120 करोड़ की आबादी वाले भारत में कई एथेलीट होने चाहिए थे। एथलीट को उनकी काबिलियत के लिए जाना जाता है, वे प्रेरणा स्रोत होते हैं। मगर सच्चाई कुछ और है। हम हमेशा भारतीय सितारों से ओलंपिक्स में ढेर सारी उम्मीदें रखते हैं और ज्यादातर समय हमारी उम्मीदों पर पानी फिर जाता है। मगर एक ऐसी उभरती हुई सितारा हैं टिंटु लुका जो 400 मीटर और 800 मीटर ट्रैक इवेंट्स में हिस्सा लेंगी। 26 अप्रैल 1989 को टिनटु ने लुका और लिसी के परिवार में जन्म लिया। उनका जन्म केरल के कुन्नूर जिले के वालाथोड़े गांव में हुआ। स्कूल की पढाई उन्होंने सेंट थॉमस हाई सेकेंडरी कारिककोट्टाकार्य से की। फिर वें उषा स्कूल ऑफ एथलेटिक्स से जुड़ गई जहां पीटी उषा की देखरेख में उन्होंने अपनी ट्रेनिंग की। लुका के नाम 800 मीटर का नेशनल रिकॉर्ड दर्ज है। साल 2008 में जकार्ता में हुए एशियाई जूनियर एथेलेटिक्स में वह रजत पदक जीतकर चर्चा में आई। 800 मीटर की दौड़ में उनकी टाइमिंग थी 1:59:17, इससे उन्होंने क्रोशिया के शाइनी विल्सन का 15 साल पुराना रिकॉर्ड को तोड़ा। ग्वान्ग्झू में 2010 में हुए एशियाई खेलों में 800 मीटर दौड़ में उन्होंने कांस्य पदक जीता। इसके बाद उन्होंने जापान के एशियाई खेलों में भी पदक हासिल किया। साल 2013 में पुणे में हुई एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 800 मीटर की दौड़ में उन्होंने कांस्य पदक जीता। इसी इवेंट में उन्होंने इंचियोन के एशियाई खेलों में रजत पदक जीता और 4×400 मीटर की दौड़ में स्वर्ण पदक जीता। हाल ही में हुए 55 वें नेशनल एथेलेटिक्स चैंपियनशिप में लुका ने 800 मीटर की दौड़ में 2:00:56 की टाइमिंग के साथ नेशनल रिकॉर्ड बनाया। साल 2015 उनके लिए मिला-जुला रहा। वुहान में हुए एशियाई चैंपियनशिप में उन्होंने 800 मीटर की दौड़ में प्रथम स्थान हासिल किया। वहीं 4×400 मीटर की दौड़ में उनकी टीम को दूसरा स्थान मिला। वैसे वर्ल्ड एथेलेटिक्स चैंपियनशिप में उनका सफर कामयाब नहीं हो पाया। 800 मीटर के दौड़ के पहले हीट में सातवीं आई और बाहर हो गई। मगर इवेंट के पांचवे दिन 2 मिनट और 95 सेकंड की टाइमिंग देकर उन्होंने रियो ओलंपिक्स के लिए अपनी सीट पक्की की। ये टाइमिंग ओलंपिक टाइमिंग से 2 मिनट 1 सेकंड से बेहतर था। इस युवा और प्रतिभाशाली धावक से पूरे देश को उम्मीद है। उनके सर पर इस उम्मीद का बोझ नहीं हैं और वें कड़ी मेहनत कर रही हैं। हमारी शुभकामनाएं उनके साथ है और उम्मीद करते हैं कि वें रियो में कामयाब होकर देश का गौरव बढ़ाएं। लेखक: तेजस, अनुवादक: सूर्यकांत त्रिपाठी