भारत के लिए ये पल काफी गौरवशाली था, जब मनिका बत्रा और घोष ने अपने वर्ग में खिताबी जीत हासिल की। #7 साल 2014 में घोष ने गोवा में हुए तीसरे लुसोफोनिया गेम्स में भी मैडल जीता था। सिंगल्स में उन्हें हरमीत देसाई से हारने की वजह से रजत पदक मिला था। लेकिन घोष ने मिक्स डबल्स में स्वर्ण और डबल्स में कांस्य पदक जीता था। इसी साल कामनवेल्थ खेलों में घोष क्वार्टरफाइनल तक पहुँचने में कामयाब हुए थे। स्वीडिश ओपन में अंडर-21 के वर्ग में वह सिंगल्स के फाइनल तक पहुंचे थे। #8 घोष ने साल 2015 में दोबारा राष्ट्रीय चैंपियनशिप जीतकर अपना आत्मविश्वास हासिल किया। इस बार उन्होंने उन्होंने बेहतरीन फॉर्म में चल रहे जी साथियन को 4-2 से हराया था। #9 घोष ने दिसम्बर 2015 में सूरत में हुए 20वें कामनवेल्थ टेबल टेनिस चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक दिलाया। ये ख़िताब भारत को 11 साल बाद मिला है। वह दोनों बार देश के लिए खेलने उतरे और उन्होंने इंग्लैंड को 3-1 से हराया। मार्च 2016 में वह अपने करियर के सबसे उच्चतम रैंकिंग 83 पर पहुंचे। #10 हाल ही में उन्हें सबसे बड़ी सफलता रियो ओलंपिक में क्वालीफाई करने के बाद मिली है। हांगकांग में हुए इस क्वालिफिकेशन राउंड में 22 बरस के घोष ने 3-0 का अंक हासिल करके अपने ग्रुप में शरत कमल, अन्थोनी अमलराज और हरमीत देसाई को पीछे छोड़ दिया। सौम्यजीत के बारे कुछ अनसुनी बातें: #1 साल 2012 से घोष को एनजीओ गोस्पोर्ट्स फाउंडेशन सपोर्ट करती है। #2 चेतन भगत की लिखी किताब “द थ्री मिस्टेक्स ऑफ़ माय लाइफ” उनकी पसंदीदा किताब है। #3 जब टेबल टेनिस नहीं खेल रहे होते हैं, तो वह हिंदी फ़िल्में और गाने सुनना पसंद करते हैं। उन्हें क्रिकेट भी पसंद है। #4 उनके होमटाउन सिलीगुड़ी के सुभाजीत साहा जिन्होंने कामनवेल्थ खेलों में मेंस के डबल्स में स्वर्ण पदक जीता था। उनके आदर्श हैं। #5 हाल ही में उन्होंने रियो ओलंपिक की तैयारी के बारे में बताया साथ ही उन्हें इस बात का दुःख भी है कि वह साल 2012 के ओलम्पिक में रोजर फेडरर को लाइव खेलते हुए नहीं देख पाए थे।