भारतीय ओलंपिक एसोसिएशन (आईओए) ने नए कृषि कानून के विरोध में समर्थन कर रहे खिलाड़ियों से गुजारिश की है कि वो सरकार पर मामला सुलझने का भरोसा रखे। आईओए ने कहा कि खिलाड़ी अपने राष्ट्रीय सम्मान और आंदोलन को दो विभिन्न चीजें समझकर रखें। किसानों के हित में शक्ति दर्शाते हुए पंजाब और हरियाणा के कुछ खिलाड़ियों ने खेल अवॉर्ड लौटाने की धमकी थी। इसमें खेल रत्न अवॉर्डी विजेंदर सिंह भी शामिल हैं।
आईओए अध्यक्ष नरिंदर बत्रा और महासचिव राजीव मेहता ने संयुक्त बयान में कहा, 'देखने को मिला कि किसान मामले में समर्थन जाहिर करने के लिए कुछ खिलाड़ियों ने अपने राष्ट्रीय सम्मानों को लौटाने की घोषणा की थी। नेशनल अवॉर्ड्स और किसान मामले दो अलग चीजें हैं। प्रत्येक भारतीय, हम भी शामिल, किसानों का समर्थन और प्यार करते हैं और हम भी हमेशा अपने किसान समुदाय को खुश देखना चाहते हैं क्योंकि वह हमारे देश के अन्नदाता हैं।' दोनों ने उम्मीद जताई कि जल्द ही यह मामला सुलझ जाएगा और खिलाड़ियों से गुजारिश की है कि वह किसान लीडर्स और सरकार के बीच बातचीत के नतीजे का इंतजार करें। बातचीत का अगला दौर मंगलवार को होगा।
खिलाड़ियों ने किसान समर्थन के लिए अवॉर्ड लौटाने की धमकी दी
बयान में आगे कहा गया, 'सरकार और किसान लीडर्स बातचीत कर रहे हैं और हमें उम्मीद है कि जल्द ही इसका निराकरण होगा व हल निकलेगा। तब तक हमें अपनी सरकार और किसान लीडर्स पर भरोसा रखना होगा।' दो बार के एशियाई गेम्स गोल्ड मेडलिस्ट पूर्व रेसलर करतार सिंह की अध्यक्षता में पंजाब के कुछ खिलाड़ियों ने राष्ट्रपति भवन की तरफ कूच की और आंदोलन कर रहे किसानों के प्रति समर्थन जाहिर करने के लिए 35 राष्ट्रीय खेल अवॉर्ड्स लौटाने की कोशिश की। हालांकि, पुलिस ने इन्हें बीच में रोक दिया।
इन खिलाड़ियों को कई नेशनल स्पोर्ट्स अवॉर्ड्स विजेता, अर्जुन अवॉर्ड विजेताओं का समर्थन हासिल किया। इससे पहले भारत के पहले ओलंपिक मेडल विजेता मुक्केबाज विजेंदर सिंह ने भी विरोध कर रहे किसानों का समर्थन करने के लिए खेल रत्न अवॉर्ड लौटाने की धमकी दी थी। पंजाब और हरियाणा के हजारों किसान सप्ताह भर में कई दिल्ली सीमा पर पहुंच चुके हैं। वो नए किसान कानून का विरोध करते हैं।
किसानों का दावा है कि निम्न समर्थन प्राइस सिस्टम को हटाने से उन्हें बड़े कॉर्पोरेट हाउस के सामने बेबस होना पड़ेगा। किसानों की चिंता है कि इन कानूनों का लक्ष्य क्षेत्र में सुधार के लिए किया गया, जिसमें एमएसपी और मंडी को हटाया जाएगा, जिससे उनकी कमाई होती है। मगर सरकार का कहना है कि एमएसपी प्रणाली जारी रहेगी और नए कानून से किसानों को अपना सामान बेचने के ज्यादा विकल्प मिलेंगे। विरोधियों ने 8 दिसंबर को भारत बंद की घोषणा की है, जिसे कई राजनीतिक पार्टियों का समर्थन हासिल है।