18 साल की उम्र में भारत के अंतराष्ट्रीय बॉक्सर शिव थापा ओलंपिक्स के लिए क्वालीफाई करनेवाले सबसे कम आयुवाले खिलाडी बने। चार साल बाद उनके पदकों की संख्या बढ़ चुकी है और इसलिए उनसे रियो ओलंपिक्स 2016 में काफी उम्मीदें हैं। 2005 से बॉक्सिंग की शुरुआत करते हुए ये 22 वर्षीय बॉक्सर बेंटमवेट केटेगरी में तीसरे स्थान तक पहुंचने वाले थापा ने शानदार प्रदर्शन किया है। ये रही शिव थापा के करियर से जुडी 10 बातें:
- शिव थापा का जन्म 8 नवंबर 1993 को नेपाली पदम थापा के घर हुआ। पदम थापा खुद एक कराटे ट्रेनर हैं। छह भाई-बहनों में शिवा सबसे छोटे थे। उनका घर बिरुबारी बाजार में था जहाँ पर आएं दिन छोटी-छोटी बातों पर बड़े झगडे हुआ करते थे।
- उनके पिता पदम खुद काला पहाड़ गैंग के खिलाफ लड़ते थे इसलिए मणिपुर से बिरुबारी बाजार में एक कराटे ट्रेनर बुलाया गया जो पदम और उनके साथियों को कराटे सिखाया करता था। इसके बाद वें ट्रेनर गाँव के युवा को सिखाने में लग गया।
- पदम खुद आसाम के राज्य स्तर के बॉक्सर थे और हमेशा से चाहते थे कि उनका बेटा इस खेल को अपनाए और देश की ओर से खेले। जब पदम को पता चला की ओलंपिक्स में कराटे को मान्यता नहीं है, तो उन्होंने अपने बेटे को खेल बदलकर बॉक्सिंग खेलने कक कहा, ताकि वें देश के लिए खेल सकें। मुझे पता नहीं ओलंपिक्स खेल क्या है, लेकिन वो मेरा सपना बन गया है: पदम थापा।
- शुरुआत से ही शिव और गोबिंद को अपने पिता द्वारा बनाया गया शेड्यूल मनना पड़ता था, जिसके अनुसार उन्हें 3 बज उठकर दो घंटे तक अपना होमवर्क करना पड़ता था और फिर उलुब्री बॉक्सिंग क्लब में जाकर 8 बजे तक अभ्यास किया करते थे। इसके बाद वें स्कूल जाते थे। इस वजह से बच्चों को केवल 5 घन्टे सोने मिलता था और इसकी उन्होंने कभी शिकायत नहीं की।
- शिव को अपनी काबिलियत दिखाने का पहला मौका साल 2005 में मिला जब नोएड़ा में हुए सब-जूनियर नेशनल बॉक्सिंग चैंपियनशिप में 36 किलो के केटेगरी में खेलने का मौका मिला। लेकिन किसी ने उन्हें गलत जानकारी दी, कि 36 किलो का कोई केटेगरी नहीं होता। इसलिए उन्हें 38 किलो केटेगरी में पड़ना पड़ता। पदम ने शिवा को कुछ लीटर पानी पिलाया जिससे वें 38 किलो केटेगरी में फिट हो जाएं। शिव ने मौके का फायदा उठाते हुए सर्विसेस के चैंपियन को हराकर स्वर्ण पदक जीता। उनकी उस जीत पर सब लोग चौंक उठे।
- साल 2008 में रूस के यकात्सु में हुए चिल्ड्रन ऑफ़ एशिया इंटरनेशनल स्पोर्ट्स गेम्स में हिस्सा लिया और वहां पर कांस्य पदक जीता। 2009 तक शिव ने बॉक्सिंग की दुनिया में अपना नाम बना लिया था और उन्हें 52 किलो वर्ग के कैटेगिरी में अमरीन में हुए जूनियर बॉक्सिंग चैंपियनशिप के लिए चुना गया। वहाँ से शिव कांस्य पदक के साथ लौटे।
- कज़ाक्षतान के अस्ताना में हुए एशियाई क्वालीफ़ायर्स में शिव को स्वर्ण पदक मिला। इससे उन्होंने 2012 लंदन ओलंपिक्स के लिए क्वालीफाई क़िया। हालांकि वहां पर वें कुछ खास प्रदर्शन नहीं कर पाएं और मेक्सिको के खिलाडी के हाथों हार के बाद बाहर हो गए। लेकिन उनके मेहनत के लिए पहले आसाम की सरकार और फिर सिक्कम की सरकार ने उन्हें नवाजा।
- साल 2013 में शिव जॉर्डन में हुए एशियाई कॉन्फ़ेडरेशन बॉक्सिंग में स्वर्ण जीतने वाले सबसे युवा और तीसरे भारतीय बने। उसी साल USA की फ्रैंचाइज़ी वर्ल्ड सीरीज बॉक्सिंग के साथ करार करनेवाले वें पहले भारतीय बने।
- पिछले साल वर्ल्ड चैंपियनशिप में तीसरे आने के बाद उन्होंने अपनी ओलंपिक सीट गंवा दी थी। लेकिन इसके साथ ही वें वर्ल्ड चैंपियनशिप में पदक जीतने वाले तीसरे बॉक्सर बने। साल 2016 में दक्षिण एशियाई खेलों में घरेलू दर्शकों के सामने शिवा ने स्वर्ण पदक अपने नाम किया।
- शिव को इंडियन ओलंपिक क्वेस्ट का समर्थन हासिल है। इसे भारत की सरकार और कई खेल संस्था मिलकर चलाती है।
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